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Ram Mandir Ayodhya: तन कान्हा मन राम का, पढ़ें मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी का ब्रज से ये खास नाता

Ram Mandir Ayodhya भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में कई ऐसे परिवार हैंजो अयोध्या जाकर राम का किरदार निभा चुके हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 02:35 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 02:35 PM (IST)
Ram Mandir Ayodhya: तन कान्हा मन राम का, पढ़ें मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी का ब्रज से ये खास नाता
Ram Mandir Ayodhya: तन कान्हा मन राम का, पढ़ें मर्यादा पुरुषोत्तम की नगरी का ब्रज से ये खास नाता

आगरा, विनीत मिश्र। जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम ... मथुरा और अयोध्या के बीच भी भाव का यही रिश्ता है। यूं तो वृंदावन की करीब एक सौ से अधिक रामलीला मंडलियां भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में मर्यादा पुरुषोत्तम की लीला का संदेश देती हैं, पर अयोध्या से नाता कुछ खास है। भगवान कृष्ण की लीलास्थली वृंदावन में कई ऐसे परिवार हैं,जो अयोध्या जाकर राम का किरदार निभा चुके हैं। इनका तन जरूर कान्हा की नगरी में है, लेकिन मन अयोध्या की गलियों में विचरण करता है।

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वृंदावन के स्वामी हरिबल्लभ शर्मा उर्फ ठाकुर जी की उम्र 52 बरस हो गई है। 16 पीढिय़ों से परिवार में रामलीला और रासलीला का मंचन होता चला आ रहा है। रामलीला के मंचन में महारत रखने वाले पिता पद्मश्री स्वामी रामस्वरूप के सानिध्य में अभिनय की बारीकियां सीखीं। अयोध्या में रामलीला के मंचन की बात छिड़ी तो रोमांचित हो गए। कहते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम के घर में रामलीला मंचन का आनंद ही अलग है।  हरिबल्लभ करीब 30 वर्ष  पहले अयोध्या की रामलीला में शामिल हुए, तो राम के छोटे स्वरूप का अभिनय किया। उस पल को आज तक नहीं भूल पाया। अंतिम बार 15 साल पहले भी रामलीला में भगवान राम का केवल अभिनय ही नहीं किया, उसे जिया भी। ये सौभाग्य था कि मेरे अभिनय से प्रभावित होकर संत मुझे राम कहने लगे। मुझे महसूस होता कि अयोध्यावासियों से जो प्रेम भगवान राम को मिला, वही मुझे मिला।दुनिया के कई देशों में मंचन किया, लेकिन जो सुख अयोध्या में मिला, वह कहीं और नहीं।

60 वर्षीय स्वामी भुवनेश्वर वशिष्ठ  ढाई बरस की उम्र से लीला के मंचन से जुड़े हैं। रामलीला के लिए अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अयोध्या में कई बार रामलीला और रासलीला की। वह कहते हैं कि जिस समय मंदिर निर्माण को कारसेवा हो रही थी, मैं अपनी मंडली के साथ कारसेवा में शामिल होने गया था। जब विवादित ढांचा ढहने के बाद कफ्र्यू लग गया, तो मैं महंत नृत्य गोपाल दास के वाल्मीकि भवन में रुका। संतों के कहने पर मंडली के साथ 15 दिन तक रामलीला की। जो आनंद अयोध्या की गलियों में मिलता है वह कहीं और नहीं। मेरे पिता स्वामी कन्हैया लाल महाराज ने भी कई बार अयोध्या में रामलीला की।  30 वर्षीय रसिक बिहारी अयोध्या में तीन बार रामलीला का  मंचन कर चुके हैं। आठ वर्ष की उम्र से रामलीला के मंचन से जुड़े हैं। हर बार भगवान राम का अभिनय करते रहे। रसिक कहते हैं कि जब राम के घर में उनकी लीला मंचन करते हैं, तो खुद को भूल जाते हैं।

कृष्ण की धरा से पूरी दुनिया में राम का गुणगान

लीलाधर के नगरी के रामलीला कलाकार पूरी दुनिया में भगवान राम का गुणगान कर रहे हैं। अकेले मथुरा-वृंदावन में करीब एक सौ प्रमुख रामलीला मंडलियां हैं।  वृंदावन के रामलीला मंडली संयोजक स्वामी गिरिराज प्रसाद बताते हैं कि इन मंडलियों में करीब तीन हजार से अधिक पात्र जुड़े हैं। ये देश के विभिन्न स्थानों पर तो रामलीला करने जाते हैं, जबकि कनाडा, संघाई, ङ्क्षसगापुर, नेपाल, थाईलैंड समेत कई देशों में रामलीला की मंडली जाती हैं। वहां 15 दिन रामलीला और रासलीला का आयोजन किया जाता है।  


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