Rakhi for Modi: कान्हा की जन्मस्थली पर बुनी गई राखी सजाएगी पीएम मोदी की कलाई
Rakhi for Modi हर साल प्रधानमंत्री को राखी बांधने जाती थीं आश्रय सदन की माताएं। इस बार नहीं गईं तो खुद बनाईं पीएम की फोटो लगी राखी।
आगरा, विपिन पाराशर। राखी स्नेह का वह बंधन है जो राजा-प्रजा का भेद नहीं देखती। वृंदावन के विभिन्न आश्रय सदनों में रहने वाली निराश्रित माताओं ने अपने पीएम भइया (प्रधानमंत्री) से स्नेह के नाते को ऐसी ही स्नेह की राखियों में बुना है। उन्होंने प्रधानमंत्री की फोटोयुक्त 510 राखियां अपने हाथों से तैयार की हैं। गुरुवार को यह राखियां दिल्ली भेज दी गईं, जो सोमवार को रक्षाबंधन के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कलाई पर सजेंगी।
वर्ष 2016 से ही वृंदावन की चार-पांच निराश्रित महिलाएं दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री की कलाई पर खुद अपने हाथों से राखी बांधती हैं। इस साल कोरोना ने वह अरमान पूरा नहीं होने दिया, लेकिन उनके हौसले को नहीं डिगा सका। हर बार की तरह इस बार भी उन्होंने अपने हाथों से पीएम नरेंद्र मोदी के लिए राखी बनाईं हैं। हर राखी में बहन का स्नेह ऐसा घुला कि उनकी खूबसूरती देखने लायक थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो लगी 501 विशेष राखी के साथ वृंदावन थीम वाले इतने ही मास्क भी पीएम को भेजे हैं। ये राखियां वृंदावन के मां शारदा और मीरा सागरभग्नि आश्रय सदन में रहने वाली विधवा माताओं ने तैयार किए हैं। वृंदावन के आश्रय सदनों में करीब 750 निराश्रित माताएं रहती हैं।
पिछले साल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में राखी बांधी। वह दिन जीवन का सबसे सौभाग्यशाली दिन था। इस बार कोरोना की वजह से जाने का मौका नहीं मिला तो मायूसी हो रही है। पिछली बार प्रधानमंत्री ने जिस तरह हमारा हालचाल जाना वह बेहद खुशी के पल थे।
ऊषा दासी, विधवा माता
इस बार काफी दिनों से इंतजार कर रहे थे रक्षाबंधन का,लेकिन अनुमति नहीं मिली तो मन खिन्न हो गया। अपने हाथ से मोदी के फोटो की राखी और मोर पंख का मास्क तैयार करके प्रधानमंत्री को भेजे हैैं। प्रधानमंत्री का प्यार से बात करना हमारे लिए जीवन का सबसे बड़ा उपहार था।
छवि शर्मा, विधवा माता
रक्षाबंधन पर इस बार माताएं प्रधानमंत्री की कलाई पर राखी नहीं बांध सकेंगी। इसका उन्हें दुख भी है, लेकिन राखी बनाकर पहुंचा रही हैं। इनमें कुछ राखियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मास्कयुक्त फोटो भी है।
विनीता वर्मा, उपाध्यक्ष, सुलभ होप फाउंडेशन