Sky War: आगरा में एक इलाका ऐसा भी जहां चील के साथ बाजी लगाते हैं कबूतर
Sky War लोहामंडी क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बड़ी संख्या में कबूतर पालन होता है। कबूतरबाज सुबह और शाम इन कबूतरों को उड़ाते हैं। इन्हीं इलाकों में मीट का करोबार होता है। इस कारण चील और बाज भी बड़ी तादाद में रोजाना मडराते हैं।
आगरा, सुबान खान। आपने आसमान में चील और बाज की उड़ान तो खूब देखी होगी। कबूतरबाजों को अपने-अपने कबूतरों पर बाजी लगाते भी देखा होगा, पर कभी कबूतर और चील के बीच हारने और जीतने की शर्त लगते नहीं देखी होगी, लेकिन हम आपको बताते हैं, कि आगरा में एक इलाका ऐसा भी जहां कबूतर और चील के बीच आसमान में बाजी लगती है।
दरअसल, लोहामंडी क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बड़ी संख्या में कबूतर पालन होता है। कबूतरबाज (कबूतर पालक) सुबह और शाम इन कबूतरों को उड़ाते हैं। इन्हीं इलाकों में मीट का करोबार होता है। इस कारण चील और बाज भी बड़ी तादाद में रोजाना मडराते हैं। सुबह को चील और कबूतर दोनों एक साथ उड़ते हैं। कबूतर भी चील की तरह आसमान में चढ़ जाते हैं। ऊपर ही ऊपर दोनों में बहस होती है। कौन पहले हार मान जाए। बहस का यह सिलसिला कई घंटा तक बखूबी चलता है। कबूतर पालक नीचे से काला कपड़ा हिलाते कर कबूतर को ऊंचाई पर जाने का संकेत देते हैं। फिर अंत में हार कबूतर को माननी पड़ती है और कबूतर पालक उन्हें नीचे उतार लेते हैं। कबूतरबाज इब्राहिम कुरैशी ने बताया कि लोहामंडी में मीट अवशेष खाने के लिए चील पूरे इलाके में उड़ती हैं। शुरुआती दिनों में कबूतर पर चील के हमले का खतरा बना रहता था, लेकिन धीर-धीरे दोनों साथ उड़ने लगे। अब सुबह होते ही कबूतरों को आसमान में उड़ाते हैं। कुछ ही देर में चील भी पहुंच जाती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ठिकाना
लोहामंडी व उसके पास के इलाकों के ऊपर उड़ने वाले मासाहारी पक्षियों के आवास मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के वृक्षों पर बने हैं। शाम होते ही सारे पक्षी वहां पहुंच जाते हैं। इन वृक्षों पर नेस्टिंग करते हैं। यहां बड़ी तादाद में इनके बच्चे भी रहते हैं। ये पक्षी बच्चों के लिए भी मीट के अवशेष लेकर जाते हैं।