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New Education Policy 2020: विश्वविद्यालय के शैक्षिक पारिस्थितिक तंत्र को सुधारने की है आवश्यकता- प्रो. अशोक मित्तल

New Education Policy 2020 आंबेडकर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन समिति की हुई पहली बैठक। बैठक में उप-समितियों का किया गया गठन क्रियान्वयन में करेंगी सहयोग। एफईटी ने कराया वेबिनार छात्रों ने जाने नौकरी पाने के टिप्स।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 05:31 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 05:31 PM (IST)
New Education Policy 2020: विश्वविद्यालय के शैक्षिक पारिस्थितिक तंत्र को सुधारने की है आवश्यकता- प्रो. अशोक मित्तल
आंबेडकर विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन समिति की हुई बैठक।

आगरा, जागरण संवाददाता। विश्वविद्यालय के शैक्षिक पारिस्थितिक तंत्र को सुधारने की आवश्यकता है। यह कहना था डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल का। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विश्वविद्यालय में क्रियान्वयन के लिए बनाई गई समिति की पहली बैठक में बोल रहे थे। बृहस्पति भवन में हुई बैठक में नई शिक्षा नीति के अनुरूप विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों और आधारभूत संरचनाओं में क्या परिवर्तन अपेक्षित है, इस पर विस्तार से चर्चा की गई।

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बैठक का शुभारंभ करते हुए कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने कहा कि उन्होंने कहा कि शिक्षा में स्वायत्तता होनी चाहिए, किंतु कर्तव्यबद्धता के साथ। प्रो. मित्तल ने कहा कि इस समिति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप विश्वविद्यालय के शैक्षिक ढांचे में सुधार का ब्लूप्रिंट बनाना है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रो. सुगम आनंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में आर्थिक विकास और रचनात्मक व्यक्तित्व विकास के उद्देश्य के साथ प्रतिपादित की गई है। इसमें विद्यार्थियों को मनचाहे विषयों को पढ़ने की स्वतंत्रता होगी और हर वर्ष के पाठ्यक्रम से शैक्षिक और बौद्धिक लाभ मिलेगा। ऑनलाइन लर्निंग के साथ लचीला पाठ्यक्रम भी उपलब्ध होगा। आन्तरिक गुणवत्ता सुनश्चयन प्रकोष्ठ(आइक्यूएसी) के सदस्य प्रो. अजय तनेजा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। डा. अरुणोदय बाजपेई ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तीन प्रमुख अवयवों का उल्लेख किया। प्रो. वीके सारस्वत ने लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम के विकास पर जोर दिया। सेंट जोंस कॉलेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह ने कहा कि मूल्यांकन की एक मानक व्यवस्था लागू होनी चाहिए तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया जाना चाहिए। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उप-समितियों का गठन किया गया। पाठ्यक्रम संरचना समिति में प्रो. अजय तनेजा, डा.एसपी सिंह, डा. सीमा भदौरिया, डा. गौरंग मिश्रा व अंकित गुप्ता होंगे। डिजिटल संसाधन विकास समिति में डा. अरविंद मिश्रा,प्रो. विनीता सिंह, प्रो. वीके सारस्वत और डा. संजय जैन हैं। मूल्यांकन व्यवस्था विकसित समिति में प्रो. मनोज श्रीवास्तव, प्रो. लवकुश मिश्रा व डा. अरूणोदय बाजपेई है।आधारभूत ढांचे में परिवर्तन समिति में प्रो. मोहम्मद अरशद व डा.विनोद कुमार हैं।

कंपनी के अनुसार काम ही दिलाएगा मनचाहा पैकेज

सिर्फ किताबी ज्ञान से काम नहीं चलेगा, कंपनी के अनुसार ही काम करना सीखा होगा तभी मनचाहा पैकेज मिलेगा।यह कहना था कॉरपोरेट ट्रेनर वैभव मेंहदीरत्ता का। वे आगरा कालेज के फैकल्टी अॉफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी(एफईटी) द्वारा आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।वेबिनार का विषय आज के कोरोना काल में कंपनियों में नौकरी की संभावनाएं था। वैभव ने बताया कि लाखों छात्र प्रतिवर्ष पास होते है, लेकिन चुनिंदा ही नौकरी पाते है।कंपनियां चाहकर भी सभी को नौकरी नहीं दे पाती हैं, क्योंकि उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज वाल छात्र नहीं मिल पा रहे है।आज के छात्र को टेक्नोलॉजी के साथ टेक्नोलॉजी बिजनेस का ज्ञान भी आना चाहिए। पायथन, गूगल एनालिटिक्स, डाटा साइंस में अनेक अवसर है। वेबिनार में छात्रों ने सवाल भी पूछे। वेबिनार के समन्वयक एवं प्लेसमेंट इंचार्ज डा. अनुराग शर्मा ने सभी का धन्यवाद दिया।राहुल जैन, राहुल अंशुमाली, दीपक पाठक,डा. अनुज पाराशर, अनुराग यादव आदि का सहयोग रहा।


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