Exploitation of Ground Water: कागजों में नियम हैं तैयार, आगरा में बेपरवाह हैं पहरेदार
Exploitation of Ground Water भूगर्भ जलसप्ताह का हुआ समापन कागजों में हो गए जागरूक। जिले में 15 में से 12 ब्लाक क्रिटिकल स्थिति में हैं। भूगर्भ जल के अति दोहन के कारण जलस्तर गिरता जा रहा है। शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र भी इससे बुरी तहर प्रभावित हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। भूगर्भ जल स्तर गिरता जा रहा है और अनाधिकृत दोहन करने वाले निरंकुश हैं। दर्जनों अनाधिकृत आरओ प्लांट से लेकर औद्योगिक क्षेत्र में पानी का दुरुपयोग हो रहा है। इसका प्रभाव ये हैं कि धरती की कोख सूख रही है और शहर से लेकर देहात तक लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। जिले में 15 में से 12 ब्लाक क्रिटिकल स्थिति में हैं। नियम तैयार है, लेकिन इनको पालन कराने वाले जिम्मेदार बेपरवाह हैं। वहीं जागरूकता के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है।
16 से 22 जुलाई तक भूगर्भ जलसप्ताह मनाया गया है। इसमें सार्वजनिक स्थानों, शिक्षण संस्थानों, ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर लोगों को जागरूक करना था। कोरोना संक्रमण के कारण शिक्षण संस्थानों में छात्र नहीं है, लेकिन संबंधित विभाग ने अभियान की खानापूरी कर ली है। वहीं कुछ स्थानों तक पहुंच बना सप्ताह पूरा हो गया है। बढ़ते जलसंकट के कारण भूगर्भ जल अधिनियम-2019 के तहत विनयमन एवं प्रबंधन किया जाना है। इस ओर भी गत दो वर्ष से किसी का ध्यान ही नहीं है। इसके तहत घरेलू, औद्यौगिक, कृषि क्षेत्र में बोरिंग के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। औद्यौगिक क्षेत्र वालों को एनओसी भी लेनी होगी और वाटर टैक्स चुकाना होगा। भूगर्भ जल विभाग के जयपुर हाउस स्थित कार्यालय में घरेलू बोरिंग के लिए पंजीकरण कराने तो कोई नहीं पहुंचा, तो विभाग ने अमल कराने पर कोई ध्यान नहीं दिया है। वहीं औद्यौगिक क्षेत्र और सर्वाधिक कृषि क्षेत्र के लोग पंजीकरण कराने पहुंच रहे हैं। महीने में 45 से 50 लोगों की आमद शुरू हो गई है।
फिर बह जाएगा बारिश का पानी
मानसून ने रुख कर लिया है, लेकिन जल संरक्षण की कोई तैयार नहीं है। आठ से 10 महीने पानी को तरसती यमुना में बारिश के पानी से जलस्तर बढ़ेगा और बहकर चला जाएगा।
भूगर्भ जलसप्ताह के तहत विभिन्न जागरूकता अभियान चलाने थे। आइएसबीटी, जीजीआइसी, सकतपुर गांव सहित दर्जनों स्थानों पर कार्यक्रम हुए हैं। विकास भवन में आयोजित समापन कार्यक्रम में विधायक महेश गोयल, मुख्य विकास अधिकारी भी मौजूद रहे हैं।
नमृता जैसवाल, सहायक भू-भौतिकविद्
ये हो रहा दोहन का असर
भूगर्भ जल के अति दोहन के कारण जलस्तर गिरता जा रहा है। शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र भी इससे बुरी तहर प्रभावित हैं। पिछले दिनों शहर में 40 से ज्यादा स्थानों पर लगाए गए पीजोमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक 97 फीसद स्थानों पर भूजल में गिरावट दर्ज की गई है। ग्रामीण क्षेत्र में भी वर्षा जल संरक्षित नहीं हो पानी से गिरावट आई है।
ये है आंकड़ा
ब्लाक, प्री मानसून, पोस्ट मानसून
अछनेरा, 17.39, 18.38
अकोला, 21.20, 25.30
बरौली अहीर, 79.93, 82.36
बिचपुरी, 31.10, 35.25
एत्मादपुर, 59.93, 65.12
फतेहाबाद, 39.35, 45.23
जगनेर, 28.20, 35.35
खंदौली, 39.73, 65.35
खेरागढ़, 45.93, 65.46
पिनाहट 37.20, 48.12
सैंया 41.12, 55.18
शमसाबाद 44.08, 48.15
नोट : जलस्तर मीटर में हैं। बाह व जैतपुरकलां विकास खंड में स्थित बेहतर है।
शहरी क्षेत्र में दस साल में हुई गिरावट
कमलानगर 40 मीटर
नंगला परसोती 8.6 मीटर
एफसीआइ गोदाम 10.45 मीटर
दहतोरा 22.10 मीटर
टेढ़ीबगिया 7.46 मीटर
विजय नगर 4.37 मीटर
कालिंदी बिहार 8.76 मीटर
टीपी नगर 11.33 मीटर
बलकेश्वर 18.25 मीटर
अमरपुरा 14.25 मीटर