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DEI: विज्ञान के औजारों का हो ठीक से विकास, तभी बड़े दायरे में होगी पहुंच संभव

DEI डीईआइ एट 40 के अवसर पर हुआ विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के डा. मनु प्रकाश ने रखे विचार। उन्होंने मितव्ययी नवाचार जिज्ञासा प्रेरित विज्ञान का जनतांत्रीकरण विषय पर व्याख्यान दिया। कोविड-19 के लिए लार के जरिए तेजी से पता लगाने वाला कम लागत का यंत्र बनाया गया।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 05:57 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 05:57 PM (IST)
DEI: विज्ञान के औजारों का हो ठीक से विकास, तभी बड़े दायरे में होगी पहुंच संभव
डीईआइ एट 40 के अवसर पर कार्यक्रम प्रस्तुत करते छात्र।

आगरा, जागरण संवाददाता। विज्ञान के औजारों का अगर ठीक से विकास कर लिया जाए तो विज्ञान की समाज के बड़े दायरे में पहुंच संभव होगी और वैज्ञानिक शिक्षा का प्रसार भी संभव होगा। यह कहना था स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय अमरीका के जैव अभियांत्रिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनु प्रकाश का, वे दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में डीईआई एट 40 के अवसर पर विशिष्ट व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

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उन्होंने मितव्ययी नवाचार: जिज्ञासा प्रेरित विज्ञान का जनतांत्रीकरण विषय पर व्याख्यान दिया। डा. प्रकाश ने कहा कि अभियांत्रिकी के अधुनातन संकटों पर विचार करते हुए सबसे पहले हमारा ध्यान किसी भी निर्माण की लागत की ओर जाना चाहिए क्योंकि इससे निर्माण की पहुंच कुछ सौ लोगों के बीच से निकलकर लाखों तक हो जाती है।अपने द्वारा निर्मित कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं का भी उन्होंने उल्लेख किया, जिसमें सामान्य से कम लागत में फोल्डस्कोप (कम लागत वाली माइक्रोस्कोप), ओस्कैन (मुख कैंसर को स्कैन करने की मशीन), पंचकार्ड माइक्रोफ्लुइडिक्स (रसायन विज्ञान किट), वेक्टरकैप और एबज़ (मच्छर प्रजातियों का पता लगाने और पहचानने के लिए ), पेपरफ्यूज ,मलेरिया स्कोप (डायग्नोस्टिक्स), प्लैंकटोन स्कोप(महासागर की विविधता का पता लगाने का यंत्र ) और कोविड-19 के लिए लार के जरिए तेजी से पता लगाने वाला कम लागत का यंत्र बनाया गया है। डा. प्रकाश ने कहा कि स्टैनफोर्ड में उनकी प्रयोगशाला ने कोविड-19 का पता लगाने के लिए सिर्फ एक डालर के चिकित्सा उपकरण का आविष्कार किया है।

व्याख्यान में डीईआइ की शिक्षा सलाहकार समिति के अध्यक्ष प्रो. पीएस सत्संगी ने रोजमर्रा के आचरण में स्वच्छता के महत्व का उल्लेख किया। कार्यक्रम की शुरुआत में, प्रो. सी मारकन ने विशिष्ट व्याख्यान की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी। प्रो. के स्वामी दया ने संस्थान द्वारा किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा की। डा. बानी दयाल धीर ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और प्रो. सी पटवर्धन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। 


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