जेल में ओमकार का फंदे पर झूलना साजिश का हिस्सा
रविवार को मां मुलाकात करने गई तो सही था बेटा मां का आरोप किसी के दबाव में की खुदकशी विधि परीक्षाओं को लेकर था परेशान -लापरवाही बरतने पर वार्डर एवं हैड वार्डर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी
आगरा, जागरण संवाददाता। जिला जेल में बंदी ने बुधवार को किसी के दबाव में आकर खुदकशी की थी। परिजनों का आरोप है कि नकली नोट मामले में निरुद्ध उनके बेटे की मौत सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। मां रविवार को बेटे से मिलने गई तो वह स्वस्थ था। विधि परीक्षाएं शुरू होने को लेकर चिंतित था। परिजनों का कहना है कि तीन दिन में ऐसा क्या हो गया कि वह खुदकशी करने को मजबूर हो गया। उधर, बंदी की मौत के मामले की जांच में लापरवाही पर जेल के हैड वार्डर और वार्डर सामने आई है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी है।
शमसाबाद के गांव गढ़ी जहान सिंह निवासी 22 वर्षीय ओमकार झा समेत पांच लोगों को एसटीएफ ने पांच सितंबर की रात को शहीद नगर से गिरफ्तार किया था। ओमकार और उसके साथियों पर नकली नोट छापने का आरोप था। जेल में निरुद्ध ओमकार का शव बुधवार की रात आठ बजे पेड़ पर साफी के फंदे पर लटका मिला। वह बैरक से शाम को बुखार की दवा लेने जेल की ओपीडी तक गया था। स्टाफ के कर्मचारी उसे डॉक्टर के पास लेकर गए थे। उन्हें चकमा देकर वहां से गायब हो गया।
मां विमला देवी ने बताया कि वह सात सितंबर को बेटे से मिलने गई थीं। उसके लिए फल, कपड़े और चप्पल लेकर गई थीं। उस समय वह बिल्कुल स्वस्थ था। ओमकार विधि का छात्र था। वह अगले सप्ताह से शुरू हो रहीं परीक्षा को लेकर कुछ परेशान था। मां से कहा था कि वह उसे जल्दी से बाहर निकाले। वर्ना उसकी परीक्षाएं छूट जाएंगी। इस पर उसने बेटे की जमानत का इंतजाम करने का आश्वासन दिया था। मां विमला देवी और भाई ऋषि का कहना है कि ओमकार की खुदकशी के पीछे किसी साजिश की आशंका है। उन्हें शक है कि उसने किसी के दबाव में आकर यह कदम उठाया। उसे किसने मजबूर किया, पुलिस को इसकी विस्तृत जांच करनी चाहिए।
परिजनों ने जेल-प्रशासन की लापरवाही को भी ओमकार की मौत का जिम्मेदार ठहराया। उधर, बंदी के खुदकशी करने में हैड वार्डर अजय पाल सिंह और वार्डर अरुण कुमार की लापरवाही सामने आई है। डीआइजी जेल संजीव त्रिपाठी ने बताया कि दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है। लाश देखे बिना कागज पर हस्ताक्षर करने से किया मना
मां विमला देवी और भाई ऋषि के अनुसार बुधवार की आधी रात को उन्हें ओमकार की मौत की जानकारी दी गई। जबकि जेल प्रशासन ने उसे आठ बजे ही फंदे से नीचे उतार लिया था। बंदी रक्षक और थाने की पुलिस उनके घर पहुंची। ओमकार के खुदकशी करने की जानकारी देते हुए उनसे एक कागज पर हस्ताक्षर करने की कहने लगे। मां ने बेटे की लाश देखे बिना हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। इस पर पुलिस लौट गई, एक घंटे बाद दोबारा थाने का फोर्स आया। परिजन गुरुवार सुबह पांच बजे लाश देखने पोस्टमार्टम गृह पहुंचे। रंजिश में छह भैसों को जहर देकर मार दिया
विमला देवी ने बताया कि किसी ने रंजिश के चलते उनकी पांच साल के दौरान उनकी छह भैंसों को जहर देकर मार दिया। प्रत्येक भैंस 80 हजार से एक लाख रुपये कीमत की थी। जहर देने की जानकारी पशु चिकित्सक द्वारा भैंसों के पोस्टमार्टम में दी गई। पुलिस में शिकायत के बाद भी जहर देने वाले का सुराग नहीं लग सका। इस गम में ओमकार के पिता राजू की तीन साल पहले मौत हो गई। बचपन के दोस्त की सोहबत ने बिगाड़ा
परिजनों ने बताया ओमकार अपने बचपन के दोस्त शिवम तोमर की सोहबत में बिगड़ गया था। परिजनों ने उसे कई बार गलत सोहबत छोड़ने की कहा। जेल में मां मिलने गई तो ओमकार का कहना था कि वह उसे इस बार बाहर निकाल ले। वह हमेशा के लिए बुरे दोस्तों का साथ छोड़ देगा। डॉक्टरों के पैनल ने किया पोस्टमार्टम
बंदी का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल द्वारा किया गया। उसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई है। पोस्टमार्टम में मौत का कारण हैगिंग आया है।
परिजनों ने एसटीएफ की कार्रवाई पर भी उठाए सवाल
ओमकार के परिजनों ने एसटीएफ की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि रैकेट से जुड़े असली लोगों की जगह उनके बेटे को नकली नोट मामले में मुख्य आरोपित बना दिया। परिजनों द्वारा उठाए गए सवाल निम्न हैं-
-ओमकार को एसटीएफ ने घर के बाहर से गिरफ्तार दिखाया है। जिस घर को किराए पर लेकर नोट छापना दिखाया। आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद उस घर की तलाशी क्यों नहीं ली।
-मौके पर फोरेंसिक टीम बुलाकर उक्त मकान से आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य क्यों नहीं जुटाए।
-शहीद नगर में जिस मकान को किराए पर लेकर नकली नोट छापे जा रहे थे। वह घर किसका था, एसटीएफ और पुलिस ने मकान मालिक का पता लगाकर उससे अभी तक पूछताछ क्यों नहीं की।
-पुलिस सात दिन में दोबारा उस मकान की तलाशी लेने क्यों नहीं गई।