नेट न्यूट्रैलिटी क्या है और इसके आने से आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव, जानें बड़ी बातें
इस पोस्ट में हम आपको नेट न्यूट्रैलिटी क्या है और इससे जुड़ी बड़ी बातें बता रहे हैं
नई दिल्ली (टेक डेस्क)। नेट न्यूट्रैलिटी पर चली आ रही बहस में एक नया मोड़ आ गया है। दूरसंचार विभाग ने नेट न्यूट्रैलिटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। इसके बाद इंटनरेट पर किसी भी सर्विस के लिए एक ही शुल्क लिया जाएगा। इस फैसले के बाद भारतीय इंटरनेट यूजर्स को राहत मिली है। आप में से कई लोगों ने नेट न्यूट्रैलिटी के बारे में कई बार सुना होगा, लेकिन शायद कुछ लोगों को इस शब्द का मतलब न पता हो। इस पोस्ट में हम आपको नेट न्यूट्रैलिटी क्या है और इससे जुड़ी बड़ी बातें बता रहे हैं।
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
नेट न्यूट्रैलिटी एक सिद्धांत है जिसमें इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सभी तरह के डाटा को एक ही तरह से तवज्जो देते हैं। साथ ही यह सिद्धांत यूजर, कंटेंट, वेबसाइट, प्लेटफॉर्म, एप्लीकेशन आदि पर लगने वाले अलग-अलग चार्ज को खत्म करता है। इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर करने वाली कंपनियां इंटरनेट पर हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देंगी और एक ही कीमत लेंगी। उदाहरण के तौर पर: इस सिद्धांत के तहत सर्विस प्रोवाइडर्स किसी भी वेबसाइट या ऑनलाइन कंटेंट को जानबूझकर ब्लॉक या स्लो नहीं कर सकता है। साथ ही उसके लिए कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं ले सकता है।
अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए तो इंटरनेट पर चाहे आम आदमी हो या फिर कोई बड़ी कंपनी, सभी को बराबर का मौका मिलना चाहिए। कुछ टेलिकॉम कंपनियां ऐसी हैं जो कुछ वेबसाइट्स को फ्री या तेज स्पीड देकर बाकी वेबसाइट्स का रास्ता बंद करना चाहती हैं। जबकि नेट न्यूट्रैलिटी के मुताबिक, इंटरनेट पर मौजूद सभी यूजर्स को बराबर स्पीड मिलनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर: आपने मोबाइल खरीदा है तो आपसे मोबाइल का पैसा अलग, चार्जर का अलग, ईयरफोन का अलग, पैकेजिंग का अलग और अन्य चीजों का अलग पैसा मांगा जाए तो यह नेट न्यूट्रैलिटी का उल्लंघन कहलाएगा। इसके अलावा किसी भी रोड पर चल रहे ट्रैफिक में साइकिल से लेकर मोटर कार और ट्रक शामिल होते हैं और ट्रैफिक सिस्टम में उन सबके साथ एक जैसा बर्ताव किया जाए तो वह नेट न्यूट्रैलिटी कहलाएगी।
नेट न्यूट्रैलिटी के फायदे?
- टेलिकॉम कंपनियां यूजर्स से अलग-अलग सर्विस के लिए अलग-अलग चार्ज लेती हैं। साथ ही कुछ सर्विसेज को ब्लॉक भी कर दिया जाता है। नेट न्यूट्रैलिटी के आने के बाद कंपनियां हर यूजर से अलग-अलग सर्विसेज के लिए अलग-अलग चार्ज नहीं ले पाएंगी।
- कंपनियां इंटरनेट की स्पीड को कम भी कर देती हैं। इस सिद्धांत के आने के बाद हर वेबसाइट पर समान स्पीड मिलेगी।
- टेलिकॉम कंपनियां ज्यादा डाटा कंज्यूम करने वाली सर्विसेस को ब्लॉक या स्लो नहीं कर पाएंगी।
- कंपनियां किसी ऐसी एप के लिए फ्री डाटा नहीं दे पाएंगी जो कंपनी को अलग से पैसे देती है।
नेट न्यूट्रैलिटी के लिए क्या किया गया प्रावधान?
नेट न्यूटैलिटी की सिफारिशों को मंजूरी देने के बाद अब कोई भी मोबाइल ऑपरेटर या इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंटेंट उपलब्ध कराने से लेकर इंटरनेट की स्पीड के मामले में किसी खास या पसंदीदा वेबसाइट को तरजीह नहीं दे पाएंगे। दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा, ‘आयोग ने ट्राई की ओर से अनुशंसित नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी दी है, लेकिन केवल कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा। आयोग ने नई दूरसंचार नीति के नाम से चर्चित राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018 को भी मंजूरी दे दी है। अब इसे सरकार की मुहर के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा।’
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