ऊं महज ध्वनि ही नहीं अनंत शक्ति है, जानिए तीन अक्षरों का क्या होता है सेहत पर असर Agra News
ऊं का जाप जीवन में शांति और खुशियां ला सकता है। कोई पूजा हो या सुबह योग ऊं शब्द के बिना दोनों ही पूरे नहीं होते हैं।
आगरा, जेएनएन। कई मंत्रों का जाप करने से पहले ऊं शब्द का प्रयोग किया जाता है। संस्कृत में ओम शब्द तीन अक्षरों के मेल से बना है ‘अ’, ‘उ’ और ‘म’। ऊं को संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। ऊं का उच्चारण करने से आसापास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। ऊं के बारे में धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी का कहना है कि कई जानकारों का कहना है कि ऊं को प्रथम ध्वनि माना जाता है। ऊं को ब्रह्मांड की आवाज भी कहा जाता है क्योंकि ब्रह्मांड के अस्तित्व में आने से पहले जो प्राकृतिक ध्वनि थी, वो थी ऊं की गूंज। ऊं का जाप जीवन में शांति और खुशियां ला सकता है। कोई पूजा हो या सुबह योग, ऊं शब्द के बिना दोनों ही पूरे नहीं होते हैं। कहने को तो यह एक शब्द है, लेकिन इसका महत्व काफी बड़ा है| वैभव बताते हैं कि इस मंत्र का आरंभ है लेकिन अंत नहीं है।
धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी
अनाहत ध्वनि है ऊं
पंडित वैभव बताते हैं कि ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि ऊं है। अनाहत यानि किसी भी प्रकार की टकराहट या दो चीजों या हाथों के संयोग के उत्पन्न ध्वनि नहीं। इसे अनहद भी कहते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड में यह अनवरत जारी है। तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांति महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम।
मिलती है सकारात्मक ऊर्जा
जो भी व्यक्ति ओम का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ऊं का उच्चारण करते रहना।
जाप से होता है शारीरिक लाभ
- अ का अर्थ है आर्विभाव या उत्पन्न होना, उ का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास, म का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् ब्रह्मलीन हो जाना। ऊं सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।
- ऊं धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों पुरुषार्थों का प्रदायक है। मात्र ऊं का जप कर कई साधकों ने अपने उद्देश्य की प्राप्ति कर ली।
- कोशीत की ऋषि निस्संतान थे, संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने सूर्य का ध्यान कर ऊं का जाप किया तो उन्हे पुत्र प्राप्ति हो गई। गोपथ ब्राह्मण ग्रन्थ में उल्लेख है कि जो कुश के आसन पर पूर्व की ओर मुख कर एक हज़ार बार ऊं मंत्र का जाप करता है, उसके सब कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
ऐसे करें उच्चारण
पंडित वैभव जोशी बताते हैं कि प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ऊं का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ऊं जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ऊं जप माला से भी कर सकते है।
ऊं के उच्चारण से शारीरिक लाभ
- अनेक बार ऊं का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव रहित हो जाता है।
- अगर आपको घबराहटया अधीरता होती है तो ऊं के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
- यह हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
- इससे पाचन शक्ति तेज होती है।
- इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
- थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
- इसको करने से निश्चित नींद आएगी।
- कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।