जयंती विशेष: दुनिया को हंसी की खुराक देने वाले शरद जोशी का जानिए क्या था ताजनगरी से नाता
कई बार कवि सम्मेलनों में किया था काव्य पाठ। गद्य हास्य को कविता के मंच पर किया था प्रतिष्ठापित।
आगरा, आदर्श नंदन गुप्त। इकहरे बदन के शरद जोशी अपने हाथ में बेंत लेकर जैसे ही मंच पर ख़ड़े हुए, तालियों की गड़गड़ाहट से पांडाल गूंज उठा। श्रोताओं ने उनका खड़े होकर अभिवादन किया। उसके बाद उनकी रचनाओं का देर तक लुत्फ उठाया।
इंकम टैक्स विभाग द्वारा प्रति वर्ष कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता था, जिसके संयोजक विख्यात कवि सोम ठाकुर होते थे। 80 के दशक तक सूरसदन का निर्माण नहीं हुआ था। नगर निगम के बराबर में एक मैदान था, जहां पंडाल लगा कर कवि सम्मेलन होता था। 80 के दशक में सोम ठाकुर ने व्यंग्य सम्राट शरद जोशी को इस कवि सम्मेलन में आमंत्रित किया था।
अन्य कवियों के बाद जब रचना पाठ के लिए शरद जोशी खड़े हुए तो श्रोताओं में हलचल मच गई। उन्होंने काफी देर तक श्रोताओं को बांधे रखा था। सोम ठाकुर ने बताया कि वे गद्य को हास्य में प्रस्तुत करने में पारंगत थे। उनकी एक लाइन उन्हें अभी तक याद है। उन्होंने सरकार पर कटाक्ष करते हुए सुनाया था, अगर सरकार के पांव भारी हैं, तो उसे कौन हिला सकता है। इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता तत्कालीन इंकम टैक्स कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने की थी। धर्मवीर सिंह ने सहयोग किया था।
सोम ठाकुर का कहना था कि शरद जोशी का आगरा आना भले ही बहुम कम हुआ, लेकिन आगरा के लोगों से, यहां की सांस्कृतिक परंपराओं से बहुत लगाव था। वे फोन पर उनसे अक्सर बात करते रहते थे। इस कवि सम्मेलन की याद करते हुए साहित्यकार डा.शशि गोयल ने बताया कि उन्होंने शरद जोशी को पहली बार यहां सुना था, तभी से उनकी फेन हो गई थीं। उनका गद्य वाचन बड़ा ही रोचक होता था, वह कविता न हो कर भी श्रोताओं को दिलों पर छाप छोड़ती थी।
काव्य मंच पर प्रतिष्ठापित किया गद्य को
वरिष्ठ कवि रामेंद्र मोहन त्रिपाठी ने बताया कि उनके साथ कई बार काव्य पाठ करने का मौका मिला। मुंबई में एक कवि सम्मेलन हास्य कवि सम्राट पद्म श्री काका हाथरसी ने कराया था। डा. धर्मवीर भारती ने इसकी अध्यक्षता की थी। वहां उन्होंने जो गद्य में जो हास्य रचना सुनाई, सभी को हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया था। रामेंद्र मोहन ने बताया कि शरद जोशी ने कविता के मंच पर पहली बार हास्य गद्य को स्थान दिलाया था।
कई मंचों पर रहे साथ
विख्यात कवयित्री डा.शशि तिवारी ने बताया कि शरद जोशी के साथ उन्होंने कई मंचों पर काव्य पाठ किया। वे बहुत रोचक अंदाज में गद्य में हास्य सुनाते थे। एक बार उन्होंने अपना यात्रा वर्णन बहुत हास्य के पुट के साथ प्रस्तुत किया था।
पूर्व सैनिकों को भी खूब हंसाया
एक बार कलक्ट्रेट पर पूर्व सैनिकों द्वारा कवि सम्मेलन कराया गया। पर्यावरणविद राजीव सक्सेना ने बताया कि इसमें शरद जोशी को खासतौर से आमंत्रित किया गया था। उसमें उन्होंने अपनी हास्य रचनाओं से पूर्व सैनिकों को खूब हंसाया था।
पद्य से कम नहीं थी उनकी गद्य रचनाएं
गद्य रचनाएँ परिक्रमा, किसी बहाने, जीप पर सवार इल्लियाँ, रहा किनारे बैठ, दूसरी सतह, प्रतिदिन(3 खण्ड), यथासंभव, यथासमय, यत्र-तत्र-सर्वत्र, नावक के तीर, मुद्रिका रहस्य, हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे, झरता नीम शाश्वत थीम, जादू की सरकार, पिछले दिनों, राग भोपाली, नदी में खड़ा कवि, घाव करे गंभीर, मेरी श्रेष्ठ व्यंग रचनाएँ।
छाए रहे थे उनके टीवी सीरियल्स
उन्होंने दो व्यंग्य नाटक अंधों का हाथी, एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ लिखे। उनके उपन्यास' मैं, मैं और केवल मैं उर्फ़ कमलमुख बी0ए0 भी चर्चित हुए।
टीवी धारावाहिक यह जो है जिंदगी, मालगुड़ी डेज, विक्रम और बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, दाने अनार के, यह दुनिया गज़ब की, लापतागंज ने उन्हें बहुत लोकप्रियता प्रदान की।
फिल्मी सम्वाद क्षितिज, गोधूलि, उत्सव, उड़ान, चोरनी, साँच को आँच नहीं, दिल है कि मानता नहीं भी लिखे।