पीएम केयर्स फंड की 'आक्सीजन' से एसएन की फूली 'सांस'
-बगैर मांग ही भेज दिए 100 वेंटीलेटर मेडिकल कालेज में इंस्टाल की स्थिति नहीं - मौजूदा मरीजों के लिए पर्याप्त इंतजाम उपकरणों की पैकिंग भी नहीं खुली
आगरा, जागरण संवाददाता। कोविड मरीजों के उपचार के लिए शुरुआत में संसाधनों को लेकर एसएन मेडिकल कालेज हिचकियां ले रहा था। इसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा संसाधन उपलब्ध करा दिए गए। बगैर मांग के ही पीएम केयर्स फंड द्वारा 100 वेंटीलेटर के रूप में दी गई जबरदस्ती की आक्सीजन से एसएन की सांस फूलने लगी है। इन उपकरणों के इंस्टाल की जरूरत है ही नहीं, इनके संचालन के लिए विशेषज्ञ भी नहीं हैं।
एसएन मेडिकल कालेज में 220 बेड के दो कोविड हास्पिटल हैं। इसमें 24 बेड का सघन चिकित्सा कक्ष (आइसीयू) और 20 बेड की हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू)है। आइसीयू में वेंटीलेटर हैं।
पीएम केयर्स फंड की ओर से एसएन में दो महीने पहले 10 वेंटीलेटर भेजे गए थे। ये स्टोर में रखवा दिए गए। पिछले 30 दिनों में दो किस्तों में 90 वेंटीलेटर और आ चुके हैं। इन उपकरणों की कीमत करीब तीन करोड़ है। इन वेंटीलेटर को इंस्टाल करने के लिए एसएन में अब जगह ही नहीं है। एसएन ने इस फंड को वेंटीलेटर के लिए कोई डिमांड नहीं की थी। इस फंड से अब 50 वेंटीलेटर और भेजे जाने की संभावना है।
एसएन में छह एनेस्थीसिया विशेषज्ञ हैं। इनकी 12-12 घंटे के लिए ड्यूटी लगाई जा रही है। इसमें से तीन विशेषज्ञ संक्रमित हो चुके हैं। यानी वर्तमान में केवल तीन विशेषज्ञ सक्रिय हैं। आइसीयू के लिए पैरामेडिकल स्टाफ और वार्ड ब्वॉय की भी कमी है।
प्राचार्य डा. संजय काला ने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए कोविड हास्पिटल में पर्याप्त वेंटीलेटर हैं। जरूरत पड़ने पर पीएम केयर्स फंड से प्राप्त वेंटीलेटर प्रयोग में लाए जाएंगे। ये हैं मानक
-आइसीयू में 12 बेड पर 24 घंटे के लिए एक एनेस्थीसिया विशेषज्ञ, तीन-चार जूनियर डाक्टर और हर मरीज पर एक नर्स होनी चाहिए।
-वेंटीलेटर पर शिफ्ट करने के लिए मरीज के गले में नली (इंटूबेशन) डाली जाती है, यह एनेस्थीसिया विशेषज्ञ ही करते हैं। ये है स्थिति
-एसएन में कोविड हास्पिटल में बेड 220, भर्ती हैं 40 मरीज
-आइसीयू में बेड 24, यहां भर्ती हैं 15 मरीज
-72 वेंटीलेटर है कोविड हास्पिटल, नान कोविड आइसीयू और एसएन इमरजेंसी में
-15 एचएफएनसी
-12 बायपेप
वेंटीलेटर पर 10 फीसद मरीजों की बच रही जान
कोरोना संक्रमित मरीज की सांस फूलने पर आक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है। खून में आक्सीजन की मात्रा कम होने पर बाईपेप से आक्सीजन दी जाती है। इसके बाद भी आक्सीजन की मात्रा कम रहती है तो हाई फ्लो नैजल कैनुअला (एचएफएनसी) से 50 से 60 लीटर तक आक्सीजन दी जा सकती है। इस चिकित्सा से 80 फीसद मरीजों की जान बच सकती है।