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प्‍लास्टिक के खिलाफ महिलाओं ने छेड़ी जंग, न खुद करेंगी इस्‍तेमाल ना दूसरों को Agra News

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं एकत्र करेंगी वेस्ट प्लास्टिक। थैला बनाकर गांवों में होगी बिक्री ग्रामीणों को प्लास्टिक से दूरी को करेंगी जागरूक।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 09:56 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 09:56 AM (IST)
प्‍लास्टिक के खिलाफ महिलाओं ने छेड़ी जंग, न खुद करेंगी इस्‍तेमाल ना दूसरों को Agra News
प्‍लास्टिक के खिलाफ महिलाओं ने छेड़ी जंग, न खुद करेंगी इस्‍तेमाल ना दूसरों को Agra News

आगरा, श्रवण कुमार शर्मा। अब आधी आबादी पर्यावरण को सहेजकर गरीबी से जंग लड़ेगी। हजारों महिलाएं स्वच्छता ही सेवा की राह पकड़ गांवों को वेस्ट प्लास्टिक से मुक्त करने की मुहिम छेड़ेगी। यह नारी शक्ति एक अक्टूबर तक पर्यावरण संरक्षण का माहौल बनाएगी। फिर दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर घर-घर प्लास्टिक मांगकर उसका डिस्पोजल कराएगी। भविष्य में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने का संकल्प भी दिलाएगी। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन समूह की यह महिलाएं थैला बनाकर भी उसकी बिक्री करेंगी।

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पर्यावरण और परिवार की आर्थिक उन्नति के लिए फलदार और औषधि वाले पौधों का रोपण करने वाली महिलाएं अब गांवों को प्लास्टिक से मुक्ति की राह तैयार करेंगी। पीएम मोदी के प्लास्टिक मुक्त के सपने को पूरा करने को राष्ट्रीय आजीविका मिशन को अब माध्यम बनेगा। मिशन में गठित स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को गांवों को ऐसी प्लास्टिक से मुक्त करने का दायित्व सौंपा जाएगा। मैनपुरी में 58036 हजार महिलाएं 5276 स्वयं सहायता समूहों की सदस्य हैं। इनकी दस हजार से ज्यादा टोलियां गठित की गई हैं। प्रत्येक टोली में पांच महिलाएं हैं। महिलाओं की टोलियां जिला के 802 गांवों में प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने के लिए माहौल बनाने के लिए प्रभातफेरी निकालेंगी और गोष्ठियां करेंगी। प्रत्येक टोली दो से 27 अक्टूबर तक आवंटित मुहल्ले और घरों को प्लास्टिक मुक्त करने की मिसाल पेश करेगी।

घर-घर से मांगेंगी प्लास्टिक

समूह से जुड़ी महिलाओं की टोली जूट का बोरा लेकर हर घर में जाकर प्लास्टिक मांगेगी और फिर एकत्र प्लास्टिक का डिस्पोजल कराने को प्रधान और पंचायत सचिवों को सौंपेगी। पालीथिन के बजाय कपड़ों के थैलों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करेगी।

हो चुकी तैयारी

गांवों में स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों को गांवों में काम करने को रोड मैप बन गया है। महिलाओं की किस टोली को किस गांव और किस मुहल्ले और कितने घरों को कवर करना है, यह फाइनल हो चुका है।

रंजीत सिंह, उपायुक्त स्वत: रोजगार।

मिलेगा रोजगार

पॉलीथिन बैन होने से कपड़े और जूट के थैलों के अलावा कागज के लिफाफों की मांग बढऩे से स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के स्वरोजगार की राह आसान होगी। आने वाले दिनों में सिलाई से जुड़े समूह की महिलाएं कपड़ों के थैले बनाकर गांवों में बेचेंगी। इससे लोगों को सस्ते थैला मिलेंगे तो महिलाओं को आर्थिक उन्नति का जरिया मिलेगा।

एचएस गौतम, जिला मिशन मैनेजर।

ब्लॉक स्वयं सहायता समूह महिला सदस्य

मैनपुरी 1343- 14773

किशनी- 871- 9581

बेवर 738- 8118

सुल्तानगंज - 704- 7744

बरनाहल- 655- 7205

जागीर - 239- 2629

घिरोर- 280- 3080

कुरावली - 231 - 2541

करहल- 215- 2365

कुल समूह- 5276

कुल महिला सदस्य - 58036 


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