Quick Heal ने 2019 में 1 अरब से ज्यादा सिक्युरिटी थ्रेट्स को किया ब्लॉक
Quick Heal ने अपने हाल में आए ‘क्विक हील एनुअल थ्रेट रिपोर्ट 2020’ में कहा कि भारतीय उपभोक्ता साइबर अपराधियों के लिए सबसे आकर्षक टारगेट के रूप में उभरे हैं।
नई दिल्ली, टेक डेस्क। इंटरनेट सिक्युरिटी कंपनी Quick Heal ने 2019 में 1 अरब से ज्यादा साइबर सिक्युरिटी थ्रेट्स को ब्लॉक किया है। ये सिक्युरिटी थ्रेट्स भारतीय यूजर्स के डाटा के आदान-प्रदान के साथ सामने आए हैं। Quick Heal ने अपने हाल में आए ‘क्विक हील एनुअल थ्रेट रिपोर्ट 2020’ में कहा कि भारतीय उपभोक्ता साइबर अपराधियों के लिए सबसे आकर्षक टारगेट के रूप में उभरे हैं। यह रिपोर्ट थ्रेट रिसर्च, थ्रेट इंटेलिजेंस और साइबरसिक्योरिटी के अग्रणी स्रोत क्विक हील सिक्योरिटी लैब्स के सालभर में जुटाए गए थ्रेट डाटा के आंकड़ों के विश्लेषण से मिली जानकारी पर आधारित है।
दिल्ली-एनसीआर के यूजर्स सबसे ज्यादा प्रभावित
इस रिपोर्ट के मुताबिक, Quick Heal ने 2019 में भारतीय उपभोक्ताओं को टारगेट करने वाले 1 बिलियन से अधिक ज्ञात और अज्ञात खतरों का पता लगाया और उन्हें ब्लॉक किया। अगर आप इन आंकड़ों को दैनिक आधार पर लें तो हर रोज 2.9 मिलियन से अधिक थ्रेट्स का पता लगाया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा बार क्रमशः 38 मिलियन और 25 मिलियन के साथ टारगेट किया गया।
स्मार्टफोन के जरिए यूजर्स को किया गया टारगेट
वहीं, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और गुजरात उन 5 राज्यों में हैं, जहां सबसे अधिक थ्रेट टारगेट किए गए। थ्रेट डिटेक्शन के मामले में नई दिल्ली के अलावा अन्य शीर्ष भारतीय शहरों में मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और पुणे शामिल हैं। Quick Heal ने बताया कि 2019 में साइबर अपराधियों ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्मार्टफोन के जरिए हैकर्स ने सबसे ज्यादा बार यूजर्स को टारगेट किया है। हैकर्स ने 2019 में वॉट्सऐप जैसे लोकप्रिय ऐप्स को टारगेट को स्पाइवेयर और मैलवेयर यूजर्स के स्मार्टफोन में भेजे और डाटा चोरी करने जैसी घटनाओं को अंजाम दिया है।
Quick Heal ने अपने रिपोर्ट में बताया कि शरारती तत्वों ने उपभोक्ताओं को टारगेट करने के लिए फेक कैम्पेन का भी इस्तेमाल किया। इसमें साइबर अपराधी यूजर की जानकारी के एक सेट तक पहुंच गए, जैसे कि सोशल मीडिया पासवर्ड ताकि उन्हें यह भरोसा दिलाया जा सके कि उनके डिजिटल उपकरणों को हैक कर लिया गया है। इस तरह से पिछले साल भारतीय यूजर्स को साइबर अपराधियों ने लगातार टारगेट किया है।