UIDAI 15 सितंबर से जारी करेगी नई सुविधा, अब चेहरा देखकर भी हो सकेगा वेरिफिकेशन
UIDAI 15 सितंबर से टेलिकॉम कंपनियों के लिए आधार वेरिफिकेशन के लिए फेस रेकगनिशन प्रकिया रोल आउट करने जा रही है
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। UIDAI यानी भारतीय विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण 15 सितंबर से बायोमैट्रिक फेस रेकग्निशन (चेहरे से पहचान) सुविधा फेस वाइज (चरणबद्ध तरीके से) लाने की घोषणा कर चुकी है। अब यूजर्स के वेरिफिकेशन के लिए फिंगरप्रिंट स्कैन के अलावा फेस रेक्गनिशन का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस सेवा की शुरुआत पहले टेलिकॉम प्रोवाइडर्स के लिए किया जाएगा। आपको बता दें कि UIDAI इस सेवा को 1 जुलाई 2018 से शुरू करने वाली थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 1 अगस्त 2018 किया गया। लेकिन, अब UIDAI इसे 15 सितंबर से चरणबद्ध तरीके से जारी करने वाली है।
टेलिकॉम कंपनियों पर जुर्माना का प्रावधान
UIDAI निर्धारित लक्ष्य पूरा नहीं होने पर टेलिकॉम कंपनियों पर जुर्माना भी लगा सकती है। टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर के अलावा वेरिफिकेशन करने वाली एजेंसियों के लिए UIDAI ने कहा है कि इस फेस रेकग्निशन फीचर को लागू करने के लिए खास दिशा-निर्देश जारी किया जाएगा। हालांकि प्राधिकरण ने इसके लिए कोई समय निर्धारित नहीं की गई है।
इस तरह मोबाइल कंपनियां करेगी वेरिफिकेशन
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने कहा, 'जिन मामलों में मोबाइल सिम लेने के लिए आधार का इस्तेमाल किया गया है, उनमें चेहरे का मौके पर फोटो लेना (लाइव फेस फोटो कैप्चर) और इसका eKYC में लिए गए फोटो के साथ मिलान (वैरिफिकेशन) जरूरी होगा।' UIDAI ने आगे कहा है कि इस कदम का मकसद फर्जी फिंगरप्रिंट या क्लोनिंग की संभावना को रोकना है इसके साथ ही, मोबाइल सिम जारी करने और उसे एक्टिवेट करने से जुड़ी प्रक्रिया को सख्त करना और हर लिहाज से सुरक्षित बनाना है। आपको बता दें कि इस साल जून में हैदराबाद के एक मोबाइल सिम कार्ड डीलर ने हजारों सिम को एक्टिवेट करने में फर्जी आधार डिटेल्स का इस्तेमाल किया था।
अन्य आईडी से एक्टिवेट सिम पर नहीं लागू होंगे दिशा-निर्देश
UIDAI के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'लाइव फेस फोटो को eKYC के फोटो से मिलाने के निर्देश उन मामलों में लागू होंगे, जहां सिम लेने में आधार का इस्तेमाल किया गया है। अगर सिम किसी दूसरे आईडी कार्ड के जरिए जारी हुआ है तो यह दिशा-निर्देश लागू नहीं होंगे।' UIDAI की तरफ से प्रस्तावित टू-फैक्टर वेरिफिकेशन प्रक्रिया के तहत अगर कोई व्यक्ति अपना आधार नंबर उपलब्ध कराता है तो फिंगरप्रिंट या चेहरे का इस्तेमाल करते हुए सत्यापन किया जाएगा। अगर कोई व्यक्ति वर्चुअल ID उपलब्ध कराता है तो सत्यापन फिंगरप्रिंट या आइरिस से किया जा सकता है।
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