भारत के न्यूक्लियर प्लांट के कंट्रोल सिस्टम पर साइबर अटैक! पढ़ें पूरा मामला
NPCIL ने एक बयान में कहा था कि जब इस बात की जांच की गई तो पता चला कि इस वायरस से प्रभावित पीसी एक ऐसे यूजर्स का था जो इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ा हुआ था
नई दिल्ली, टेक डेस्क। स्मार्टफोन में वायरस आने की बात तो आम हो गई है। लेकिन अब जो एक अहम खबर सामने आ रही है वो सभी के लिए बेहद जरूरी है। देशभर में परमाणु रिएक्टरों को चलामे वाली सरकारी कंपनी न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) ने कहा है कि उसने पिछले महीने अपने एक कंप्यूटर में मालवेयर की पहचान की थी। लेकिन प्लांट में मौजूद सिस्टम्स इससे प्रभावित नहीं हैं। इससे संबंधित एक बयान में कहा गया है कि जब इस बात की जांच की गई तो पता चला कि इस वायरस से प्रभावित पीसी एक ऐसे यूजर्स का था जो इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। इसका इस्तेमाल प्रशासनिक इस्तेमाल के लिए किया गया था। यह किसी भी अहम आंतरिक नेटवर्क से अलग है।
तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट (KKNPP) के ऑफिसर्स ने कंट्रोल सिस्टम हैक होने की बात को सिरे से नकार दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा था कि एक ऑडिट में इस बात की पुष्टि हुई थी यह घटना तो हुई थी लेकिन यह पावर प्लांट के मुख्य ऑपरेशन से जड़ी हुई नहीं थी। कहा जा रहा है कि यह घटना उन कम्प्यूटर्स के साथ हुई थी जिनका इस्तेमाल प्रशासनिक कार्यों के लिए किया जाता है।
एक एक्सपर्ट पुखराज सिंह ने बताया है कि उन्होंने भारतीय सरकार को कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट की घटना की जानकारी 4 सितंबर को दी थी। NPCIL ने इसकी जांच कर 4 सितंबर को ही मालवेयर का पता लगाया। इस मामले को तुरंत ही एटॉमिक एनर्जी स्पेशलिस्ट्स द्वारा जांचा गया था। NPCIL ने बताया है कि नेटवर्क्स को लगातार जांचा जा रहा है। साथ ही जांच में यह कंफर्म किया गया था कि प्लांट में मौजूद सिस्टम्स इससे प्रभावित नहीं हैं।
आपको बता दें कि NPCIL को भारत में न्यूक्लियर पावर रिएक्टर्स बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह फिलहाल 22 कमर्शियल न्यूक्लियर पावर रिएक्टर्स जिसमें 6780 मेगावॉट्स की कैपिसिटी है को ऑपरेट कर रही है।