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Kargil Day 2021: सत्यदेव की शहादत से युवाओं में जागा सेना भर्ती का जज्बा, मैनपुरी के युवा कर रहे देश की सेवा

Kargil Day 2021 कारगिल में 24 घुसपैठियों को मारकर शहीद हुए थे शाहजहांपुर के सत्यदेव। वीरगति के बाद गांव के चार युवाओं ने चुनीं सेना की राह कर रहे तैयारी। गांव में बना शहीद स्मारक युवाओं को देश सेवा की प्रेरणा देता है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 05:10 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 05:10 PM (IST)
Kargil Day 2021: सत्यदेव की शहादत से युवाओं में जागा सेना भर्ती का जज्बा, मैनपुरी के युवा कर रहे देश की सेवा
वीरगति के बाद गांव के चार युवाओं ने चुनीं सेना की राह

आगरा, जेएनएन। कारगिल की ऊंची चोटियों पर दुश्मन के दांत खट्टे करने वाले वीर सत्यदेव की शहादत ने युवाओं में सेना भर्ती का जज्बा पैदा कर दिया है। कारगिल में अदम्य साहस का परिचय देकर वीर हुए जवान के बलिदान पर स्वजन ही नहीं, पूरे गांव को भी गर्व है। शहादत के बाद गांव में देश सेवा का ऐसा जज्बा जगा कि चार युवा सेना में भर्ती हो गए। शहीद का इकलौता पुत्र भी सेना में भर्ती की तैयारी कर रहा है।

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मैनपुरी जिले के घिरोर क्षेत्र के गांव शहजहांपुर निवासी सेना के जवान सत्यदेव सिंह पुत्र पाल सिंह 19 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए थे। बटालिक, कारगिल में तैनात सत्यदेव युद्ध के दौरान 24 घुसपैठियों को मौत के घाट उतारने के बाद वीरगति को प्राप्त हो गए थे। सैनिक के शहीद होने के बाद पार्थिव देह मैनपुरी आई थी तो हजारों लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा था। सैन्य सलामी के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई थी। इस गर्व भरी शहादत के अहसास से गांव शाहजहांपुर आज भी खुद को गौरवांवित महसूस करता है।

युवाओं में जागा सेना का जज्बा

वीर सैनिक सत्यदेव यादव की शहादत के बाद से युवाओं में सेना में जाने का जोश पैदा हुआ। शहादत के बाद से अब तक गांव निवासी राजेश यादव, ब्रजेश यादव, कर्मवीर सिंह यादव और बंटू यादव सेना में भर्ती हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में बना शहीद स्मारक युवाओं को देश सेवा की प्रेरणा देता है। वहीं, गांव के कई और युवा सेना भर्ती की तैयारियों में जुटे हैं।

बेटा भी कर रहा सेना की तैयारी

बचपन से पिता के साहस की कहानी सुनने वाले वीर सैनिक के पुत्र भी अब सेना भर्ती की तैयारी में जुटे हैं। एमबीए पास पुत्र बाबी बताते हैं कि पिता की शहादत के समय वह दो साल के थे। जब बड़े हुए तो हर कोई उनके पिता की शहादत की कहानी सुनाता था। वीरनारी मां विमला देवी ने ने भी उनको देशप्रेम सिखाया है। वीर नारी का दो वर्ष पहले निधन हो चुका है। बाबी ने बताया कि उनको गर्व है कि पिता ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी। वह भी देश की रक्षा के लिए तैयारी कर रहे हैं। 


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