ब्रॉडबैंड प्लान में यूजर्स नहीं हैं डाटा स्पीड से खुश, मामले पर ट्राई ने 29 जून तक मांगी राय
टेलिकॉम कंपनियां यूजर्स को वायरलेस ब्रॉडबैंड प्लान के तहत जो डाटा स्पीड मुहैया करा रही हैं उनसे यूजर्स ज्यादा खुश नहीं हैं। जिसके चलते ट्राई ने एक कंसलटेशन पेपर जारी किया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। टेलिकॉम सेक्टर में चल रही प्राइस और डाटा वार के बीच कंपनियां यूजर्स को वायरलेस ब्रॉडबैंड प्लान्स भी उपलब्ध करा रही हैं। लेकिन यूजर्स इन प्लान्स के तहत दी जा रही डाटा स्पीड से खुश नहीं हैं। इसके लिए ट्राई ने एक कंसलटेंशन पेपर जारी किया है जिसमें स्टेकहोल्डर्स की राय मांगी गई है। ट्राई ने स्टेकहोल्डर्स से 29 जून तक उनकी राय और 13 जुलाई तक काउंटर कमेंट्स देने की बात कही है। यह सब वायरलेस ब्रॉडबैंड योजनाओं के तहत डाटा स्पीड के बारे में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और ग्राहक जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।
क्या है कंसलटेशन पेपर में?
वायरलेस ब्रॉडबैंड प्लान के तहत डाटा स्पीड के कंसलटेशन पेपर में कहा गया है, “देश में ब्रॉडबैंड कनेक्शन की संख्या में बढ़ोतरी के साथ उपभोक्ता की असंतोष जाहिर करती हुई रिपोर्ट में भी बढ़ोतरी हुई है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि वायरलेस ब्रॉडबैंड योजना के तहत यूजर्स को दिए जाने वाले डाटा की स्पीड उनके मुताबिक नहीं आ रही है”। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि टेलिकॉम मार्किट के लिए एक अहम तत्व ग्राहक सशक्तिकरण और सुरक्षा भी है। इस पेपर में यह भी कहा गया है कि अगर यूजर्स कंपनियों द्वारा दिए जा रहे ऑफर्स, सर्विस और कीमत से नाखुश हैं तो वो आसानी से किसी दूसरे प्रोवाइडर पर स्विच कर सकते हैं। पिछले कुछ क्वाटर्स में वायरलेस ब्रॉडबैंड सर्विस को काफी यूजर्स द्वारा अपनाया गया है। ऐसे में अगर यूजर्स को किसी तरह की कोई परेशानी आती है तो उसे ठीक करना बेहद अहम हो जाता है। खासतौर से डाटा स्पीड के मामले में।
भेदभावपूर्ण टैरिफ प्लान्स न दें कंपनियां:
वहीं, अगर वायरलेस ब्रॉडबैंड प्लान के अलावा टेलिकॉम सेक्टर में चल रही परेशानियों की बात करें तो इससे पहले ट्राई ने ऑपरेटर्स से समान श्रेणी के उपभोक्ताओं को भेदभावपूर्ण टैरिफ प्लान न बेचने की बात कही थी। साथ ही यह भी कहा है कि दूरसंचार टैरिफ ऑर्डर, 1999 के क्लॉज 10 में यह प्रावधान है कि कोई भी सेवा प्रदाता, किसी भी तरह से, उसी श्रेणी के ग्राहकों के बीच भेदभाव नहीं करेगा। न ही ग्राहकों का ऐसा वर्गीकरण मनमाना होगा।
ट्राई को मिली थी शिकायत:
ट्राई ने कहा है कि उसे शिकायत मिली है कि कुछ दूरसंचार ऑपरेटर उसे अंधेरे में रखकर टैरिफ प्लान लॉन्च कर रहे हैं। एक ही तरह के ग्राहकों के वर्ग के बीच इनकी पेशकश अलग-अलग की जा रही है। अप्रैल में मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जियो ने भारती एयरटेल के खिलाफ ट्राई से शिकायत की थी। उसने आरोप लगाया था कि क्षेत्र की पुरानी कंपनी भ्रामक ऑफरों के जरिये टैरिफ नियमों का उल्लंघन कर रही है। एयरटेल का रवैया मनमाना है। एक ही प्लान के लिए सब्सक्राइब कर रहे अपने ग्राहकों के साथ वह भेदभाव कर रही है।
जियो ने एयरटेल पर की पेनल्टी की मांग:
जियो ने ट्राई से एयरटेल पर उच्चतम पेनल्टी लगाने की मांग की थी। उसका आरोप था कि एयरटेल 293 रुपये और 449 रुपये के दो प्लानों की भ्रामक तरीके से मार्केटिंग कर रही है। इन ऑफरों के एयरटेल के विज्ञापन संभावित उपभोक्ताओं को लुभाने का प्रयास करते हैं। इनमें भरोसा दिलाया जाता है कि उन्हें 70 दिनों के लिए प्रति दिन एक जीबी डाटा दिया जाएगा। हालांकि, जो ग्राहक एयरटेल के दोहरे मानदंडों को संतुष्ट नहीं करते हैं, उन्हें केवल 50 एमबी डाटा का प्रावधान होता है। जबकि इसके बाद उनसे 4,000 रुपये प्रति जीबी की दर से डाटा टैरिफ वसूला जाता है।
एयरटेल ने खारिज किया आरोप:
एयरटेल ने जियो के तमाम आरोपों को खारिज किया था। सुनील भारती मित्तल की अगुआई वाली कंपनी ने कहा था कि वह सभी नियमों का पालन कर रही है। एयरटेल के प्रवक्ता ने कहा था कि ये आरोप कुछ नहीं, बल्कि जियो की सभी समस्याओं के लिए दूसरों पर दोष मढ़ने की आदत है, जिसमें नेटवर्क की कमी भी शामिल है।
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