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Kumbh 2021 Mathura- Vrindavan: धर्मनगरी में आस्था की बैठक में श्रद्धा का ''कुंभ''

Kumbh 2021 Mathura- Vrindavanवृंदावन में चल रही चालीस दिवसीय कुंभ रूप वैष्णव बैठक ने तो धर्मनगरी की सूरत ही बदल दी है। आग के बीच धूनी रमाते संत हों या फिर वैष्णव नागा साधु। आशीष पाने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Mon, 01 Mar 2021 05:39 PM (IST)Updated: Mon, 01 Mar 2021 05:39 PM (IST)
Kumbh 2021 Mathura- Vrindavan: धर्मनगरी में आस्था की बैठक में श्रद्धा का ''कुंभ''
56 हेक्टेअर क्षेत्रफल में बसी हैं कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक।

आगरा, विनीत मिश्र। ये कान्हा की नगरी है। यहां कण- कण में राधा-कृष्ण बसे हैं, तो जन- जन में उनका नाम। ये आराध्य के प्रति आस्था ही है कि हर साल लाखों श्रद्धालु उनके दर पर आकर माथा टेकते हैं। वृंदावन में ठाकुर बांकेबिहारी का दर हो या फिर बरसाना में बृषभान दुलारी का मंदिर। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान हो या फिर गिरिराज महाराज का गोवर्धन। आस्थावानों के पग बढ़ते चले आते हैं। वृंदावन में चल रही चालीस दिवसीय कुंभ रूप वैष्णव बैठक ने तो धर्मनगरी की सूरत ही बदल दी है। आग के बीच धूनी रमाते संत हों या फिर वैष्णव नागा साधु। आशीष पाने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। यहां संतों का आशीर्वाद है, तो यमुना के जल का पावन स्पर्श भी।

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धर्मनगरी में बैठक ने घुमाया अर्थव्यवस्था का पहिया

बीते वर्ष कोरोनाकाल में धर्मनगरी में मंदिरों के पट बंद हुए, तो अर्थव्यवस्था जैसे थम सी गई। वृंदावन में सेवायतों से लेकर फूल-माला बेचने वालों और यहां तक कि ई-रिक्शा चालकों तक की आमदनी ठप हो गई। कान्हा की पटरानी यमुना में नौका विहार कराकर जीविकोपार्जन करने वाले नाविकों ने भी दूसरा काम तलाश लिया। धीरे-धीरे मंदिर खुले, तो अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी चलने लगी। लेकिन कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक ने इस गाड़ी को रफ्तार दी। वृंदावन वासी कहते हैं कि 12 साल बाद शुरू हुई कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक अर्थव्यवस्था की गाड़ी को पटरी पर लाने में नया अध्याय लिखेगी।

मेले पर एक नजर

- 56 हेक्टेअर क्षेत्रफल में बसी हैं कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक।

- 40 हेक्टेअर क्षेत्रफल में 2010 में सजी थी बैठक

-3 अनी अखाड़े बैठक में शामिल हुए हैं।

-18 अखाड़े तीनों अनी अखाड़ों के अंतर्गत हैं।

-250 शिविर बैठक क्षेत्र में संत-महंतों के लगे हैं।

-55 शिविर ही लगे थे 2010 में हुई कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में।

-500 दुकानें मेला क्षेत्र में लगाई गई हैं।

- 4 कच्चे घाट यमुना के किनारे शाही स्नान के लिए बनाए गए हैं।

-6 राशन की दुकानें भी मेला परिसर में हैं।

-20 हजार से अधिक संत-महंत अब तक बैठक क्षेत्र में पहुंच चुके हैं।

-35 करोड़ रुपये सरकार बैठक आयोजन पर खर्च कर रही है।

-16 मार्च से शुरू हुई थी कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक

-28 मार्च तक होगा बैठक का आयोजन

-5 करोड़ के आसपास श्रद्धालु हर साल धर्म नगरी आते हैं।

-50 हजार श्रद्धालु रोज बैठक क्षेत्र में संतों के दर्शन को पहुंच रहे हैं।

-2 लाख के आसपास संत-महंत और श्रद्धालु पहले शाही स्नान में शामिल हुए।

सरकारी व्यवस्था भी चाक-चौबंद

-1 मेला कार्यालय भी स्थापित किया गया है।

-1 जिला पूर्ति कार्यालय भी बनाया गया है।

-1 वीआइपी लोगों के लिए गेस्ट हाउस भी है।

-1 पुलिस लाइन भी बनाई गई है।

-3 दमकल स्टेशन आपात स्थिति के लिए हैं।

-1 संत-महंत और श्रद्धालुओं के उपचार के लिए अस्थायी अस्पताल भी है।

-2 पुलिस थाने भी पूरे मेला में हैं।

-1 महिला थाा महिलाओं की समस्याएं सुने के लिए है।

-4 वाच टावर से पूरे मेला क्षेत्र पर नजर रखी जा रही है।

-3 मेला परिसर में ही तीन वाहन पार्किंग स्थल बने हैं।

-1 जोन और तीन सेक्टर में पूरे मेला क्षेत्र को बांटा गया है।

-2 पैंटून पुल यमुना पार से आने के लिए बनाए गए हैं।

-1 हजार से अधिक पुलिसकर्मी मेला क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं।

9 व 13 मार्च को शाही स्नान पर उमड़ेगा सैलाब

27 फरवरी को हुए पहले शाही स्नान पर करीब दो लाख संत-महंत और श्रद्धालु पहुंच थे। दूसरा शाही स्नान 9 मार्च और तीसरा शाही स्नान 13 मार्च को होगा। प्रयागराज में माघ मेला समाप्त होने के बाद धीरे-धीरे वैष्णव संत-महंत यहां आने लगे हैं। ऐसे में दूसरे और तीसरे शाही स्नान पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी।

वृंदावन कुंभ बैठक का महत्व

वृंदावन में हरिद्वार से पहले वैष्णव साधकों की बैठक होती है। इसकी प्राचीन परंपरा रही है। वृंदावन में कुंभ बैठक के बारे में कार्ष्णि नागेंद महाराज इसका उल्लेख श्रीमद्भागवतगीता में बताते हैं। उन्होंने बताया, जब समुद्र मंथन के बाद अमृत कलश निकला, तो देवता और दैत्यों में इसे लेकर संघर्ष शुरू हो गया ऐसे में गरुण जी अमृत कलश लेकर सबसे पहले वृंदावन में यमुना किनारे कालीदह घाट पर कदंब पर बैठे। इस दौरान अमृत की कुछ बूंद कदंब पर पड़ीं। इसलिए इसका महत्व है। श्रीपंच निर्वाणी अनी के महामंत्री महंत गौरीशंकर दास कहते हैं, प्राचीन काल में शैव साधक वैष्णवों को कुंभ में स्थान नहीं देते थे। इसलिए वृंदावन में देशभर के वैष्णव साधक एकत्रित होकर हरिद्वार कुंभ में शामिल होते हैं। इसलिए हरिद्वार कुंभ से पहले वृंदावन में वैष्णव कुंभ बैठक का आयोजन प्राचीन काल से होता आया है।

कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक के आयोजन को लेकर तैयारियां पूरी की गई हैं। संत-महंतों के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं। पूरे मेला परिसर में प्रशासनिक टीम व्यवस्थाओं पर नजर बनाए है।

नागेंद्र प्रताप, मेलाधिकारी, कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक।

 


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