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Ram Mandir Bhumi Pujan: PM Modi ने शिलान्यास से पहले जिस पौधे को रोपा, जानिए क्या है उसकी विशेषता

Ram Mandir Bhumi Pujan पारिजात या हरसिंगार उन प्रमुख वृक्षों में से एक है जिसके फूल ईश्वर की आराधना में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 12:50 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 12:50 PM (IST)
Ram Mandir Bhumi Pujan: PM Modi ने शिलान्यास से पहले जिस पौधे को रोपा, जानिए क्या है उसकी विशेषता
Ram Mandir Bhumi Pujan: PM Modi ने शिलान्यास से पहले जिस पौधे को रोपा, जानिए क्या है उसकी विशेषता

आगरा, तनु गुप्ता। सदियों से जिस दिन का इंतजार हर भारतीय को था, जो स्थल भारत की संस्कृति की पहचान है आखिरकार उस स्थल पर रामलाल के भव्य मंदिर के निर्माण की घड़ियां आ गइर् हैं। प्रधान मेंत्री नरेंद्र मोदी आयोध्या में राम मंदिर शिलान्यास करने पहुंच चुके हैं। हनुमान गढ़ी में हनुमान जी को दर्शन के बाद राम लाल के दर्शन उन्होंने किये। इसके बाद शिलान्यास स्थल पर प्रस्थान करने से पूर्व उन्होंने एक विशेष कार्य भी संपन्न किया। प्रधानमंत्री मोदी ने पारिजात के पौधे का रोपण पवित्र कायर् से पूर्व किया। आखिर पारिजात का वृक्ष ही क्यों। ये सवाल बार बार मन में कौधने लगा। इस बाबत धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी ने जानकारी दी कि पारिजात वृक्ष गुणाें से परिपूर्ण वृक्ष है। पारिजात या 'हरसिंगार' उन प्रमुख वृक्षों में से एक है, जिसके फूल ईश्वर की आराधना में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसे प्राजक्ता, परिजात, हरसिंगार, शेफालिका, शेफाली, शिउली भी कहा जाता है। उर्दू में इसे गुलज़ाफ़री कहा जाता है। हिन्दू धर्म में इस वृक्ष को बहुत ही ख़ास स्थान प्राप्त है। पारिजात का वृक्ष बड़ा ही सुन्दर होता है, जिस पर आकर्षक व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग विविध प्रकार की औषधि आदि के रूप में भी किया जाता है। यह माना जाता है कि पारिजात के वृक्ष को छूने मात्र से ही व्यक्ति की थकान मिट जाती है। 

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कैसा होता पारिजात का वृक्ष

हॉर्टिकल्चरिस्ट अनीता यादव  के अनुसार परिजात का वृक्ष दस से पन्द्रह फीट ऊंचा होता है। किसी-किसी स्थान पर इसकी ऊंचाई 25 से 30 फीट तक भी होती है। विशेष रूप से पारिजात बाग- बगीचों में लगा हुआ मिलता है। इसके फूल बड़े ही आकर्षक होते हैं। इस वृक्ष की यह विशेषता भी है कि इसमें फूल बहुत बड़ी मात्रा में लगते हैं। चाहे फूल प्रतिदिन तोड़े जाएं, किंतु फिर भी अगले दिन फूल बड़ी मात्रा में लगते हैं। यह वृक्ष मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में अधिक पैदा होता है। 

क्या है मान्यता

पंडित वैभव बताते  हैं कि हरिवंशपुराण' में एक ऐसे वृक्ष का उल्लेख मिलता है, जिसको छूने से देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती थी। एक बार नारद मुनि इस वृक्ष से कुछ फूल इन्द्र लोक से लेकर कृष्ण के पास आये। कृष्ण ने वे फूल लेकर पास बैठी अपनी पत्नी रुक्मणी को दे दिये। इसके बाद नारद कृष्ण की दूसरी पत्नी सत्यभामा के पास गए और उनसे यह सारी बात बतायी। सत्यभामा को नारद ने बताया कि इन्द्र लोक के दिव्य फूल कृष्ण ने रुक्मणी को दे दिए हैं। यह सुन कर सत्यभामा को क्रोध आ गया और उन्होंने ने कृष्ण के पास जा कर कहा कि उन्हें पारिजात का वृक्ष चाहिए। कृष्ण ने कहा कि वे इन्द्र से पारिजात का वृक्ष अवश्य लाकर सत्यभामा को देंगे। पारिजात के फूल नारद जी इस तरह से झगड़ा लगा कर इन्द्र के पास आये और कहा कि स्वर्ग के दिव्य पारिजात को लेने के लिए कुछ लोग मृत्यु लोक से आने वाले हैं, पर पारिजात का वृक्ष तो इन्द्र लोक की शोभा है और इसे यहीं रहना चाहिए। जब कृष्ण सत्यभामा के साथ इन्द्र लोक आये तो इन्द्र ने पारिजात को देने का विरोध किया, पर कृष्ण के आगे वे कुछ न कर सके और पारिजात उन्हें देना ही पड़ा, लेकिन उन्होंने पारिजात वृक्ष को श्राप दे दिया कि इसका फूल दिन में नहीं खिलेगा। कृष्ण सत्यभामा की जिद के कारण पारिजात को लेकर आ गए और उसे सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया गया। किंतु सत्यभामा को सीख देने के लिए ऐसा कर दिया कि वृक्ष तो सत्यभामा की वाटिका में था, लेकिन पारिजात के फूल रुक्मणी की वाटिका में गिरते थे। इस तरह सत्यभामा को वृक्ष तो मिला, किंतु फूल रुक्मणी के हिस्से आ गए। यही कारण है पारिजात के फूल हमेशा वृक्ष से कुछ दूर ही गिरते हैं।

देवी लक्ष्मी को प्रिय

धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प प्रिय हैं। उन्हें प्रसन्न करने में भी पारिजात वृक्ष का उपयोग किया जाता है। यदि ओम नमो मणिंद्राय आयुध धराय मम लक्ष्मी़वसंच्छितं पूरय पूरय ऐं हीं क्ली हयौं मणि भद्राय नम: मन्त्र का जाप 108 बार करते हुए नारियल पर पारिजात पुष्प अर्पित किये जाएं और पूजा के इस नारियल व फूलों को लाल रंग कपड़े में लपेटकर घर के पूजा घर में स्थापित किया जाए तो लक्ष्मी सहज ही प्रसन्न होकर साधक के घर में वास करती हैं। यह पूजा वर्ष के पांच शुभ मुहर्त- होली, दीवाली, ग्रहण, रवि पुष्प तथा गुरु पुष्प नक्षत्र में की जाए तो उत्तम फल प्राप्त होता है। 

औषधीय गुण

पारिजात में औषधीय गुणों का भी भण्डार है। पारिजात बावासीर रोग के निदान के लिए रामबाण औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के रोगी को राहत मिलती है। इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है। इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते हैं। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। पारिजात की कोंपल को यदि पांच काली मिर्च के साथ महिलाएं सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है।  


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