DEI: कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली है ज्ञान का भंडार, मिशिगन के प्रोफेसर ने बताई प्रभावी योजना
DEI दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में हीरक जयंती व्याख्यान का हुआ आयोजन। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रो. सी मारकन ने हीरक जयंती स्मृति व्याख्यान की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी। सांस्कृतिक आयोजन भी किए गएकव्वाली तथा नन्हें-मुन्हें बच्चों की ओर से स्वास्थ्य-रक्षा पीटी प्रस्तुत किया गया।
आगरा, जागरण संवाददाता। दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में आज हीरक जयंती व्याख्यान का आयोजन दीक्षांत सभागार में किया गया। इस अवसर पर मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. कल्याणमय देब ने ज्ञान की खोज: कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली काम करती है पर व्याख्यान दिया।
प्रो. देब ने कहा कि दुनिया को जानने की जिज्ञासा ने मनुष्य को एक बेहतर स्थिति प्रदान की है। नई तकनीक की उपलब्धता के चलते मनुष्य का मस्तिष्क अब सिर्फ कैसे के प्रश्न तक ही सीमित नहीं रह गया है बल्कि अब वह क्यों तक पहुंचना चाहता है। व्याख्यान में उन्होंने तेजी से उभरते इस विषय की ओर ध्यान आकृष्ट किया कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता की व्याख्या की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कृत्रिम बौद्धिकता के क्षेत्र में व्यवस्थित तरीके से इस बात को बताया जा सका है कि नियंत्रण प्रणाली कैसे काम करती है। उन्होंने यह भी बताया कि मिशिगन यूनिवर्सिटी के क्वाइन लैब में इस दिशा में भी शोध चल रहा है कि कैसे खेल, वाहन नियंत्रण आदि ज्यादा जटिल क्षेत्रों में भी कृत्रिम बौद्धिकता को ज्यादा प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रो. सी मारकन ने हीरक जयंती स्मृति व्याख्यान की पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी दी। वहीं प्रो. के. स्वामी दया ने दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में कृत्रिम बौद्धिकता के संबंध में किए जा रहे उल्लेखनीय कार्यों का विवरण दिया। डा. प्रेम सुधीश ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और प्रो. सी. पटवर्धन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।इस अवसर पर डीईआइ में शिक्षा की प्रगति तथा इसके विभिन्न आयामों को दर्शाते हुए एक लघु वीडियो फिल्म भी दिखाई गयी। साथ ही सांस्कृतिक आयोजन भी किए गए,कव्वाली तथा नन्हें-मुन्हें बच्चों की ओर से स्वास्थ्य-रक्षा पीटी प्रस्तुत किया गया।