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ऑनलाइन शॉपिंग करते समय COD का करते हैं चुनाव तो जान लें ये 5 बड़ी बातें

आरबीआई के मुताबिक, ऑनलाइन खरीद करने की इस विधि की कानूनी वैधता के लिए जांच की जा रही है

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 27 Jul 2018 03:42 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2018 07:00 PM (IST)
ऑनलाइन शॉपिंग करते समय COD का करते हैं चुनाव तो जान लें ये 5 बड़ी बातें
ऑनलाइन शॉपिंग करते समय COD का करते हैं चुनाव तो जान लें ये 5 बड़ी बातें

नई दिल्ली (टेक डेस्क)। ई-कॉमर्स पोर्टल फ्लिपकार्ट ने भारत में कैश ऑन डिलीवरी (COD) मॉडल 2010 में शुरु किया था। यह उन लोगों के लिए काफी सुविधाजनक है जो लोग अपने डेबिट व क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स ऑनलाइन वेबसाइट पर शेयर नहीं करना चाहते हैं। COD भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट के विकास में काफी मददगार साबित हुई है। खबरों की मानें तो COD का मामला आरबीआई के अंतर्गत है। आरबीआई के मुताबिक, ऑनलाइन खरीद करने की इस विधि की कानूनी वैधता के लिए जांच की जा रही है।

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COD मामले से जुड़ी 5 बड़ी बातें:

1. यह मामला तब सामने आया जब भारतीय एफडीआई के डायरेक्टर धर्मेंद्र कुमार ने COD को लेकर आरबीआई से स्पष्टिकरण मांगा कि क्या ई-कॉमर्स पोर्टल्स को थर्ड पार्टी के वेंडर्स की तरफ से COD स्वीकार करने की इजाजत दी जाती है या नहीं।

2. आरबीआई ने इसके जवाब में कहा, “अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी एग्रीगेटर्स को पीएसएस (पेमेंट्स एंड सेटेलमेंट सिस्टम) अधिनियम, 2007 की धारा 8 के तहत अधिकृत नहीं किया गया है।

3. इसका सीधा मतलब यह है कि COD बिजनेस कानूनी या गैरकानूनी इस पर टिप्पणी करना कठीन है। यह ज्यादा पेचीदा मामला इसलिए भी है क्योंकि फ्लिपकार्ट और अमेजन ही नहीं बल्की कोरियर कंपनी, ई-कॉमर्स आधारित डिलीवरी सर्विस आदि जैसे प्लेटफॉर्म्स भी ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से नकदी लेन-देन करते हैं।

4. सरकार के नजरिए से देखा जाए तो कई ग्राहकों द्वारा सामान के लिए कैश ऑन डिलीवरी सुनिधाजनक है। ऐसे में कैश पेमेंट्स के मामले का समाधान निकालना मुश्किल है।

5. COD को लेकर फिलहाल एक्सपर्ट्स दुविधा में हैं कि क्या ये कानूनी है या गैरकानूनी। क्योंकि पेमेंट्स और सेटलमेंट सिस्टम एक्ट 2007 में COD को लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है। ऐसे में इसे गैरकानूनी मानना सही नहीं है।

आपको बता दें कि फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों की तरफ से खरीद पर भुगतान के लिए उपलब्ध करवाए जाने वाले कैश ऑन डिलीवरी विकल्प को आरबीआई ने गैरकानूनी बताया था। आरटीआई के जवाब में आरबीआई का कहना है कि कैश ऑन डिलिवरी रेगुलेटरी ग्रे एरिया हो सकता है।

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