Central Jail Agra: सलाखाें के पीछे खाना बनाने में कर ली महारथ हासिल, अब रिहा हो तो खाेले ढाबा
Central Jail Agra केंद्रीय कारागार में रसोइया विष्णु के हाथों से बने खाने के मुरीद हैं बंदी। ललितपुर का रहने वाला विष्णु वर्ष 2003 से है जेल में। अनुसूचित जाति की महिला से दुष्कर्म का था आरोप। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उसकी रिहाई का आदेश दिया गया है।
आगरा, अली अब्बास। केंद्रीय कारागार में 17 वर्ष से निरुद्ध विष्णु साथी बंदियों के बीच रसोइया के नाम से चर्चित है। बंदी उसके हाथों से बने खाने के मुरीद हैं। बंदी विष्णु इन 17 वर्ष के दौरान विविध प्रकार के व्यंजन बनाने में सिद्धहस्त हो गया है। इसके चलते बंदियों के बीच उसके द्वारा बनाए भोजन को लेकर हमेशा चर्चा रहती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा उसकी रिहाई का आदेश दिया गया है। इसके बाद से विष्णु को अब रिहाई का परवाना आने का इंतजार है।
ललितपुर के थाना महरौली के गांव सिलावन निवासी विष्णु के खिलाफ सितंबर 2000 में दुष्कर्म और एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। उस पर खेत पर जा रही अनुसूचित जाति की महिला को झाड़ी में खींचकर दुष्कर्म करने का आरोप था। आजीवन कारावास की सजा मिलने पर वह जेल में निरुद्ध है। बीस साल कैद में रहने के दौरान विष्णु ने जेल प्रशासन के माध्यम से शासन को अपनी रिहाई के लिए याचिका भेजी थी। याचिका निरस्त होने के बाद बंदी की ओर से विधिक सेवा समिति के अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे बंदियों को 14 साल बाद रिहा करने की शक्तियों का इस्तेमाल न करने पर राज्य सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की। कहा कि यह बेहद दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है कि गंभीर अपराध न होने के बावजूद आरोपित 20 साल से जेल में है। राज्य सरकार ने सजा के 14 साल बीतने पर भी उसकी रिहाई के कानून पर विचार नहीं किया। जेल से दाखिल उसकी अपील भी 16 साल से दोषपूर्ण रही।हाईकोर्ट ने दुष्कर्म का आरोप साबित न होने पर आरोपित को तत्काल रिहा करने का आदेश जारी किया।
विष्णु को ललितपुर से अप्रैल 2003 में आगरा केंद्रीय कारागार स्थानांतरित किया गया था। वह तभी से यहां पर है। उसे केंद्रीय कारागार के सर्किल नंबर चार की बैरक में रखा गया है। इसमें विष्णु के साथ 80 से ज्यादा बंदी निरुद्ध हैं। सभी साथी बंदी उसके व्यवहार के कायल हैं।बताया जाता हैं केंद्रीय कारागार में आने पर मशक्कत के समय विष्णु से पूछा गया था कि वह कौन सा काम करना चाहता है। इस पर उसने मैस में काम करने की इच्छा जताई थी। वह तभी से जेल की मेस में रसोइया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विष्णु की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। वह जेल-प्रशासन को अपनी रिहाई का परवाना मिलने का इंतजार कर रहा है।
रिहा होने पर खोलेगा ढाबा
हाईकोर्ट द्वारा उसकी रिहाई का आदेश देने की जानकारी विष्णु को भी है। बताया जाता है कि साथी बंदियों से उसका कहना था कि बाहर निकलने के बाद उसकी योजना समाज में खुद को पुर्नस्थापित करने के ढाबा खोलने की है।
बंदी की रिहाई का परवाना जेल-प्रशासन को अभी तक नहीं मिला है।
वीके सिंह वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार