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Fake Teacher: फर्जी शिक्षकों की उल्टी गिनती शुरू, 24 आए थे पहले निशाने पर अबकी बार होगा सैंकड़ा पार

Fake Teacherबेसिक शिक्षा विभाग को विवि से जारी सूची मिलने का इंतजार। 24 की पहले हुई थी सेवा समाप्त अब 171 मामलों पर गिर सकती है गाज।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 06:18 PM (IST)
Fake Teacher: फर्जी शिक्षकों की उल्टी गिनती शुरू, 24 आए थे पहले निशाने पर अबकी बार होगा सैंकड़ा पार
Fake Teacher: फर्जी शिक्षकों की उल्टी गिनती शुरू, 24 आए थे पहले निशाने पर अबकी बार होगा सैंकड़ा पार

आगरा, जागरण संवाददाता। डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि की जांच रिपोर्ट पर कार्य परिषद की मुहर लगते ही एसआइटी सूची में शामिल जिलेे के बचे 171 फर्जी शिक्षकों पर भी कार्यवाही की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। संभव है पहली सूची में शामिल 24 अभ्यर्थियों की तरह ही इनकी भी सेवाएं जल्द ही समाप्त कर दी जाएं।

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बीएसए राजीव कुमार यादव ने बताया कि विभाग को अब विवि कार्य परिषद में पास हुई फर्जी अभ्यर्थियों की सूची मिलने का इंतजार है। इसके बाद विभाग अपने यहां 249 में से फर्जी पाए गए 195 अभ्यर्थियों में से शेष बचे 171 अभ्यर्थियों के नाम इस 812 अभ्यर्थियों की सूची से स्क्रूटनी करेगा। फिर जितने अभ्यर्थी फर्जी पाए जाएंगे, उनकी सेवा समाप्त की जाएगी। बता दें कि 195 में सेे 24 अभ्यर्थियों की सेवाएं पहली फर्जी सूची के आधार पर समाप्त कर दी गई है, जबकि 54 अभ्यर्थी टेंपर्ड अंकपत्र वाले हैं।

सात नए मामलों की भी होनी है जांच

वहीं हाल में एसआइटी की 29 नामों की नई सूची भी विभाग को मिली थी, जिसकी जांच में सात नए नाम सामने आए, जिसे मानव संपदा पोर्टल की जांच के दौरान एसआइटी ने चिन्हित किया था। अब विभाग उन सातों नामों का मिलना नई और पुरानी सूची से करने के बाद कार्यवाही करेगा।

यह है मौजूदा स्थिति

बीएड सत्र 2004-05 के फर्जीवाड़े की जांच कर रही एसआआइटी की फर्जी अभ्यर्थियों की सूची में 3637 नाम शामिल थे। इसके अलावा 1054 टेंपर्ड व अन्य डुप्लीकेट रोल नंबर वाले थे। कोर्ट ने शुरूआत फर्जी अभ्यर्थियों पर कार्यवाही से की थी। फर्जी अभ्यर्थियों की सूची में शामिल 2823 अभ्यर्थियों बेगुनाही के लिए अपना पक्ष नहीं रखा था, लिहाजा विवि कार्य परिषद ने उन्हें पहले ही फर्जी घोषित कर दिया था। फिर हाईकोर्ट ने प्रत्यावेदन देने वाले 814 अभ्यर्थियों का मामला तीन महीने में निस्तारित करने का आदेश विवि को दिया, जिसकी जांच को विवि ने चार सदस्यीय कमेटी को जिम्मेदारी सौंपी। जांच समिति ने 814 में से 812 अभ्यर्थियों को फर्जी घोषित कर दिए। सिर्फ दो ही वैध पाए गए। 


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