फतेहपुर सीकरी के बुनकरों ने बना ली अपनी कंपनी, मिला लाखों का बिजनेस
कंपनी में बराबर के हिस्सेदार हैं सभी बुनकर हाल में मिला 20 लाख रुपये का ऑर्डर
कुलदीप सिंह, आगरा : ठेकेदारों के कॉकस को तोड़ बुनकरों ने खुद की कंपनी खोल ली। उनका ये प्रयास अब सफलता के झंडे गाड़ रहा है। यह बुनकर न सिर्फ ठेकेदारों के चंगुल से बाहर निकले बल्कि कंपनी में बराबर ही हिस्सेदारी से मुनाफा भी अच्छा कमा रहे हैं। इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि इन्हें एक बड़ा ऑर्डर भी मिला है। इसे पूरा करने के लिए इन्होंने दिनरात तैयारी शुरू कर दी है।
यह कहानी फतेहपुर सीकरी के पाच गाव मई बुजुर्ग, नगला जन्नू, नगला बीच, गूजरपुरा और फतेहपुर सीकरी के 374 बुनकरों की है। मई बुजुर्ग समेत पाच गावों के 250 से अधिक परिवार दरी बुनकर हैं। कई दशक से पुश्त-दर-पुश्त हुनर को आगे बढ़ा रहे हैं। बड़े ठेकेदार बाहर से काम लेकर आते थे। ऑर्डर 100 रुपये का होता था और बुनकरों से 20-25 रुपये में काम करा बाकी मुनाफा खुद लेते थे। इसके चलते बुनकरों को दो वक्त की रोटी के लाले रहते थे। लिहाजा, कई परिवारों ने पुश्तैनी काम से किनारा कर लिया। अपने समूह 'नई रोशनी दरी उत्पादन प्रोड्यूसर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड' में सभी बुनकरों को समान भागीदारी दी। बाजार से खुद ऑर्डर लेकर माल तैयार करने और उसे सीधे पार्टी और बाजार को बेचने का साहसिक कदम उठाया। ऐसे पड़ी कंपनी की नींव
- लगभग चार साल पूर्व इन गावों में नवचेतना शिक्षा एवं ग्राम विकास सेवा समिति संस्था ने महिलाओं का समूह बनाकर उन्हें आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ा होने का मंत्र दिया। इसके तहत एक समूह में 12 महिलाओं को रखा, प्रत्येक महिला समूह के लिए 100 रुपये महीने बचत करके वहा जमा करती थी। किसी एक महिला को यह रकम अपना कुटीर उद्योग शुरू करने को दे दी जाती। इससे महिलाओं में विश्वास आया कि वह अपने बूते पर भी कुछ कर सकती हैं। संस्था के सदस्यों ने महिलाओं के साथ बैठक के दौरान गाव के दरी बुनकरों की आर्थिक हालत देखी। उनको अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए कहा। उनके परिवार की महिलाओं को इसके लिए प्रेरित किया कि वे अपने पतियों और गाव के पुरुषों को अपना समूह बनाने को तैयार करें। कई माह के प्रयास के महिला समूह की एक सदस्य मंजू के पति अनेक सिंह को यह बात जच गई। उन्होंने इसे सकारात्मक तरीके से लेकर बुनकरों का समूह बनाने की ठान ली। यहीं से कंपनी की नींव पड़ने की शुरुआत हुई।
लोग जुड़ते गए और कंपनी बनती गई
अमित कुमार ने बताया कि उन्होंने मई बुजुर्ग के बुनकरों से ठेकेदारों का कॉकस तोड़कर अपना समूह बनाने को कहा। इसके बाद खुद की कंपनी बना उसका मालिक बनने की कहते तो बुनकरों का एक ही जवाब होता, इस तरह की बातें फिल्मों में ही सच होती हैं। गांव के लोगों ने की मदद
शुरूआत में कुछ दिक्कतें भी सामने आई। इसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी, चार माह तक लगातार बुनकरों के घर जाकर समूह बनाने के लिए राजी करने की कोशिश में लगे रहे। उनकी लगन देख गाव के ही डॉ. निरंजन सिंह भी समर्थन में आ गए। वह भी बुनकरों को कंपनी बनाने के लिए समझाने में जुट गए। छह माह की कोशिशों के बाद मई बुजुर्ग के 156 बुनकर समूह बनाने को तैयार हो गए। इसके बाद नगला जन्नू, सीकरी कस्बे तथा नगला बीच और गूजरपुरा के बुनकरों को भी शामिल कर लिया। 20 लाख का मिला ऑर्डर
-अमित कुमार ने बताया कि आगरा की वाईएनटी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने हाल में उन्हें 20 लाख रुपये का ऑर्डर दिया है। कंपनी की सहायता से ही ऑफिस तैयार किया जा रहा है। इस ऑर्डर के मिलने से बुनकर काफी उत्साहित हैं। इसे पूरा करने के लिए दिनरात मेहनत की जा रही है। दिसंबर तक माल की डिलीवरी होनी है।