EXCLUSIVE: 46 साल के लिएंडर पेस ने कहा- मैं आखिरी दहाड़ के लिए तैयार
18 बार के ग्रैंडस्लैम चैंपियन और देश के इकलौते व्यक्तिगत ओलंपिक पदक विजेता टेनिस खिलाड़ी पेस इस साल संन्यास ले लेंगे।
कहते हैं कि शेर कभी बूढ़ा नहीं होता। लिएंडर पेस की उम्र यूं तो 46 के पार जा चुकी है लेकिन उनके अंदर अभी भी खेल को लेकर जज्बा है उसके सामने 22 साल के एथलीट भी पानी भरते हैं। अपने करियर के अंतिम साल में प्रवेश कर चुके पेस पांच अलग-अलग दशक में खेलने के बेहद करीब हैं। एक खेल भरे माहौल में पैदा हुए पेस की फिटनेस उनके करियर में अहम हिस्सा रही लेकिन इसमें कई लोगों की मेहनत रही। 18 बार के ग्रैंडस्लैम चैंपियन और देश के इकलौते व्यक्तिगत ओलंपिक पदक विजेता टेनिस खिलाड़ी पेस इस साल संन्यास ले लेंगे। ऑस्ट्रेलियन ओपन में आखिरी बार खेलने के लिए मेलबर्न जाने से पहले लिएंडर पेस से अभिषेक त्रिपाठी ने उनके करियर और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की। पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश-
-आप इस साल संन्यास लेंगे। आप आखिरी बार ऑस्ट्रेलियन ओपन खेलने जा रहे हैं। आपके दिल में क्या चल रहा है? आप कैसे टेनिस कोर्ट को अलविदा कहना चाहेंगे?
--ऑस्ट्रेलिया एक ऐसी जगह रही है जहां मैंने अपना पहला ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट खेला था। 1989 में मैंने अपना पहला ग्रैंडस्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन में खेला था। तब से लेकर आज तक मैं पांच अलग-अलग दशकों में ऑस्ट्रेलियन ओपन में खेलने के बेहद करीब हूं। यह पल मेरे लिए बेहद खास है। ऐसे में ऑस्ट्रेलियन ओपन हमेशा से मेरे लिए खास रहा है और इस बार जब मैं वहां खेलने उतरूंगा तो उस खास अहसास का अनुभव करूंगा।
-आपने डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में कुल 18 ग्रैंडस्लैम खिताब जीते हैं। आप डेविस कप में डबल्स के सबसे सफल खिलाड़ी हैं। आपके नाम ओलंपिक पदक भी दर्ज है। अब कोई ऐसी चाहत है जो आप अपने करियर के अंतिम वर्ष में हासिल करना चाहते हैं?
-जब भी मैं टेनिस कोर्ट में कदम रखता हूं तो मुझे लगता है कि मैं अपने परिवार और अपने देश भारत के लिए खेल रहा हूं। मैं जब भी कोर्ट पर उतरता हूं तो मैं खुद को गौरवान्वित करने के लिए खेलता हूं। तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक देश के लिए खेलना मेरे लिए बहुत खास है और इस आखिरी साल को मैं एक आखिरी दहाड़ के रूप में मानता हूं। मेरे टेनिस करियर का यह आखिरी साल है और मैं इस पूरे सत्र को वन लास्ट रोर (एक आखिरी दहाड़) का नाम दूंगा। मैं सही मायने में मेरे उन समर्थकों के साथ जश्न मनाना चाहता हूं जिन्होंने अब तक मेरे करियर में मेरी जीत और हार में मेरा साथ दिया है। उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया और इसके लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं।
-आज भी आपको एक 46 साल का लड़का माना जाता है। ऐसी क्या खास वजह है कि आप संन्यास के आखिरी साल में भी युवा टेनिस स्टारों को टक्कर देते हैं?
-मैं धन्य हूं कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले। उन्होंने जैसे अनुवांशिक गुण (जींस) मुझे दिए और जैसा माहौल घर में दिया उसके लिए मैं हमेशा शुक्रगुजार रहूंगा। हालांकि मुझे लगता कि पिछले 30 वषरें में मुझे फिट रखने में कई लोगों की अहम भूमिका रही है। मेरे कोच रिक लीच व बॉब, मेरे फिटनेस ट्रेनर डेव हर्मन व वैभव डागा, मेरे साथ यात्रा करने वाले व मेरे योगा मास्टर संजय सिंह, मेरे पिता डॉक्टर पेस जो कि मेरे डॉक्टर भी हैं और मेरा प्रबंधन करने वाली मेरी टीम। ये सभी करीब 25-30 वषरें से मेरे साथ रहे हैं और इन सभी ने मेरे करियर में बहुत अहम भूमिका निभाई है। इन सभी की वजह से ही आज मैं इतने सारे खिताब जीत पाया और इसलिए इन सभी का मैं शुक्रिया अदा करना चाहूंगा।
-संन्यास के बाद आपकी क्या योजना है। क्या आप कोचिंग देंगे या फिर प्रबंधन से जुड़ेंगे या कमेंट्री में हाथ आजमाएंगे या फिर एक फैमली मैन बनेंगे?
