DSLR से बेहतर है एंड्रॉइड स्मार्टफोन, जानें कैसे
स्मार्टफोन कंपनियां यूजर्स के लिए कई ऐसी तकनीक पेश कर रही हैं जो उनके अनुभव को दोगुना कर सकती हैं। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्या DSLR एंड्रॉइड फोन्स से पीछे रह गए हैं
नई दिल्ली, शिल्पा श्रीवास्तवा। हम सभी के जहन में एक गलतफहमी हमेशा से है कि फोटोग्राफी के लिए DSLR बेस्ट होता है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। खासतौर से मौजूदा समय में तो नहीं। इसका एक बड़ा कारण है स्मार्टफोन तकनीक का बढ़ता स्तर। आज स्मार्टफोन निर्माता कंपनियां यूजर्स के लिए कई ऐसी तकनीक पेश कर रही हैं जो उनके अनुभव को दोगुना कर सकती हैं। फोटोग्राफी अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कंपनियां ज्यादा से ज्यादा मेगापिक्सल वाले स्मार्टफोन लॉन्च कर रही हैं। इसके लिए कंपनियों के बीच होड़ जारी है। 48MP से 64MP और अब 108MP से लैस कैमरा सेंसर फोन्स में दिए जा रहे हैं जो फोटोग्राफी के लेवल को एक अलग स्तर पर ले जा रहे हैं।
अब इस स्थिति में दो सवाल हमारे मन में है। पहला यह कि क्या सही में ये सेंसर इतने दमदार या प्रभावी हैं जितना इन्हें प्रमोट किया जा रहा है? दूसरा यह कि क्या स्मार्टफोन की बढ़ती तकनीक के साथ यह DSLR को कड़ी टक्कर दे पाएगा? इन्हीं सवालों के जवाब हमें प्रोफेशनल फोटोग्राफर रंजन शर्मा से मिले। तो चलिए जानते हैं कि क्या है इस पर रंजन का कहना।
ज्यादा मेगापिक्सल कैमरा वाला फोन कैसा देता है रिजल्ट: रंजन शर्मा ने इस बात पर उदाहरण देते हुए कहा कि किसी स्मार्टफोन में तीन कैमरा दिए गए हैं। ये तीनों सेंसर्स एक समान नहीं हैं। इनमें से एक 48 मेगापिक्सल का है और दूसरा होगा 12 मेगापिक्सल। इसमें से 12 मेगापिक्सल का सेंसर फोन की कम्प्यूटेंशनल फोटोग्राफी में फुल सेंसर की क्षमता को इस्तेमाल नहीं करता है। ऐसे में जो 48 मेगापिक्सल वाला सेंसर है उसे वो 4 से भाग कर देता है। इन 4 पिक्सल का डाटा रीड कर इन्हें 1 पिक्सल बना रहे हैं। ऐसे में अगर आप फोन का कोई AI फीचर इस्तेमाल कर रहे हैं तो बाय डिफॉल्ट वह आपको सेंसर का एक चौथाई रिजल्ट ही देगा।
क्या एंड्रॉइड स्मार्टफोन भविष्य में DSLR को देगा टक्कर: रंजन शर्मा ने कहा कि DSLR एंड्रॉइड के मुकाबले लगभग खत्म हो चुका है। इसका कारण यह है कि आज ऐसा कौन-सा DSLR है जो फोटो कैप्चर करने के साथ ही उसे WhatsApp या सोशल मीडिया वेबसाइट पर शेयर कर सकता है। ऐसा कोई भी DSLR नहीं कर सकता है। हालांकि, लोग कहेंगे कि DSLR वाई-फाई से कनेक्ट कर फोटो शेयर की जा सकती हैं। लेकिन इस प्रोसेस में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर DSLR में न्यूनतम रेजोल्यूशन पर भी फोटो कैप्चर की जाएं तो भी उसका साइज काफी बड़ा आता है।
रंजन का कहना है कि DSLR कंपनियां एंड्रॉइड की तकनीक अपना सकती थी लेकिन वो जान-बूझकर इसे अपनाना नहीं चाहती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एंड्रॉइड एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है और DSLR कंपनियां ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं अपनाना चाहती हैं क्योंकि आजतक उन्होंने क्लोज्ड सॉफ्टवेयर के जरिए ही पैसा बनाया है। एंड्रॉइड एक अलग ही प्लेटफॉर्म है जिसे यूजर अपने हिसाब से कस्टमाइज कर सकते हैं।
आजतक DSLR कंपनियां अपने कैमरे को स्मार्ट नहीं बना पाई हैं। लेकिन स्मार्टफोन लगातार स्मार्ट होते जा रहे हैं। AI फास्ट चार्जिंग से लेकर बैकग्राउंड में चल रही ऐप्स को ऑप्टीमाइज करने तक कई फीचर्स को DSLR में लाया जा सकता था लेकिन DSLR कंपनियां इस पर फोकस नहीं करना चाहती हैं। DSLR कंपनियों की परेशानी यह है कि आज उनके पास जो तकनीक है वो उसे 10 साल के बाद अपने कैमरा में इंटीग्रेट करेंगे और तब तक एंड्रॉइड मार्केट काफी आगे बढ़ गया होगा।