Birds Favorite Place: पक्षियों की आवाज सुनने के शौकीन हैं, तो सिकंदरा स्मारक के पीछे आइये
Birds Favorite Place सिकंदरा स्मारक परिसर में लगे वृक्षों पर ठहरते हैं विभिन्न प्रजाति के पक्षी। सिकंदरा में मुगल शहंशाह अकबर का मकबरा आगरा के स्मारकों की सूची में जुड़ने और पर्यटकों की दृष्टि से ही बेहतर नहीं है।
आगरा, जागरण संवाददाता। सुबह चार बजे से छह बजे तक चर्खी या सात भाई, तोता और शामा। छह बजे से सात बजे तक मोर, कबूतर, भुजंगा, हुदहुद, महोख, तीतर, बया, मुनिया, शकरखोरा, नीलकंठ। फिर सात बजे नौ बजे तक मैना व फुदकी की मधुर आवाज। अगर, आपको भी इन पक्षियों की आवाज सुनने का शौक है। सुबह-सुबह सिकंदरा स्मारक के पास जाना पड़ेगा।
दरअसल, सिकंदरा में मुगल शहंशाह अकबर का मकबरा आगरा के स्मारकों की सूची में जुड़ने और पर्यटकों की दृष्टि से ही बेहतर नहीं है, बल्कि प्रकृति को भी समेटे हुए है। यही कारण है कि इस पर इंसान, जानवर और पक्षी तीनों प्रजाति फिदा हैं। स्मारक परिसर के अंदर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की देखरेख वाले उद्यान में विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष भी हैं। परिसर के अंत में कई वृक्ष पुराने हैं। उद्यान में कृष्ण मृगों (काले हिरण) की काफी संख्या है और वृक्षों पर अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों के घौसले हैं। ये पक्षी रात अपने घौसलों में गुजारते हैं और दिनभर भोजन की तलाश में इधर-उधर निकल जाते हैं। यहां सुबह चार बजे से चहचहाट शुरू होती है। शाम तक कई दर्जन पक्षियों की आवाज सुनने को मिल जाती है। सुबह को जैसे-जैसे पक्षी घौसले से निकलते रहते हैं। वैसे-वैसे स्मारक की दीवारों पर बैठकर सुरीली आवाज से रू-ब-रू कराते रहते हैं। फिर स्मारक के पीछे के हिस्से में खेतों में भोजन की तालश में जुट जाते हैं।
कबूतरों का बना आशियाना
स्मारक के वृक्ष अन्य पक्षियों का आशियान बने हैं। तो अकबरा का मकबरा कबूतरों का आशियाना बना है। मकबरे की गुंबदों में बड़ी संख्या में कबूतर रहते हैं। यहां भी गुटरगूं की आवाज गूंजती रहती है। मकबरे के ऊपर के हिस्से में ही इन कबूतरों के अंडे रखे हैं।