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ध्‍वस्‍त हुआ पब्लिक एड्रेस सिस्‍टम, नए अफसरों को कभी रास न आई पुरानी पुलिसिंग Agra News

हेलमेट अभियान से लेकर पूर्व में शुरू हुई कई अच्छी मुहिम। वर्षों की अनदेखी से ध्वस्त हो चुका पब्लिक एड्रेस सिस्टम।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 11:19 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 11:19 AM (IST)
ध्‍वस्‍त हुआ पब्लिक एड्रेस सिस्‍टम, नए अफसरों को कभी रास न आई पुरानी पुलिसिंग Agra News
ध्‍वस्‍त हुआ पब्लिक एड्रेस सिस्‍टम, नए अफसरों को कभी रास न आई पुरानी पुलिसिंग Agra News

आगरा, जागरण संवाददाता। कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा है। बाइक पर चलने से पहले लोग हेलमेट पहनना नहीं भूलते थे। उन्हें पता था कि सड़क पर कोई पुलिसकर्मी भले ही न टोके मगर कहीं न कहीं कैमरे में कैद हो ही जाएंगे। घर पर ही चालान भी आ जाएगा। तिराहे- चौराहों पर ऑटो और डग्गामार वाहन भी खड़े होने से कतराने लगे थे। अफसर बदले तो अब ये खौफ खत्म हो चुका है।

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ये कोई पहला मामला नहीं है। अक्सर नए अफसरों को कभी पुरानी पुलिसिंग रास आई ही नहीं। ऐसा भी नहीं कि पुरानी पुलिसिंग जनहित में नहीं थी या नई पुलिसिंग पुराने से खराब है। हर अधिकारी का नजरिया और काम करने का तरीका हमेशा जुदा होता है। कुछ तरीके सकारात्मक नतीजे देते हैं और लोगों की सोच भी बदल देते हैं। वही यादगार बन जाते हैं।

हेलमेट अभियान

एसएसपी अमित पाठक ने सड़क सुरक्षा के लिहाज से हेलमेट और सीट बेल्ट पर फोकस किया था। शुरुआत अपने घर यानि पुलिस से ही की थी। मजाल क्या कि कोई पुलिसकर्मी थाने और पुलिस कार्यालयों में बिना हेलमेट बाइक लेकर दाखिल हो जाए। इसके बाद सड़कों पर भी सख्ती का असर दिखा। बाइक सवार बगैर हेलमेट चलने से बचने लगे थे।

हालात: अमित पाठक का तबादला के बाद ये अभियान ठंडा पड़ गया। वाहन चालक बेफिक्र हो गए। तमाम बाइक सवार बगैर हेलमेट फर्राटा भरते दिखाई देने लगे हैं।

कूड़े में आग

क्राइम और ट्रैफिक के साथ-साथ तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने सोशल पुलिसिंग भी की। उन्होंने कूड़ा जलाने वालों पर नगर निगम की टीम के साथ मिलकर कार्रवाई कराई। जुर्माना भी लगा। लोग कूड़ा जलाने से डरने लगे थे।

हालात:: नगर निगम की टीम तो सुस्त पड़ ही गई, लोगों में भी डर खत्म हो गया। जहां-तहां कूड़े में आग लगा दी जाती है।

चौराहों पर ऑटो

एसएसपी अमित पाठक ने चौराहें से डग्गामार वाहनों ही नहीं, ऑटो और बसों को भी खदेड़ दिया था। महानगर बस सेवा के चालकों ने तो कार्रवाई के विरोध में लंबी हड़ताल भी की थी मगर पुलिस के तेवर सख्त ही रहे थे। चौराहों पर जाम लगना बंद हो गया था।

हालात: चौराहों पर सौ मीटर दूर वाहनों के खड़े होने के बोर्ड तो लगे हैं मगर वाहन चौराहे को घेरने लगे हैं। जाम लगा रहता है। अब इन पर कोई डंडा फटकारने वाला ही नहीं है।

बिना हेलमेट पेट्रोल

अमित पाठक के बाद आए एसएसपी जोगेंद्र कुमार ने भी सड़क सुरक्षा पर फोकस किया। दोपहिया वाहनों पर हेलमेट सख्त कर दिया। पेट्रोल पंप पर बिना हेलमेट वाले बाइक सवार को पेट्रोल मिलना ही बंद हो गया। चेकिंग के लिए पुलिस भी तैनात कर दी।

हालात: जोगेंद्र कुमार के तबादले के बाद ये आदेश भी हवा में उड़ गया। पेट्रोल पंपों से पुलिस गायब हो गई है, बाइक के लिए बिना हेलमेट पेट्रोल मिल रहा है।

गूगल पर अपराध के आंकड़े

आगरा में आइजी रहे आशुतोष पांडेय (अब एडीजी टेक्निकल) ने अपराधों की गूगल पर टैगिंग कराई। सर्वाधिक लूट, चोरी और डकैती वाले स्थानों को चिह्नित कर इनकी गूगल पर टैगिंग की गई। इसके आधार पर एक किताब प्रकाशित कराके सभी थानेदारों को उपलब्ध कराई थी। इसका उद्देश्य था कि थानेदारों को यह पता रहे कि उनके क्षेत्र में कौन से अपराध कहां अधिक होते हैं? इसके आधार पर ही अंकुश लगाने को इंतजाम करें।

हालात: आशुतोष पांडेय के तबादले के बाद गूगल पर ये टैगिंग अपडेट नहीं हो पाई। किताब भी थानों में धूल फांक रही हैं।

पब्लिक एड्रेस सिस्टम

आगरा में डीआइजी रहे असीम अरुण के कार्यकाल में कंट्रोल रूम से पब्लिक को एड्रेस करने के लिए थानों के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण चौराहों पर पीए सिस्टम लगाए गए थे। ये कंट्रोल रूम से कनेक्ट किए गए थे।

हालात: दंगा या अन्य परिस्थिति के दौरान अब इस सिस्टम प्रयोग नहीं हो पा रहा है। उनके तबादले के बाद तो सिस्टम चेक ही नहीं कराया गया।

छोटे अभियान, बड़ा इंपैक्ट

नवागत एसएसपी बबलू कुमार अपराध और अपराधियों पर अंकुश लगाने को भले ही छोटे-छोटे अभियानों से शुरुआत कर रहे हैं। मगर इसका इंपैक्ट निश्चित रूप से बड़ा होगा। दो दिन चलाए गए अभियान में उन्होंने 304 वारंटी और वांछितों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। थाने में जनसमस्या निस्तारण पर जोर देने के साथ ही उन्होंने अपराधियों पर निगरानी को ईगल मोबाइल का गठन किया है।  


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