Make Small Strong: स्वाद के साथ ही आतिथ्य भी परोसा जाता है 'चोखो जीमण' में
Make Small Strong रेस्तरां जमाने के लिए ग्राहकों का विश्वास जीतना पड़ता है। उनके स्वाद के साथ ही गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। चोखो जीमण के संचालक संजीव जैन का कहना है हम स्वाद से समझौता नहीं करते। इसलिए मसाले भी खुद ही तैयार कराते हैं।
आगरा, राजीव शर्मा। जब तक कोई कारोबार मन और लगन से न किया जाए, तब तक अलग पहचान बनाना मुश्किल होता है। खासतौर से कारोबार जब किसी के स्वाद और आतिथ्य से जुड़ा हुआ हो। इसमें ग्राहक की पसंद का बेहद खास ध्यान रखना पड़ता है। मगर, 'चोखो जीमण' में ग्राहक अपनी नहीं, वहां की पसंद के स्वाद का लुत्फ लेने जाता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं राजस्थानी शैली के बीच मारवाड़ी स्वाद के लिए विख्यात 'चोखो जीमण' रेस्तरां की। झोपड़ी में 'चोखो जीमण' की शुरुआत करने वाले संजीव जैन ने अपने स्वजन की मदद से एक बड़े रेस्तरां के रूप में स्थापित कर दिया है। साथ ही होटल भी संचालित कर रहे हैं।
संजीव जैन बताते हैं कि लगभग 20 साल पहले परिवार को संभालने के लिए उनकी माताजी स्नेहलता जैन ने दिल्ली गेट पर छोटा सा गेस्ट हाउस शुरू किया था। तब उनके गेस्ट हाउस के एक कमरे का बमुश्किल 40-50 रुपये किराया था। पढ़ाई खत्म करने के बाद वह भी अपने माताजी के साथ कारोबार में हाथ बंटाने लगे। लगा कि इससे गुजर नहीं होने वाली। साथ ही कुछ आगे बढऩे की लगन और जुनून भी था। ऐसे में उन्होंने गेस्ट के ही एक हिस्से में बाहर एक झोपड़ीनुमा टीनशेड में मारवाड़ी भोजन की शुरुआत की। गेस्ट हाउस में ठहरने वाले अतिथियों के साथ-साथ बाहर के लोग भी उनके यहां खाना खाने आते थे। संजीव का कहना है कि स्वाद का शुरू से ही ध्यान रखा गया। इसी का परिणाम रहा कि डिमांड बढऩे के साथ ही 2-3 साल बाद ही उन्हें काम बढ़ाना पड़ा। गेस्ट हाउस ने होटल का रूप ले लिया। तब तक उनकी पत्नी संगीता जैन भी कारोबार में हाथ बंटाने लगीं। मां ने होटल और रेस्तरां का काउंटर संभाला, पत्नी ने रसोई और वे खुद बाहर व अन्य चीजों को मैनेज करने में जुटे। यही कारण है कि 'चोखो जीमण' के स्वाद में शुरू से लेकर अब तक कोई बदलाव नहीं आया। संजीव बताते हैं कि खाने में मसालों और चिकनाई का बेहद ध्यान रखा जाता है। शहरवासियों को मारवाड़ी स्वाद ऐसा पसंद आया कि उनके कुछ ग्राहक तो ऐसे हैं कि लगभग हर रोज उनके रेस्तरां में भोजन करने आते हैं। कहते हैं कि हम गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं करते। साथ ही रेट भी सामान्य हैं। सोशल मीडिया के साथ ही माउथ पब्लिसिटी ने उन्हें स्थापित कर दिया है।
संजीव जैन कहते हैं कि खाने से संबंधित काम काफी संवेदनशील होता है। एक दिन का हल्का खाना आपकी सालों की बेहनत पर पानी फेर सकता है। इसलिए रेस्तरां की रसोई में जो भी बनता है, उनकी पत्नी संगीता जैन की निगरानी में पकता है। जब तक वह संतुष्ट नहीं हो जातीं, तब तक वह ग्राहक को नहीं परोसा जाता। कहते हैं कि हमारा मकसद होता कि ग्राहक के मुंह में जब पहला निवाला जाए, वह उसके स्वाद में खो जाए। इसलिए हम मसाले भी खुद ही तैयार करवाते हैं। सब्जी से हर रोज सुबह ताजी सब्जियां लाई जाती हैं। गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं किया। रेस्त्रां को राजस्थानी शैली में सजाया गया है। कहते हैं कि हमारा पूरा फोकस खाने की गुणवत्ता और सर्विस पर रहता है। होटल 'आगमन यात्री निवास' का संचालन भी हम ऐसे ही करते हैं। कमरे में मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ उसके आदर-सत्कार पर पूरा जोर दिया जाता है। स्वच्छता पर विशेष ध्यान रहता है। काम के सिलसिले में अक्सर आगरा आने वाले बहुत से यात्री सालों से उन्हीं के ठहरते आ रहे हैं। ग्राहकों के साथ विश्वास का ऐसा रिश्ता बन गया कि आने से पहले वह फोन पर हमें सूचित कर देते हैं और हम उनके लिए कमरा बुक कर लेते हैं।
संजीव जैन बताते हैं कि उनका स्टाफ काफी व्यवहारिक है। कई कर्मचारी तो सालों से उनके यहां काम कर रहे हैं। उनके साथ भी एक अलग रिश्ता बन गया है। कोरोना काल के मुश्किल समय में भी वह अपने स्टाफ के साथ खड़े रहे। हर संभव मदद की। अनलाक प्रक्रिया में जब होटल व रेस्तरां खुला तो कोविड-19 की रोकथाम के लिए जारी की गई गाइडलाइन का पूरा पालन किया।