दशकों तक सजी ताजनगरी महाकवि नीरज की काव्य रसधार से
ंसूरसदन में पिछले वर्ष काव्य सम्मेलन में किया था काव्य पाठ
आगरा(जागरण संवाददाता): काल का पहिया घूमे भैया, लाख तरह इंसान चले, लेके चले बरात कभी तो कभी बिना सामान चले। गुरुवार को काल का पहिया घूमा और फिल्म 'चंदा और बिजली' के इस गीत जैसे तमाम कालजयी गीतों के रचनाकार नीरज को उनके चाहने वालों से हमेशा के लिए दूर लेकर चला गया। उनका इस तरह जाना सिर्फ एक शख्सियत का ही जाना नहीं बल्कि 70 के दशक के रूमानियत भरे गीतों के पुरोधा का जाना भी है।
बस यही अपराध में हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं.. फिल्म 'पहचान' के इस गीत को लिखने वाले महाकवि गोपालदास नीरज ने अपना जीवन इस फलसफे पर ही गुजारा। अपनी रचनाओं से वह हमेशा मानवता का संदेश दिया करते थे। मानव होने को भाग्य और कवि होने को सौभाग्य मानने वाला यह महाकवि गुरुवार शाम चिरनिद्रा में सो गया। नीरज के यूं चले जाने से शहर में उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने के साथ लोग उनसे जुड़े संस्मरण बयां करते नजर आए। उनका यूं चले जाना ¨हदी साहित्य को अपूर्णनीय क्षति है। आखिर ऐसा होता भी क्यों नही? आखिर, ताज के इस शहर से उनका गहरा नाता जो था। वो यहां अक्सर अपने परिजनों से मिलने के लिए आया करते थे। वर्षो तक सूरसदन में होने वाले काव्य सम्मेलनों की उन्होंने रौनक बढ़ाई।
कवि रमेश मुस्कान बताते हैं कि इस उम्र में भी नीरज जी की स्मृति सही थी। उनके होंठ जरूर कांपते थे, लेकिन उन्हें अपने गीत और रचनाएं याद थे। छह-सात माह पहले ही मैंने उनके साथ दिल्ली में काव्य पाठ किया था। आगरा में पिछले वर्ष नौ जुलाई को सूरसदन में हुए काव्य सम्मेलन में उन्होंने काव्य पाठ किया था। ¨हदी कवि सम्मेलन को लोकप्रिय बनाने व जन-जन तक पहुंचने में नीरज जी का बहुत बड़ा योगदान है। उनका जाना एक युग का अवसान है। वहीं, कवयित्री शशि तिवारी ने बताया कि वह बचपन से ही नीरज जी से जुड़ी थीं। उनका आदर करती थीं। वह मेरे लिए पिता के समान थे। उनकी पत्नी मनोरमा शर्मा उन्हें कई बार अलीगढ़ स्थित उनके आवास पर ले जाया करती थीं। यहां अपने परिजनों से मिलने जब वह आया करते थे, तब भी उनके आवास पर साहित्यकारों का मजमा जुटता था। वो जाकर भी नहीं गए हैं। अपनी रचनाधर्मिता से काव्य व साहित्य जगत में वो हमेशा जीवित रहेंगे। वो सूर्य के समान चमकते थे। उनकी चमक हमेशा बरकरार रहेगी। वो अपनी तरह के अनोखे कवि व गीतकार थे, जो दोबारा पैदा नहीं होंगे।
आपातकाल के समय काफी मुखर रहे:
इंदिरा गांधी द्वारा देश में आपातकाल लगाने के समय महाकवि नीरज काफी मुखर रहे थे। अपनी रचनाओं के माध्यम से वह कवि सम्मेलनों के मंचों और सरकार के फैसले की निंदा किया करते थे।
जन्मदिन पर होता था सम्मेलन:
महाकवि नीरज के जन्मदिन पर कई वर्षो तक सूरसदन में एक जनवरी को अखिल भारतीय स्तर कवि सम्मेलन हुआ करता था। उनकी बेटी कुंदनिका शर्मा द्वारा यह सम्मेलन कराया जाता था। इसमें वह स्वयं शामिल होते थे। ताज लिटरेचर फेस्टिवल में भी उन्होंने शामिल होकर उसकी गरिमा बढ़ाई थी।
नीरज जी के जाने से काफी दुख हुआ है। ¨हदी साहित्य की अपूर्णनीय क्षति हुई है। वो इटावा के पास के रहने वाले थे। उनके घर पर भी मेरा आना-जाना था। वो सभी को छोड़कर चले गए।
-प्रताप दीक्षित, वरिष्ठ कवि
गीतों के जादूगर पद्मभूषण गोपालदास नीरज जी के रूप में हमने एक गीत का युग देखा। उनका जाना साहित्य के लिए अपूर्णनीय क्षति है। भगवान उनकी आत्म को शांति दे।
-अनुज त्यागी, व्यंग्यकार कवि