GST Return पहली बार किया जा में दाखिल, हो रही दिक्कत, सीए की मदद ले रहे व्यापारी
वार्षिक रिटर्न भरने की अंतिम तिथि है 30 जून। इसके बाद धारा- 47 में 200 रुपये प्रतिदिन की लेट फीस का है प्रावधान।
आगरा, जागरण संवाददाता। जीएसटी का वार्षिक रिटर्न पहली बार दाखिल किया जा रहा है। ऐसे में रिटर्न भरने में व्यापारियों को कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। कोई गलती न हो इसके लिए वह सीए की मदद ले रहे हैं।
जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में नई व्यवस्था होने पर व्यापारियों को बहुत से प्रावधान समझ नहीं आ रहे हैं। सीए मोहनलाल कुकरेजा ने बताया कि कई समस्या आ रही हैं। अगर कोई व्यापारी अपनी सेल दिखाना भूल गया है तो वह उसे बढ़ा सकता है, अगर वह परचेज दिखाना भूल गया है तो उसे क्लेम करने का विकल्प नहीं आ रहा है। यह विकल्प मार्च तक ही था। वैट के अंतर्गत फॉर्म-52 में कोई भी बदलाव कर सकते थे, लेकिन जीएसीटी में सेल्स से संबंधित कोई भी बदलाव नहीं कर सकते। इसके अलावा और भी कई समस्याएं हैं, जिनके समाधान को लेकर व्यापारी सीए से मिल रहे हैं।
इनका रखें ध्यान
- वार्षिक रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 30 जून है। इसके बाद धारा- 47 में 200 रुपये प्रतिदिन की लेट फीस का प्रावधान है, जो अधिकतम टर्न ओवर का 0.5 फीसद तक हो सकती है।
- वार्षिक रिटर्न न भरने पर जीएसटी कानून की धारा-125 में 25 हजार रुपये तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है।
- वित्तीय वर्ष में एग्रीगेट टर्न ओवर दो करोड़ से अधिक है तो जीएसटी आडिट सीए से करवाना अनिवार्य है।
- जीएसटी कानून में एग्रीगेट टर्नओवर की परिभाषा आयकर के टर्नओवर से काफी विस्तृत है, इसमें कैपिटल एकाउंट में जमा किया गया किराया, ब्याज, चल संपत्ति का बिक्री मूल्य आदि शामिल करना होगा।
- रिटर्न भरने से पहले जुलाई 2017 से मार्च 2018 के सभी जीएसटी रिटर्न भरने अनिवार्य होंगे। नहीं तो वार्षिक रिटर्न नहीं भर पाएंगे।
- रिटर्न भरते समय कोई अतिरिक्त कर देय निकलता है तो उसका भुगतना फॉर्म डीआरसी-03 से कर सकते हैं। भुगतना केवल नगद में ही होगा।
छह भागों में विभाजित है रिटर्न
जीएसटी आर-9 वार्षिक रिटर्न है, जिसको छह भागों में विभाजित किया गया है। इनमें कारोबार से संबंधित खरीद, बिक्री, खर्चों का विस्तृत ब्योरा भरना होगा। वर्ष में कुल अर्जित आइटीसी का विभाजन इनपुट, इनपुट सेवाओं व कैपिटल गुड्स में अलग-अलग देना होगा।
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