CoronaVirus: की देसी वैक्सीन CoVaxin का आगरा के एसएन में होगा ह्रयूमन ट्रायल
CoroanVirus CoVaxin18 से 50 साल के 400 स्वस्थ लोगों पर किया जाएगा वैक्सीन का ट्रायल। वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल करने वाला एसएन मेडिकल कॉलेज यूपी का पहला राजकीय मेडिकल कॉलेज।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना की देसी वैक्सीन बन गई है, वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल (स्वस्थ लोगों में अध्ययन) एसएन मेडिकल कॉलेज में भी किया जाएगा। उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एसएन मेडिकल कॉलेज पहला संस्थान है, जिसे वैक्सीन के ह्रयूमन ट्रायल के लिए चुना गया है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरलॉजी (एनआइवी) के साथ मिलकर हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी ने देश की पहली देसी कोरोना वैक्सीन (कोवैक्सिन ) तैयार की है। क्लीनिक ट्रायल के बाद वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल शुरू हुआ है। एम्स, दिल्ली, पटना सहित देश के 12 संस्थानों में वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल किया जा रहा है। वैक्सीन के ह्रयूमन ट्रायल के लिए उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एसएन मेडिकल कॉलेज को ही चुना गया है।
डबल ब्लाइंड तकनीकी से होगा ह्रयूमन ट्रायल, डॉक्टर भी होंगे शामिल
एसएन में वैक्सीन का 18 से 50 साल की उम्र के 400 स्वस्थ लोगों पर ह्रयूमन ट्रायल किया जाएगा। ट्रायल में शामिल वॉलेंटियर्स को वैक्सीन की पहली डोज के बाद दूसरी डोज 14 दिन बाद लगाई जाएगी। इसमें डबल ब्लाइंड तकनीकी का भी इस्तेमाल किया जाएगा, इस तकनीकी में ट्रायल में शामिल कुछ लोगों को वैक्सीन की जगह प्लेसीबो (वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी ) की डोज दी जाएगी। मगर, यह ट्रायल में शामिल लोग और एसएन की टीम को भी पता नहीं होगा। वैक्सीन की दो डोज लगाने के बाद कोई साइड इफेक्ट, एलर्जिक रिएक्शन तो नहीं हैं, यह देखा जाएगा। वैक्सीन लगाने के बाद ट्रायल में शामिल होगों में कोरोना की एंटीबॉडीज की जांच की जाएगी। एंटीबॉडीज कितनी मात्रा में और कितने समय के लिए बनी हैं, इसका रिकॉर्ड रखा जाएगा। इसके लिए एसएन की टीम ट्रायल में शामिल लोगों का नियमित चेकअप और जांच करेगी। इसका रिकॉर्ड आइसीएमआर को भेजा जाएगा, वहां रिकॉर्ड को एनालाइज किया जाएगा। एसएन के डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ वैक्सीन के ह्रयूमन ट्रायल का हिस्सा बनने के लिए तैयार हो गए हैं।
इनएक्टिव वायरस का इस्तेमाल, नहीं होगा कोई खतरा
कोरोना की देसी वैक्सीन में इनएक्टिव वायरस का इस्तेमाल किया गया है, वैक्सीन को लगाने के बाद कोरोना संक्रमित होने का खतरा नहीं है। जिन लोगों पर ट्रायल होगा, वे अपने घर पर ही रहेंगे। एम्स पटना और रोहतक पीजीआई में वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है।
18 से 55 साल और 55 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए अलग अलग वैक्सीन
कोरोना की देसी वैक्सीन दो तरह की है। 18 से 55 साल के लोगों में यह वैक्सीन मीजल्स रूबेला (एमआर खसरा) की वैक्सीन के साथ लगाई जाएगी। जबकि 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में वैक्सीन बीसीजी (टीबी) की वैक्सीन के साथ लगाई जाएगी।
ये लोग ट्रायल में हो सकते हैं शामिल
18 से 50 साल के लोग, जिन्हें कोई बीमारी नहीं है
कोरोना पॉजिटिव नहीं हुए हैं
जांच में पूरी तरह से स्वस्थ होने चाहिए
एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग और प्राचार्य कार्यालय में ट्रायल का हिस्सा बनने के लिए जानकारी ले सकते हैं
एसएन मेडिकल कॉलेज प्रदेश का पहला राजकीय मेडिकल कॉलेज है जहां कोरोना की देसी वैक्सीन का ह्रयूमन ट्रायल किया जाएगा। कोई भी स्वस्थ व्यक्ति ट्रायल का हिस्सा बन सकता है, डॉक्टर भी ट्रायल में शामिल होंगे। इससे कोई खतरा नहीं है।
डॉ संजय काला, प्राचार्य एसएन मेडिकल कॉलेज
400 स्वस्थ लोगों पर करीब एक साल तक ट्रायल चलेगा, यह पूरी तरह से सुरक्षित है। कोरोना का अभी कोई इलाज नहीं है, ऐसे में ट्रायल सफल होने पर लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकेगी।
डॉ बलबीर सिंह, प्रिंसिपल इनवेस्टिगेटर, विभागाध्यक्ष मेडिसिन विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज