Apra Ekadashi 2020: नुकसान से बचना है तो इस दिन भूलकर भी न करें ये 6 काम
Apra Ekadashi 202018 मई को है ज्येष्ठ माह की अपरा एकादशी। इस दिन खान पान के साथ व्यवहार को भी रखना चाहिए नियमानुसार।
आगरा, जागरण संवाददाता। अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह तिथि 18 मई को पड़ रही है। इसलिए अपरा एकादशी का व्रत 18 मई को रखा जाएगा। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपरा एकादशी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्री, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं। उसमे भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है। चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है। ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है। यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है। क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है। धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है, हारमोन की समस्या भी ठीक होती है और मनोरोग दूर होते हैं। लेकिन एकादशी का लाभ तभी हो सकता है जब इसके नियमों का पालन किया जाए।
ये हैंं एकादशी के नियम
चावल का सेवन न करें
एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए, इसे खाने से व्यक्ति का मन चंचल होता है और प्रभु भक्ति में मन नहीं लगता है। पौराणिक कथा के अनुसार माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया। चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है। वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है। जल पर चन्द्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है। चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है। इससे मन विचलित और चंचल होता है और मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है।
न करें पान का सेवन
एकादशी के दिन पान खाना भी वर्जित माना गया है। पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। इसलिए एकादशी के दिन पान न खा कर व्यक्ति को सात्विक आचार-विचार रख प्रभु भक्ति में मन लगाना चाहिए।
महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए
एकादशी के दिन महिलाओं का अपमान करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। सिर्फ एकादशी के दिन ही नहीं व्यक्ति को किसी भी दिन महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति महिलाओंं का सम्मान नहीं करते हैं उन्हें जीवन में कई तरहों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
गुस्सा न करें
एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु की अराधना का होता है, इस दिन सिर्फ भगवान का गुणगान करना चाहिए। एकादशी के दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए।
मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए
एकादशी के पावन दिन मांस- मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन ऐसा करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दिन व्रत करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
शारीरिक संंबंध नहीं बनाने चाहिए
एकादशी के दिन शारीरिक संंबंध नहीं बनाने चाहिए, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
व्रत की विधि
पंडित वैभव के अनुसार एकादशी व्रत दशमी तिथि से ही प्रारंभ हो जाता है और यह व्रत द्वादशी के दिन समाप्त हो जाता है। व्रत की पूर्व संध्या अर्थात दशमी तिथि की रात्रि में सात्विक भोजन करें। एक मान्यता के अनुसार, एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठें और इस दिन गंगाजल से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करें और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को भी गंगाजल से स्नान कराएं। अब पूर्व दिशा की तरफ एक पटरे पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की फोटो को स्थापित करें। इसके बाद धूप दीप जलाएं और कलश स्थापित कर मन में जगत के पालनहार का ध्यान करें। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को फल-फूल, पान, सुपारी, नारियल, लौंग आदि अर्पण करें और स्वयं भी पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने दाएं हाथ में जल लेकर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना भगवान विष्णु से करें। पूरे दिन निराहार रहें और भगवान विष्णु का स्मरण करते रहें। संध्या के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक गाय के घी का दीपक जलाकर उनकी आराधना करें, पूजा के दौरान व्रत कथा सुनें और फिर अगले दिन पारण मुहूर्त में व्रत खोलें।