Rakhi 2020: कोरोना योद्धा वर्दी वाले भैया की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध मांगा रक्षा का वचन
Rakhi 2020 रक्षा बंधन पर घर नहीं जा सकने से मायूस थीं महिला पुलिसकर्मी। इंस्पेक्टर और पुलिसकर्मियों ने बंधवाई राखी।
आगरा, जागरण संवाददाता। लोहामंडी थाने में तैनात महिला दारोगा रेनू शर्मा और सिपाही शिवा रक्षा बंधन पर घर नहीं जाने से मायूस थीं। कोरोना वायरस के अलावा ईद उल अजहा और रक्षा बंधन के चलते उन्होंने अवकाश लेने की जगह अपने फर्ज को प्राथमिकता दी। मगर, ड्यूटी के दौरान और बहनाें को भाइयों की कलाई पर स्नेह का धागा बांधते देख उन्हें भी घर की याद सताई तो मायूसी ने घेर लिया।
सोमवार को भोर के साथ रक्षा बंधन का त्योहर मनाया जा रहा है। भाई बहन के इस त्योहर पर कोरोना वायरस संक्रमण का असर साफ दिखाई दे रहा है। बहुत सी बहनों ने वर्चुअल राखी मनाई तो बहुत सी बहनों ने भाई को ही बोल दिया भैया तू ही राखी ले आना एवं खुद ही हाथ पर बांध लेना। वहीं कुछ बहनें अल सुबह ही अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने के लिए निलक पड़ीं। इससे इतर कुछ बहनें वो भी थीं जिन्होंने खाकी वाले रक्षक भाई की कलाई पर राखी सजाई। जी हां, आम से लेकर महिला पुलिस कर्मियों तक ने पुलिस वाले भाई की कलाई पर नेह की डोर बांधी। इन बहनों की नजर वो भाई महान हैं जो वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौर में भी मुस्तैदी से अपना फर्ज निभा रहे हैं।
सोमवार को दोपहर 12 बजे इंस्पेक्टर नरेंद्र कुमार शर्मा,एसआई सतीश कुमार चेकिंग के दौरान बेसन बस्ती ड्यूटी प्वाइंट पर पहुंचे।महिला दारोगा रेनू शर्मा और सिपाही शिवा की मायूसी को भांपते देर नहीं लगी। उन्होंने वहीं पर राखी और मिठाई मंगवाई। रेनू शर्मा और शिवा ने इंस्पेक्टर और वहां ड्यूटी पर तैनात सभी पुलिसकर्मियों का टीका करके स्नेह का धागा बांधा तो खुशी से उनकी आंखें छलक उठीं।
वर्ष 2018 बैच की दारोगा रेनू शर्मा ने बताया कि वह असमौली,संभल की रहने वाली हैं। परिवार में मां के अलावा उनसे बड़ी एक बहन हैं। वह हर साल भाइयों को राखी बांधती हैं। इस वर्ष घर नहीं जाने से मायूस थीं। मगर,उन्हें खुशी है कि पुलिसकर्मी भी उनके परिवार का हिस्सा हैं।
महिला कांस्टेबिल शिवा भी वर्ष 2018 बैच की हैं।लोहामंडी थाने में दो साल से तैनात हैं। शिवा ने बताया कि वह मूलरूप से कमालगंज, फर्रूखाबाद की रहने वाली हैं। परिवार में तीन बहनों में सबसे छोटी हैं। वह हर साल रक्षा बंधन पर भाइयों को राखी बांधने घर जाती थीं। उधर सीओ फतेहाबाद विकास जायसवाल ने अपने सर्किल की 14 महिला सिपाहियों के साथ-साथ डौकी की एक बस्ती की बच्चियों से राखी बंधवाई राखी। बच्चियां खुद ही राखी बांधने पहुंच गई थीं। ये तो महज कुछ थानों की बात है। शहरभर के पुलिस थानों ें अनूठे रक्षाबंंधन का ये नजारा देखने को मिला।
बंदियों ने बांधा बहनों का भेजा स्नेह का धागा
जिला एवं सेंट्रल जेल में रक्षा बंधन पर बंदियों ने बहनों द्वारा भेजा गया स्नेह का धागा बांधा। हालांकि इस बार कोरोना के चलते उनकी कलाई पर राखी बांधने के लिए बहन नहीं आ सकीं। मगर,जेल की चहारदीवारी के अंदर अटूट स्नेह के कच्चे धागे बंदियों तक जरूर पहुंच गए।
डीआइजी कारागार लव कुमार ने बताया कि कोरोना के चलते मुलाकात बंद हैं। शासन के आदेश पर जेलों के गेट पर कोविड हेल्प डेस्क बनाई गयी थी। जिस पर दो बंदी रक्षकों को तैनात किया गया था। इन डेस्क पर दाे अगस्त तक बहनों द्वारा राखी जमा कराइ गयी थीं। जिला जेल पर 194 बंदियों की बहनों ने अपनी राखी लिफाफे में रखवाई।जबकि सेंट्रल जेल पर 60 बहनों ने राखी भेजी थी। लिफाफों पर बंदी का नाम और बैरक संख्या लिखी गयी थी।सोमवार को रक्षा बंधन पर यह राखियां बंदियों काे दी गईं। इससे कि उनकी कलाई सूनी न रह जाए।
पिछले वर्ष सुबह पांच बजे से पहुंच गयी थीं बहनें
भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए इस बार कोरोना वायरस ने बहनों के कदमों को रोक दिया। जबकि पिछले वर्ष रक्षा बंधन पर सुबह पांच बजे से ही बहनें जेलों पर पहुंच गयी थीं। जिला जेल पर एक हजार से ज्यादा जबकि केंद्रीय कारागार पर 200 से ज्यादा बहनों ने आकर राखी बांधी थी।