Relief to Parents: छोटे बच्चों की स्कूल फीस में 50 फीसद छूट देने की तैयारी
No School no Fee लॉकडाउन में स्कूल बंद रहने पर अभिभावक लगातार उठा रहे हैं फीस माफी की मांग। कोर्ट में भी जाने की तैयारी।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में अभिभावकों की कमजोर आर्थिक स्थिति देखते हुए प्लेग्रुप, नर्सरी व केजी तक के विद्यार्थियों को फीस में 50 फीसद छूट देने की तैयारी में हैं। लेकिन किसी अभिभावक ने स्थानांतरण प्रमाणपत्र (टीसी) मांगी, तो उन्हें उक्त महीने तक की फीस और पुराना बकाया अनिवार्य रुप से चुकाना होगा। नहीं तो, विद्यालय उसे टीसी जारी नहीं करेगा। यह निर्णय रविवार को वॉइस ऑफ स्कूल एसोसिएशन की अॉनलाइन बैठक में इससे जुड़ेे स्कूलों ने लिया है।
बैठक प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राहुल राज व प्रदेश महासचिव डॉ. अतुल ने दो चरणों में ली, जिसमें संगठन सेे जुड़े स्कूल प्रबंधकों ने हिस्सा लिया। इसका मुख्य उद्देश्य स्कूलों और अभिभावकों की स्थिति पर मंथन करना था। निर्णय लिया गया कि जो स्कूल बिना टीसी प्रवेश देगा, उसके खिलाफ सगंठन शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज कराएगा, उचित कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को नई योजना के तहत शिक्षा देने के लिए अभिभावकों की काउंसलिंग की जाएगी। उन्होंने चिंता जताई कि मध्यमवर्गीय स्कूलों के अभिभावक फीस भुगतान नहीं कर रहे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित है। शिक्षकों का वेतन देने को फीस फीस नहीं आ रही। बिजली बिल भुगतान के लिए भी फंड उपलब्ध नहीं। साथ में तमाम समस्याएं अलग हैं। वित्तविहीन स्कूलों को कोई सरकारी सहायता भी नहीं मिल रही। जबकि इस आपदा में भी वह ऑनलाइन शिक्षा दिलाने को प्रयासरत हैं, लेकिन कुछ अभिभावक फीस नहीं देना चाहते और वह विरोध कर रहे हैं, जो गलत है। सक्षम अभिभावक भी अपने बच्चों को आरटीई योजना में निश्शुल्क शिक्षा दिलाने के लिए विभागीय मिलीभगत काम कर रहे हैं, जिसमें प्रतिछात्र 20 से ₹25 हजार खर्च होता है, लेकिन सरकार सिर्फ चार हजार का भुगतान करती है। इस दौरान शहर अध्यक्ष अनिल शर्मा, मनोज कुमार, बृजेश जैन, अश्वनी कुमार, संदेश शर्मा, अश्वनी निगम आदि मौजूद रहे।
न आएं झांसे में, कोर्ट ने नहीं नकारी फीस माफी की मांग
स्कूल अपनी मर्जी सुप्रीम कोर्ट के फीस माफी खंडन का वर्णन कर रहे हैं। लिहाजा अभिभावक उनके झांसे में न आएं। अभी लड़ाई की शुरुआत है, जिसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए एकजुट होकर ही प्रयास करना होगा, तभी सफलता मिलेगी। प्रोग्रेसिव आगरा पेरेंट्स एसोसिएशन (पापा) ने वेबीनार मीट में यह बात कही। बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंथन किया गया। सभी अभिभावकों ने एक स्वर में शिक्षण संस्थानों के बयानों की निंदा की है। कोर्ट ने याचिकर्ताओ को अपने-अपने राज्य के हाईकोर्ट में फीस माफी अपील करने के निर्देश दिए हैं, जबकि निजी स्कूलों के निदेशक इसे अपनी जीत करार दे फूले नही समा रहे।
हाईकोर्ट में रखेंगे अपना पक्ष
बैठक में यह भी रणनीति बनी कि संस्था सदस्य इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुछ प्रभावी तथ्यों के साथ अपनी बात रखेंगे। साथ ही निजी स्कूलों की एक संस्था के इस उस व्यवहार की भी निंदा की गई, जिसमें एक तरफ वह डीएम को ज्ञापन सौंपकर ऑनलाइन पढ़ाई बन्द कराने बात कहती है और दूसरी तरफ अभिभावकों से ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर लगातार फीस की मांग की जा रही है।
शिक्षकों संंघों से मांगा सहयोग
पापा संस्था ने जिले के सभी शिक्षक संघों से सहयोग मांगा है। उनका कहना है कि स्कूल बंद होने के कारण शिक्षा भवन के सभी खर्च शून्य हैं। वहीं अॉनलाइन शिक्षण के लिए वह शिक्षकों को वेतन जारी करने के लिए आधी ट्यूशन फीस देने को तैयार हैं, जिससे उन्हें आसानी से पूरा वेतन दिया जा सकता है। शिक्षक संघ हमारा सहयोग करें, तो हम उनके वेतन के लिए सहयोग करेंगे। वेबीनार में नरेश खिरवार, अरुण मिश्रा, मनोज शर्मा, मनोज गोयल, शोभित जेटली, प्रवीण सक्सेना, रोहित कत्याल, प्रवीण दीक्षित, संजय अग्रवाल, रघुनाथ सिंह, दीपक वर्मा, जितेंद्र मंगल, राजीव सिंघल, नितिन कुमार, अमर सिंह व अतिन मित्तल आदि शामिल रहे।