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Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर निर्माण में शामिल होगी ब्रज की सुगंध, बिहारी का चरणामृत भी करेगा पावन

Ram Mandir Ayodhya भूमि पूजन को जाएगा बांकेबिहारी का चरणामृत व ब्रजरज कम रोचक नहीं है मंदिर का इतिहास।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 04:03 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 04:03 PM (IST)
Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर निर्माण में शामिल होगी ब्रज की सुगंध, बिहारी का चरणामृत भी करेगा पावन
Ram Mandir Ayodhya: राम मंदिर निर्माण में शामिल होगी ब्रज की सुगंध, बिहारी का चरणामृत भी करेगा पावन

आगरा, जेएनएन। अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा अयोध्या में बनने जा रहे भगवान श्रीराम के दिव्य और भव्य मंदिर के भूमि-पूजन के लिए ठा. बांकेबिहारी का चरणामृत और निधिवन की रज भेज रही है।

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महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अतुलकृष्ण गोस्वामी ने बताया भगवान श्री राम के जन्म स्थान पर मंदिर निर्माण की घड़ी निकट है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए ब्रज के राजा ठा. बांकेबिहारी का चरणामृत व निधिवन राज की ब्रजरज को अयोध्या भेजा जा रहा है। ताकि अलौकिक भव्य राम मंदिर में ब्रज रज की सुगंध हमेशा स्थापित रहे। उन्होंने कहा श्रीराम मंदिर हिंदू सनातन धर्म का मुकुट मणि बनेगा। यह राम मंदिर हिंदुओं के स्वाभिमान का प्रतीक रहेगा। प्रदीप गोस्वामी ने कहा अयोध्या में मंदिर निर्माण का भूमि पूजन होना राम भक्तों के लिए गौरव की बात है। बिहारीलाल वशिष्ठ, रामविलास चतुर्वेदी, डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, अरङ्क्षवद गोस्वामी, अशोक गोस्वामी, श्याम बिहारी गोस्वामी, बल्लभ महाराज, अजय किशोर गोस्वामी, गोकुलचंद गोस्वामी, गिरिराज शरण शर्मा, करण कृष्ण गोस्वामी, बिट्टू गोस्वामी, मोहन बिहारी गोस्वामी, भीकचंद गोस्वामी, श्रीराम शर्मा मौजूद रहे।  

ये है बिहारी जी की मान्यता

आध्यात्मिक मान्यता है कि भगवान तो कण-कण मे हैं, आस्था हो तो नजर आते हैं। इसके बाद भी मंदिरों को उनका विशेष स्थल माना जाता है। देश में कई मंदिरों का पौराणिक इतिहास है। इनमें वृंदावन स्थित ठा. बांकेबिहारी के मंदिर खास है। श्रीधाम वृन्दावन, यह एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा आख़िर कौन व्यक्ति होगा जो इस पवित्र भूमि पर आना नहीं चाहेगा तथा श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन कर अपने को कृतार्थ करना नहीं चाहेगा। यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत 1921 के लगभग किया गया। मंदिर में स्थित विग्रह को राधा कृष्‍ण का स्‍वरूप है। मान्‍यता है कि रात में बिहारी जी निधिवन रास करने चले जाते हैं। और सुबह मंदिर वापस आते हैं। इसलिए यहां वर्ष में एक बार जन्‍माष्‍टमी पर ही मंगला आरती होती है।


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