-संन्यास के बाद मेरी कुछ योजनाएं हैं। अभी मैं कई कॉर्पोरेट सेक्टर में मनोबल बढ़ाने के लिए भाषण दे रहा हूं। स्वस्थ्य, फिटनेस, आहार और जीवन के तौर तरीकों को लेकर मैं काफी काम कर रहा हूं। मैं लोगों को उस अनुभव के बारे में बता रहा हूं जो मैंने पिछले 30 वषरें में दुनियाभर में भ्रमण करते हुए हासिल किया ताकि वे भी चैंपियन बन सकें। मेरी योजना बच्चों को खेलों के जरिये सही शिक्षा देने की भी है। खेल शिक्षा मेरे लिए काफी अहम है जो एक आम बच्चे के जीवन को बदल सकता है। आप एक बच्चे के जीवन को स्कॉलरशिप देकर या फिर उसे शारीरिक रूप से सक्रिय बनाकर मदद कर सकते हैं। मुझे लगता है कि खेल एक ऐसा जरिया है जिसके माध्यम से आप कई समुदायों को एक जगह ला सकते हैं। मेरा सपना है कि मैं भारत को एक खेल प्रधान देश के रूप में विकसित होता देखूं। मुझे लगता है कि भारत में ज्यादा बौद्धिक रूप से दक्ष, व्यावसायिक, चिकित्सीय रूप से दक्ष लोग हैं लेकिन हमारे पास खेलों में एक स्वस्थ्य समुदाय तैयार करने का अच्छा मौका है।
-इसमें कोई दो राय नहीं कि आपकी जगह कोई नहीं ले सकता लेकिन मौजूदा समय में वह कौन है जो आपकी कमी को पूरा कर सकता है?
--देखिए मुझे लगता है कि रिकॉर्ड टूटने के लिए ही बनते हैं। ऐसे में मेरा मानना है कि चाहे मेरे डेविस कप में सर्वाधिक मैच जीतने का रिकॉर्ड हो या ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीतने का रिकॉर्ड या फिर मेरे इतने लंबे समय तक खेलने का रिकॉर्ड हो, मुझे लगता है कि एक दिन ये सारे रिकॉर्ड कोई ना कोई भारतीय टेनिस खिलाड़ी तोड़ देगा। यह इसलिए क्योंकि हम लगातार बेहतर हो रहे हैं।
-देश में मौजूदा समय में टेनिस के भविष्य को आप कैसे देखते हैं ?
-मुझे लगता है कि देश में टेनिस का भविष्य उज्जवल है। मुझे लगता है कि मेरे जैसे जो भी देश के टेनिस खिलाड़ी हैं जो अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं, उन्हें टेनिस को बढ़ावा देने के लिए कुछ करने की जरूरत है। अगर आप देखें तो राहुल द्रविड़ ने संन्यास के बाद भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम को कोचिंग देकर विश्व चैंपियन बनाया। यह शानदार है। 1991 में कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम में मेरे साथ अभ्यास करने वाले सौरव गांगुली ना सिर्फ भारत के बेहतरीन कप्तान हुए बल्कि अब बीसीसीआइ के अध्यक्ष के रूप में अपना दायित्व निभा रहे हैं। वह अब प्रबंधन में आकर अपनी भागीदारी निभा रहे हैं। इसी तरह अगर आप पुलेला गोपीचंद को देखें तो उन्होंने ना सिर्फ ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप जीता बल्कि साइना नेहवाल और पीवी सिंधू जैसे ओलंपिक पदक विजेता भी तैयार किए। ये वैसे लोग हैं जिनकी मैं बहुत इज्जत करता हूं क्योंकि ये लोग वापस खेल समुदाय में लौटे और अपने अनुभव और ज्ञान के दम पर बदलाव लाने में सफल रहे।
-ऐसे में क्या हम कह सकते हैं कि आप भारतीय टेनिस के अगले सौरव गांगुली होंगे?
-अभी मैं ऐसा कुछ नहीं कह सकता। मैं कह सकता हूं कि मेरे लिए संभावनाएं हैं और अपने करियर के अंतिम साल में मैं तमाम संभावनाओं पर विचार करूंगा और इसके बाद तय करूंगा कि संन्यास के बाद कौन सी वह सबसे सही चीज है जो की जा सकती है।
-इस साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक को लेकर आपकी क्या योजनाएं हैं?
-मैं अभी इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह पाऊंगा क्योंकि अभी भी ओलंपिक बहुत दूर है। मुझे लगता है कि ओलंपिक के लिए चयन और तैयारियां अभी काफी दूर हैं।