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मोहसिन ने तोड़ीं धर्म की बेडि़यां, मुंहबोली दादी का हिंदू रिवाज से कराया अंतिम संस्‍कार

विसर्जित की अस्थियां। घर पर गरुण पुराण कराया ब्रह्मभोज रमजान में रोजे भी न रख सके।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Thu, 21 May 2020 11:32 AM (IST)Updated: Thu, 21 May 2020 11:32 AM (IST)
मोहसिन ने तोड़ीं धर्म की बेडि़यां, मुंहबोली दादी का हिंदू रिवाज से कराया अंतिम संस्‍कार
मोहसिन ने तोड़ीं धर्म की बेडि़यां, मुंहबोली दादी का हिंदू रिवाज से कराया अंतिम संस्‍कार

आगरा, जेएनएन। मुंहबोली दादी 85 वर्षीय सावित्री देवी से खानदानी नाता नहीं था। मगर इनका ‘मोहसिन’ था। दाह संस्कार के बाद में लॉकडाउन में दादी की अस्थियां संभाल कर रखीं। बुधवार को सोरों में अस्थि विसर्जन के दौरान मोहसिन की आंखेंं नम हो गईंं। बस एक ही बात जुबां से निकली दादी आप सदैव कहती थींं मुझे बस गंगा में पहुंचा देना, आज आपसे किया वायदा पूरा कर रहा हूं।

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भाईचारे की कहानी है यह भरतपुर के नमक कटरा वैरागी हनुमान मंदिर कमला रोड निवासी मोहसिन एवं पति गौरीशंकर तथा बेटे हेमंत की मौत के बाद बेसहारा हुई सावित्री देवी की। नाता सिर्फ इतना था कि सावित्री एवं मोहसिन की दादी उम्मेदी मित्र थींं तो परिवार में आना जाना था। यही वजह है 2003 में उम्मेदी की मौत के बाद भी सावित्री के परिवार से संबंध बरकरार रहे। 2014 में 40 वर्षीय बेटे हेमंत की मौत के बाद जब सावित्री का कोई नहीं रहा तो मोहसिन अपने घर पर ले आए। थोड़े ही दिनों में मोहसिन एवं सावित्री के बीच में एक अनजाना रिश्ता जुड़ गया। सुबह मोहसिन घर से निकलतेे तो सावित्री से राम- राम करना नहीं भूलता। जिस दिन कभी भूल जाता तो सावित्री कहती कि आज मेरा बेटा मुझसे नाराज है। 18 अप्रैल को जब सावित्री का निधन हुआ तो भले ही इस्लाम में शव को दफनाने की परंपरा हो, लेकिन मोहसिन ने हिंदू रीति-रिवाज से दाह संस्कार किया। घर पर ब्रह्मभोज कराया। रमजान पहले ही शुरू हो गए थे, लिहाजा इस बार रोजे भी नहीं रख सके। पिता रफीक उर्फ रवि कुमार एवं छोटे भाई इमरान सहित पत्नी एवं मां ने भी इसमें सहयोग किया। घर में गरुण पुराण का ऑनलाइन पाठ कराया। सभी हिंदू संस्कारों को पूर्ण किया तो लॉकडाउन में कुछ लोगों ने सलाह दी कि अस्थियां कहीं आस-पास ही प्रवाहित कर दें, लेकिन मोहसिन ने कह दिया कि दादी की इच्छा थी सोरों गंगाजी में जाने की। वहीं जाऊंगा। बड़ी मुश्किल से बीते दिनों प्रशासन से अनुमति मिली तो बुधवार को गंगा में आकर अस्थियों का विसर्जन किया। पुरोहित भोला बिहारी ने विसर्जन कराया। बिजली विभाग में लाइन मेन के पद पर तैनात मोहसिन कहते हैं हमने मानवता का फर्ज निभाया है। उनके साथ बृजेश कुमार एवं राजेंद्र भी आए थे।

पूरा परिवार तेरहवीं तक सोया जमीन पर 

हिंदू धर्म में परंपरा है अगर किसी घर में मौत होती है तो पूरा परिवार बैड पर नहीं सोता। हालांकि कई हिंदू परिवारों में अब यह परंपरा सिर्फ दाग देने वाले तक सिमट कर रह गई है, लेकिन मोहसिन के साथ पूरे परिवार ने बैड पर न सोने की परंपरा को निभाया।

इकलौते बेटे का भी परिवार न था साथ 

सावित्री देवी के पति गौरीशंकर की काफी पहले मौत हो गई थी। इकलौते बेटे हेमंत की पत्नी कई साल पहले ही छोड़ कर जा चुकी थी। 2014 में बेटे की मौत के बाद से ही वह अकेली हो गई थी तथा मोहसिन उन्हें अपने घर ले आया था। 


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