आईफोन हुआ 10 साल का, पढ़ें इसका रोचक सफर और अनसुनी बातें
आज से दस साल पहले एप्पल कंपनी ने पहला आईफोन लांच किया था। तब किसी को अंदाजा नहीं था कि यह एक क्रांतिकारी प्रॉडक्ट साबित होगा और लोगों की जिंदगी बदल देगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। आज से दस साल पहले एप्पल कंपनी ने पहला आईफोन लांच किया था। तब किसी को अंदाजा नहीं था कि यह एक क्रांतिकारी प्रॉडक्ट साबित होगा और लोगों की जिंदगी बदल देगा। अब तक एक अरब से ज्यादा आईफोन बेचे जा चुके हैं और एप्पल दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी है। एक नजर एप्पल के दस साल के सफर से जुड़ी अहम बातों पर -
- ब्रायन मर्चेंट ने एक किताब लिखी है, 'द वन डिवाइस: द सिक्रेट हिस्ट्री ऑफ द आईफोन'। इस किताब में उन्होंने बारिकी से बताया है कि एप्पल में किस तरह काम होता है। यहां कच्चे माल के चयन से लेकर प्रॉडक्ट की भव्य लांचिंग तक की ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनसे अब तक बाहरी दुनिया अन्जान थी।
- इससे पहले जो बातें चर्चा में आ चुकी हैं। वे हैं - मल्टीटच टेक्नोलॉजी खुद ऐपल ने इजाद नहीं की थी। स्टीव जॉब्स चाहते थे कि आईफोन की स्क्रीन कांच के बजाए प्लास्टिक की बनाई जाए और लांचिंग के कुछ समय पहले ही उन्हें यह विचार आया था।
-बहरहाल, 2012 से 2016 के बीच एप्पल में सेवाएं दे चुके इंडस्ट्रियल डिजाइन इंजीनियर ब्रायन हप्पी के हवाले से मर्चेंट ने लिखा है, आईफोन से पहले कंपनी ने फ्लिप फोन का प्रोटोटाइप बनाया था। ऐपल कई तरह के फ्लिप फोन्स पर काम कर रही थी। बाद में सेल फोन का विचार आया और आईफोन बनाया गया।
-बहुत कम लोग जानते हैं कि आईफोन का पहला यूजर इंटरफेस फोटोशॉप में तैयार किया गया था। 1995 से 2016 तक एप्पल के डिजाइन डायरेक्टर रहे इमरान चौधरी ने अपने डिजाइनर साथी बेस ऑर्डिंग के साथ इसे तैयार किया था। आईफोन की डिजाइन की लोकप्रियता को देखते हुए कहा जाता है कि यह बहुत बड़ा काम था जो बेसिक एडोब सॉफ्टवेयर पर बनाया गया था।
- एप्पल ने इस प्रोजेक्ट के लिए 1000 इंजीनियरों की टीम जुटाई थी। इन्हें तीन साल के मिशन से जोड़ा गया था, जिसका नाम 'प्रोजेक्ट पर्पल 2' रखा गया था। इसी टीम के तेज दिमाग और मेहनत का नतीजा था कि 29 जून 2007 को पहला आईफोन दुनिया में लांच किया गया। टीम ने ऐसी डिजाइन बनाई जो एक दशक बाद भी लगभग वैसी ही है।
- 2007 में भी स्मार्टफोन का मार्केट कम नहीं था। नोकिया और मोटोरोला जैसी कंपनियां आम ग्राहकों को लुभाने की भरसक कोशिश कर रही थी, वहीं ब्लैकबेरी, एरिक्सन और माइक्रोसॉफ्ट की नजर कॉरपोरेट कस्टमर्स पर थी। ऐसे में ऐपल ने किसी से प्रतिस्पर्धा करने के बजाए अपनी अलग राह पकड़ी, जिस पर आज पूरी दुनिया चल रही है।
-बहुत कम लोगो को पता है कि टचस्क्रीन तकनीक का इस्तेमाल करने वाली ऐपल पहली कंपनी नहीं है। एरिक्सन आर380 में ऐसा हो चुका था। लेकिन आईफोन पहली बार फिजिकल कीबोर्ड या नेविगेशन पैनल लेकर आई थी।
- आईफोन की लांचिंग के बाद कई लोगों ने नकारात्मक बातें भी कहीं। जैसे माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ स्टीव बालमर ने कहा था, 'आप 99 डॉलर में मोटोरोला खरीद सकते हैं। वहीं एप्पल का फोन आज सबसे महंगा है। मुझे नहीं लगता कि यह कोई असर डाल पाएगा।' हालांकि स्टीव गलत साबित हुए।