Turtle Smuggling: दो तस्करों के पकड़े जाने के बाद नेटवर्क खंगाल रही पुलिस, ये है कछुआ तस्करी का तरीका
Turtle Smuggling कई राज्यों में आन डिमांड भी देते थे कछुओं की सप्लाई। एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद के नेतृत्व में टीम ने बुधवार को लोहामंडी से अक्की और आवास विकास कालोनी सेक्टर 12 निवासी सुनील को गिरफ्तार कर लिया।
आगरा, जागरण संवाददाता। कछुआ तस्कर वाट्सएप ग्रुप बनाकर कछुओं की डील कर रहे थे। कई राज्यों में आन डिमांड भी कछुओं की सप्लाई हो रही थी। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए दो तस्करों से पूछताछ में पुलिस को तस्करों के गैंग के बारे में जानकारी हो गई। अभी उनके नेटवर्क के बारे में जानकारी की जा रही है।
एसपी सिटी बोत्रे रोहन प्रमोद के नेतृत्व में टीम ने बुधवार को लोहामंडी से अक्की और आवास विकास कालोनी सेक्टर 12 निवासी सुनील को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को पुलिस तस्कर बता रही है। दोनों से पांच कछुआ बरामद हुए हैं। इनमें से एक बीस नाखूनों वाला दुर्लभ कछुआ है। जबकि अन्य सामान्य हैं। दोनों तस्करों के मोबाइल की जांच की ताे उसमें तमाम कछुओं के फोटो मिले। दोनों एक वाट्सएप ग्रुप भी चला रहे थे। इस पर कछुओं के फोटो डालकर डील की जाती थी। इसके साथ ही लोग इस ग्रुप पर अपनी डिमांड भी रखते थे। करीब डेढ़ वर्ष से कछुआ तस्करी का यह खेल चल रहा था। इन कछुओं को चंबल सेंचुरी क्षेत्र से लाया जाता था। चंबल और यमुना नदी से इन कछुओं को लाने वाले एजेंट थे। सस्ते में खरीदने के बाद तस्कर इन्हें महंगे दामों में बेचते थे। दिल्ली, मप्र व अन्य कई राज्यों में इनका नेटवर्क है। पुलिस अब दोनों तस्करों के मोबाइल से उनके नेटवर्क के बारे में पता कर रही है।
सीओ लोहामंडी रितेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार अक्की और सुनील के खिलाफ वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। गिरफ्तार तस्करों से नेटवर्क के संबंध में पूछताछ की जा रही है।
तिलकधारी कछुओं की मांग
पुलिस ने बताया कि लाल तिलकधारी कछुओं की सबसे ज्यादा मांग विदेश में होती है। यह तीन से साढ़े तीन लाख रुपयों में बिकता है। इसी तरह 20 नाखून वाले कछुओं की ज्यादा मांग है। इसकी भी कीमत काले बाजार में तीन लाख तक है। भारत में इनकी कीमत 50 हजार रुपये तक है। तिलकधारी कछुए की प्रजाति चंबल नदी में पाई जाती है। इनको बचाने के लिए वन विभाग की टीम कार्य कर रही है। तस्कर चोरी छिपे कछुओं को ले जाते हैं। इसके बाद इन्हें बेच दिया जाता है।