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World Radio Day 2021: बदले जमाने में दिल से मन की आवाज बना गया रेडियो

World Radio Day 2021 13 फरवरी काे है विश्व रेडियो दिवस। तकनीक के तूफान के बीच आज भी जला रहा है रेडियो का दीया। ताजनगरी में पिछले कुछ सालों में सात रेडियो स्टेशन खुले कर रहे लोगों का मनोरंजन।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 04:45 PM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 04:45 PM (IST)
World Radio Day 2021: बदले जमाने में दिल से मन की आवाज बना गया रेडियो
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के दौरान। फाइल फोटो

आगरा, जागरण संवाददाता। अभी-अभी झुमरी तलइया से वीर बहादुर व आगरा से गीतम सिंह का टेलीग्राम हमें प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने किसी खास के लिए एक अजनबी हसीना से यूं मुलाकात हो गई गाना सुनाने का अनुरोध किया है। उनकी फरमाइश पर पेश है यह गीत।’ गाना बज उठा। गीतम सिंह खुशी से उछले और अपने पुराने रेडियो को सिग्नल पहुंचाने के लिए एत्मादपुर वाले घर की पुरानी सीढ़ियों से दूसरी छत पर छलांग लगा दी। यह जुनून सिर्फ गीतम में ही न था। उस दौर में दिल की बात को जुबां देने वाले हर एक का यही हाल था। सालों तक लाेगों की दिल की आवाज बने रेडियो ने बदले जमाने में अब दिल से मन तक का सफर तय कर लिया है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘मन की बात’ के लिए रेडियो को माध्यम चुना और लोगों की दीवानगी को और बढ़ा दिया।

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13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस है। भले ही आज मनोरंजन के लिए जरिए बहुत सारे हैं। स्मार्ट फोन, टीवी, कंप्यूटर व इंटरनेट वगैरह-वगैरह, मगर रेडियो की जगह किसी ने नहीं ली। तकनीक के इस तूफान में रेडियो का दीया जलता रहा। मोबाइल फोन में रेडियो सुनने की सुविधा आ जाने इसे फिर से नया जीवन मिला। रेडियो से दूर हो रही आज की पीढ़ी एफएम रेडियो के जरिए फिर से जुडऩे लगी है। शहर में बढ़ती एफएम रेडियो चैनल्स की संख्या इसकी तसदीक कर रही है कि नये कलेवर में 'रेडियो' फिर से छा रहा है। महज कुछ साल पहले तक ताजनगरी में रेडियो चैनल के नाम पर सिर्फ आकाशवाणी का नाम लिया जाता था। आकाशवाणी के सतरंगी सांस्कृतिक कार्यक्रम लोगों के दिलों पर राज कर रहे थे। आकाशवाणी रेस में अकेला था लेकिन टीवी के लोकप्रिय हो जाने से आकाशवाणी गूंज थोड़ी नरम पड़ने लगी। इस बीच मोबाइल उत्पादक कंपनियों में फोन पर ही एक स्विच पर एफएम रेडियो सुनना आसान बनाया। फिर क्या था, रेडियो की गूंज चाय की दुकान से लेकर बेडरूम व छात्रों के स्टडी रूम तक सुनाई पड़ने लगी।

शहर में लगी रेडियो चैनल्स की झड़ी

आज से करीब 15 साल पहले तक आगरा में सिर्फ आकाशवाणी पर कार्यक्रम सुना करते थे। इस बीच शहर में प्राइवेट रेडियो चैनल ने कदम रखा। देखते ही देखते ही यहां एफएम चैनल ने ऐसी लोकप्रियता पकड़ी, जिसकी उम्मीद नहीं थी। पिछले कुछ साल में सात एफएम रेडियो चैनल्स की शुरुआत हुई है। जो इस बात का प्रमाण है कि एफएम रेडियो के जरिए ही सही, रेडियो लोगों से फिर से जुडऩे लगा है।

प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात से बढ़ी रेडियो की लोकप्रियता

देश के लोगों से संवाद स्थापित करने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात करने को रेडियो को चुना। तीन अक्टूबर 2013 को उन्होंने मन की बात कार्यक्रम की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को सुनने के लिए घरों में फिर से रेडियो की आवाज सुनाई देने लगी है। गांवों में एक बार फिर से चौपालों पर रेडियो के चारों तरफ बैठे हुए लोग दिखाई देने लगे हैं। प्रधानमंत्री ने मन की बात के जरिए रेडियो की लोकप्रियताा को फिर से बढ़ा दिया है।

अभी भी जेहन में हैं पुरानी यादें

मेरे दादा को रेडियो से ज्यादा मतलब नहीं रहा करता था। जब वह सो जाते थे तो मैं चुपके से बिनाका गीत माला या और गाने सुनने के लिए रेडियो खोलता था। ऐसा जुनून था कि खाना भले न मिले पर रेडियो सुनने का मौका जरूर मिल जाए। 73 साल का हो गया हूं लेकिन अभी भी रेडियो से लगाव उसी तरह का है। रामबाग निवासी ब्रजपाल सिंह के जेहन में 1965 की पुरानी बातें ताजा हैं। इसी तरह कैंट निवासी रघुवीर शुक्ला भी अपनी पुरानी यादों में खो गए। उन्हाेंने बताया कि क्रिकेट मैच की कमेंट्री सुनने के लिए रेडियो का इंतजाम किया जाता था। गांव की चौपाल पर रेडियो के इर्दगिर्द सभी लोग बैठे रहते थे। सिग्नल कम आने के चलते आवाज कटी-कटी आती थी। चारों तरफ घूम-घूमकर सिग्नल तलाशे जाते थे। वो भी क्या दौर था, जब सब एक साथ रेडियो सुना करते थे। 


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