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सेवा के नाम पर खा रहे मेवा, नहीं दे रहे हिसाब, जानिए NGO का स्‍याहा सच

750 एनजीओ ने नहीं दिया नोटिस का जवाब। अब विधिक कार्रवाई की तैयारी में है विभाग।

By Tanu GuptaEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 01:58 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 01:58 PM (IST)
सेवा के नाम पर खा रहे मेवा, नहीं दे रहे हिसाब, जानिए NGO का स्‍याहा सच
सेवा के नाम पर खा रहे मेवा, नहीं दे रहे हिसाब, जानिए NGO का स्‍याहा सच

आगरा, संजीव जैन। नॉन गवर्नमेंटल ऑर्गेनाइजेशन (एनजीओ) यानी गैर सरकारी संगठन एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल के वर्षों में गैर सरकारी संगठनों की कार्यशैली और कमाई चर्चा का विषय रही है और इसीलिए अब इन पर आयकर विभाग की भी नजर है। कई एनजीओ तो संस्था की आय और संसाधनों से देश-विदेश की यात्रा, पांच सितारा होटलों में मस्ती और सुविधानुसार आलीशान दफ्तर का खर्च निकालते हैं। नौकरीपेशा व्यक्ति तो आय के स्रोत पर ही कर दे देता है, लेकिन एनजीओ तो आय और खर्च का ब्यौरा तक नहीं दे रहे। आयकर विभाग ने ऐसी एक हजार संस्थाओं को विगत तीन साल पूर्व आयकर विवरणी जमा कराने के लिए नोटिस जारी किए थे, उनमें से 25 फीसद ने ही अपना जवाब दिया है। 75 फीसद के जवाब न देने पर उनके विरुद्ध विधिक कार्रवाई की जा रही है। यूं कई गैर सरकारी संगठन वास्तव में समाजहित में काम कर रहे हैं, लेकिन मनमानी करने वाले एनजीओ पर आयकर अब सख्ती बरतने जा रहा है।

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ये है तस्वीर

आगरा जोन के अधीन आगरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ, हाथरस, एटा व कासगंज जिलों की 80 हजार संस्थाएं व 16 हजार फर्म पंजीकृत हैं। विदेशी योगदान नियामक अधिनियम (एफसीआरए) के तहत इनमें से 1700 से अधिक एनजीओ को लाइसेंस प्राप्त हैं। उप्र आवास एवं विकास परिषद के अधीन इस जोन में 23 व सहकारिता में 982 संस्थाएं पंजीकृत हैं।

90 हजार एनजीओ ने नहीं कराया ऑडिट

सोसायटी फर्म एवं रजिस्ट्रार कार्यालय में हर माह 150 नई संस्थाओं का पंजीकरण होता है। नियमानुसार नवीनीकरण कराने वाली संस्थाओं की संख्या साल में पांच से दस ही होती हैं। 90 हजार संस्था व फर्म ऐसी हैं जिन्होंने अपना नवीनीकरण नहीं कराया हैं। नवीनीकरण के लिए ऑडिट रिपोर्ट अनिवार्य है। सहायक रजिस्ट्रार, फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स अरविंद कुमार सिंह ने स्वयं इसकी पुष्टि की। उनका कहना है कि नियमानुसार पांच साल बाद हर संस्था को नवीनीकरण कराना होता है। यदि कोई संस्था नवीनीकरण नहीं कराती है, तो उनके पास उन पर कार्रवाई का कोई अधिकार नहीं हैं।

विदेश से दान लेने वाली संस्थाएं भी कर रहीं खेल

एफसीआरए के तहत लाइसेंस लेने वाली 1700 संस्थाएं विदेश से दान ले रही हैं। दो साल पहले जांच के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उप्र की 740 समेत देश भर के 2,406 गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस रद किए। इनमें आगरा जोन की भी 62 संस्थाएं शामिल रही हैं। तीन महीने पहले आयकर विभाग ने जिन एक हजार संस्थाओं को नोटिस दिया, उनमें 220 से अधिक ऐसी संस्थाएं भी शामिल हैं जिन्होंने हिसाब किताब नहीं दिया। यह वह एनजीओ है, जिनमें से अधिकतर स्कूलों व अस्पताल का संचालन कर रहे हैं। आयकर विभाग के अनुसार, इन संस्थाओं को अनिवार्य रूप से लगातार दो वर्ष तक सालाना आय-खर्च का ब्योरा देना अनिवार्य है। यदि वह ऐसा नहीें करते हैं, तो संस्थाओं को विदेश से मिले दान का दस फीसद या न्यूनतम दस लाख रुपये जुर्माने के रूप में देने होंगे। विदेशी कंसल्टेंसी बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, आगरा समेत देशभर की 2406 एनजीओ का लाइसेंस रद होने के बाद विदेशों से आने वाले चंदे में 40 फीसद की कमी आई है।

1200 संस्थाएं धर्म के नाम पर कर रही खेल

जोन में 1200 से अधिक संस्थाएं धर्म के नाम पर ट्रस्ट के रूप में अरबों रुपयों का खेल कर रही हैं। आयकर विभाग ने जोन में ऐसी 567 ट्रस्ट को नोटिस जारी किया पर अभी तक किसी का जवाब नहीं आया है।

52 एनजीओ काली सूची में

महिला कल्याण, समाज कल्याण, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग, विकास विभाग, कृषि विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग,डूडा की विभिन्न योजनाओं में काम करने वाली आगरा जोन की 52 एनजीओ को अनियमितताओं के चलते काली सूची में डाला गया है। काली सूची में डालने के बाद फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स में इनका नवीनीकरण भी नहीं हुआ है। 

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