Move to Jagran APP

Collection of Folk Songs: खेल के मैदान पर दमखम दिखाने वाली रीना का अनूठा है ये संकलन

Collection of Folk Songs लुप्त होते ब्रज के लोकगीतों का जुटाया खजाना। दो हजार से ज्यादा लोकगीतों का है संग्रह।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 06:52 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 06:52 PM (IST)
Collection of Folk Songs: खेल के मैदान पर दमखम दिखाने वाली रीना का अनूठा है ये संकलन
Collection of Folk Songs: खेल के मैदान पर दमखम दिखाने वाली रीना का अनूठा है ये संकलन

आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। फिल्मी और पाप गीतों ने ब्रज की लोकगायन शैली को लुप्त ही कर दिया है। लोकगीतों के नाम पर चमक, धमक और अपसंस्कृति वाले गीत ही लोगों के सामने परोसे जा रहे हैं, जिससे ब्रज संस्कृति से जुड़े तमाम लोग आहत हैं। उनकी वेदनाओं को ध्यान में रखते हुए मातृमंडल सेवा भारती की पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बौद्धिक प्रमुख व प्रांत की पालक रीना सिंह को ब्रज के लोकगीतों की खोज और उनके संरक्षण का का दायित्व दिय गया पंडित दीन दयाल उपाध्याय स्मारक स्मृति व पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म महोत्सव समिति से मातृ मंडल सेवा भारती को रीना सिंह के नेतृत्व मै दिया जिनका साथ प्रान्त उपाध्यक्ष डॉक्टर निर्मला सिंह व पूरी टीम ने दिया। वे करीब 12 साल से इसमें जुटी हुई हैं, जिसके तहत उन्होंने दो हजार से अधिक लोकगीतों को संग्रहित कर लिया है।

prime article banner

लोकगीत हर समाज की परंपरा हैं। सभी के पूर्वज अपनी खुशियां इन लोकगीतों के माध्यम से ही व्यक्त करते थे। होली, रक्षाबंधन, हरियाली तीज, सावन जैसे त्योहारों पर लोकगायन ही माहौल को उत्सवमय बनाते थे। इसके अलावा लोकगीतों के माध्यम से ही महिलाएं अपनी वेदना भी व्यक्त करती थीं, लेकिन समय की धार ने सब कुछ खत्म सा कर दिया। गांवों में भी फिल्म गीत बजने लगे। लोग भूल गए अपनी परंपरा को।

कोर्फ़ बाल की भारतीय कैप्टन रह चुकीं रीना सिंह ने बताया कि 12 साल पहले वे फरह के दीनदयाल धाम में पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन पर गई थीं। वहां आसपास के 40-50 गांवों की युवतियों ने लोकगीत प्रस्तुत किए, जिसे सुन कर उन्हें याद आया कि ये गीत तो उनकी दादी, नानी और मां गाती थी। उसके बाद यह श्रंखला टूट गई। उन्होंने सबसे पहले अपनी मां शकुंतला देवी से विचार- विमर्श किया, क्येंकि उन्हें बहुत सारे पारंपरिक लोकगीत याद थे। उसके बाद हाथरस, फीरोजाबाद, अलीगढ़, भरतपुर आदि के ग्रामीण अंचल गईं। वहां की बुजुर्ग महिलाओं से बात करके लोकगीतों का संग्रह किया। अब तक वे दो हजार से अधिक लोकगीतों का संग्रह कर चुकी हैं। इनमें ब्रज की मल्हार, हरियाली तीज के गीत, होली के गीत प्रमुख हैं। शादी के दौरान विभिन्न रस्मों के समय गाए जाने वाले गीत उनके पास हैं।

संगीतबद्ध कर संरक्षण का प्रयास

रीना सिंह ने बताया कि इन गीतों को संरक्षित और लोकप्रिय करने का तरीका यही है कि उन्हें सुरबद्ध, संगीतबद्ध किया जाए। उसके बाद इन्हें फेसबुक, यूट्यूब, वाट्सएप आदि पर प्रसारित का जाए। विख्यात भजन गायक पं.मनीष शर्मा के सानिध्य में प्राथमिक स्तर पर हरियाली तीज के गीतों को सुर और संगीतबद्ध किया जा रहा है। उसके बाद अन्य गीतों को संरक्षित किया जाएगा। पं.मनीष शर्मा ने बताया कि कई लोकगीत तो कठिन रागों पर हैं, जिन्हें रीना को गायन में मुश्किल तो हो रही हैं, लेकिन वे बहुत ही मधुरता के साथ सुर दे रही हैं। जल्द ही यह गीत आन लाइन भी होंगे। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.