Brain Before Birth: अब कलयुग में भी पैदा होंगे 'अभिमन्यु', देश में पहली बार आगरा में शुरू हो रहा ये कान्सेप्ट
Brain Before Birth गर्भकाल में ही महिलाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षण गर्भ में बच्चे की बौद्धिक क्षमता का होगा विकास। ब्रेन गुरुकुल रेनबो हास्पिटल के साथ इस कान्सेप्ट पर काम शुरू कर रहा है।15 गर्भवती महिलाएं इस पहल के लिए पंजीकरण करा चुकी हैं।
आगरा, प्रभजोत कौर। महाभारत में अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ने की विधा सीखी थी।इसी तर्ज पर अब कलयुग में भी गर्भ में बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास करने के लिए एक नई पहल की जा रही है। भारत में पहली बार आगरा में ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट पर काम होगा। विज्ञान ने माना है कि गर्भ में पांच महीने का बच्चा सुनना और रोशनी को देखना शुरू कर देता है। इसी आधार पर ब्रेन गुरुकुल रेनबो हास्पिटल के साथ इस कान्सेप्ट पर काम शुरू कर रहा है।15 गर्भवती महिलाएं इस पहल के लिए पंजीकरण करा चुकी हैं।
क्या है ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट
इस कान्सेप्ट में गर्भवती महिला को पूरे गर्भकाल में 45 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में दिमागी कसरत, विचुअल टेस्ट, एरोमा एक्सरसाइज, गर्भ संवाद, योगा, मेडीटेशन, स्पीड, एमबी डेक्सटरस(दोनों हाथों से काम करना) समेत 18 तरह की क्रियाएं कराई जाएंगी।एक दिन में दो घंटे की कार्यशाला होगी।इस प्रशिक्षण की शुरुआत गर्भवती महिला पहले महीने से ही कर सकती है।
चार साल तक किया शोध
ब्रेन गुरुकुल के सह-संस्थापक विजय प्रकाश ने बताया कि इस कान्सेप्ट पर काम करने के लिए चार साल तक शोध किया गया है।इन चार सालों में 10 गर्भवती महिलाओं को ब्रेन बिफोर बर्थ कान्सेप्ट का प्रशिक्षण दिया गया। यह महिलाएं कमला नगर, शमसाबाद रोड, जयपुर हाउस आदि क्षेत्रों की थी।ब्रेन गुरुकुल के सह-संस्थापक पंकज गुप्ता ने बताया कि मनुष्य में पांच बोध होते हैं। अगर यह पांच बोध मजबूत नहीं होंगे तो दिमाग से इनका संवाद नहीं होगा।दिमाग तक जानकारी ही नहीं पहुंचा पाएंगे।सेंसरी इंटीग्रेशन जितना मजबूत होगा, उतना दिमाग मजबूत होगा।चार सालों तक किए गए शोध के बाद यह निष्कर्ष निकला कि जिन गर्भवती महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था, वे बच्चे जन्म के बाद आम बच्चों के मुकाबले काफी चुस्त थे।वे दूसरे बच्चों के मुकाबले जल्दी सीखते थे।कार्यशाला के लिए 10 से 12 लोगों की टीम काम क रे गी। एक घंटे का प्रशिक्षण शुल्क 500 से 550 रुपये होगा।
यह अपनी तरह का एक अनोखा कान्सेप्ट है, पर पूरी तरह से वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है। जिस तरह गर्भकाल में महिला क्या खाती है, इसका असर बच्चे की सेहत पर पड़ता है। ठीक उसी तरह, महिला की सोच का असर भी बच्चे पर होता है।15 महिलाएं पंजीकरण करा चुकी हैं। इनको हफ्ते में दो दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- डा. नरेंद्र मल्होत्रा, निदेशक, रेनबो हास्पिटल
नौ महीने में एेसे होता है बच्चे का विकास
- पहले महीने में पाचन तंत्र, स्नायु तंत्र और रक्त संचार प्रणाली का निर्माण शुरू हो जाता है।
- दूसरे महीने में भ्रूण में होने वाले महत्वपूर्ण बदलाव जैसे ह्रदय, मस्तिष्क और फेफड़े विकसित होने लगते हैं।
- तीसरे महीने में गुर्दे और आंत का निर्माण शुरू हो जाता है। चेहरा उभरने लगता है। शिशु एम्निओटिक फ्लूयेड में अपने हाथ-पैर हिलाने लगता है।नाखून बनने लगते हैं।
- चौथे महीने में बच्चा एम्निओटिक फ्लूयेड को सांस के द्वारा अंदर और बाहर लेने लगता है। रक्त संचार प्रणाली और मूत्र मार्ग कार्य करने लगता है।
- पांचवे महीने में बच्चे के सिर पर बाल, शरीर पर रोएं, आंखों की पलकें व भौंएं उभरने लगती हैं।आंखों में हलचल होने लगती है।
- छठवें महीने में बच्चा बाहर की आवाज पर प्रतिक्रिया देने लगता है। शिशु के हाथों की रेखा उभरने लगती है।मसूड़े भी बनने लगते हैं।
- सातवें महीने में बच्चे के मस्तिष्क का तेजी से विकास होने लगता है। शिशु के शरीर के सभी अंग विकसित होने लगते हैं।हाथ से नाक छूना, अंगूठा चूसना शुरू कर देता है।
- आठवें महीने में बच्चे की हड्डियां मजबूत होने लगती हैं। सिर का आकार बढ़ने लगता है।
- नौवें महीने में सभी अंगों का विकास पूर्ण रूप से हो जाता है।