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पुलिस कैसे पता लगाती है मोबाइल की लोकेशन को? जानिए इसके बारे में विस्तार से

पुलिस किसी भी मोबाइल की लोकेशन निकलवा लेती हैं लेकिन आखिर वो ये काम करती कैसे हैं। इसके पीछे एक सारा नेटवर्क है जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। इसी नेटवर्क के जरिये पुलिस चोर तक पहुँचती है।

By Kritarth SardanaEdited By: Published: Sun, 18 Dec 2022 05:22 PM (IST)Updated: Sun, 18 Dec 2022 05:22 PM (IST)
पुलिस कैसे पता लगाती है मोबाइल की लोकेशन को? जानिए इसके बारे में विस्तार से
location tracking photo credit- Jagran file photo

नई दिल्ली, टेक डेस्क। पुलिस हमेशा अपराधियों की लोकेशन का पता लगाकर उन्हें पकड़ लेती है। इस कारण बड़े बड़े अपराधी ऐसे तरीकें ढूंढने में लगे रहते हैं जिनसे उनकी लोकेशन पुलिस को पता ना चलें लेकिन तमाम कोशिश के बावजूद भी वो पुलिस की पकड़ में आ जाते हैं। क्या आपने सोचा है कि आखिर पुलिस कैसे अपराधियों की लोकेशन का पता लगा लेती है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि पुलिस ये काम कैसे करती है।

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पुलिस कैसे पता लगती है किसी लोकेशन की

टेलीकॉम कंपनियों से पूछती है 

हम किस लोकेशन पर रहकर, किस से मोबाइल पर बात करते हैं, इसकी सारी जानकारी टेलीकॉम कंपनी के पास रहती है। लेकिन वो ये जानकारी गुप्त रखती है। अब पुलिस और सरकारी एजेंसी किसी नंबर की जानकारी मिलने के बाद उस नंबर की टेलिकॉम कंपनी से संपर्क करती है। टेलीकॉम कंपनी पुलिस या एजेंसी को भी कोर्ट की पर्मिशन के बाद ही किसी नंबर की जानकारी प्रदान करती है।

टेलीकॉम कंपनी के पास अपने यूजर्स की जानकारी मोबाइल टावर के जरिये पहुँचती है। मोबाइल पर जब भी कोई बात करता है तो वो नजदीकी मोबाइल टावर के सहारे ही कर पाता है। इससे कंपनी के पास वो लोकेशन उपलब्ध हो जाती है जहां वो टावर लगा हुआ है। यहाँ यह भी बता दें कि टेलीकॉम कंपनियों के पास एक ऐसा सॉफ्टवेयर उपलब्ध होता है जो उन्हें मोबाइल टावर की लोकेशन बता देता है।

इसके बाद पुलिस Triangulation method का भी इस्तेमाल करती है। इससे मोबाइल की सटीक लोकेशन मिलती है। पहले टावर की जानकारी के बाद पुलिस उस दायरे में आने वाले 2 अन्य टावर की जानकारी इकट्ठा करती है। इसके बाद इस मेथड का प्रयोग कर पहले टावर से 2 किलोमीटर, दूसरे टावर से 3 किलोमीटर और तीसरे टावर से करीब 2.5 किलोमीटर दूरी का हिसाब लगाकर सटीक लोकेशन तक पहुँचती है।

IMEI नंबर भी है एक विकल्प

हर मोबाइल का एक IMEI नंबर होता है। पूरी दुनिया में ऐसा कोई मोबाइल नहीं हो सकता जिसका IMEI नंबर ना हो। IMEI को International Mobile Equipment Identity कहा जाता है। चोर किसी का फोन चुराने के बाद उसका सिम फेंककर उसमें अपना सिम डाल देते हैं। लेकिन जैसे ही चोरी हुए फोन में दूसरा सिम डाला जाता है उसकी जानकारी टेलिकॉम कंपनी के पास पहुँच जाती है। इसी चीज़ का इंतज़ार पुलिस भी कर रही होती है क्योंकि इसके बाद IMEI नंबर को ट्रक कर के पुलिस उस चोर तक पहुँच जाती है।

Google भी बताते हैं लोकेशन

Google अपने Android फोन में लोकेशन सेवाएँ देता है जिसे ऑन रखने से आपकी लोकेशन की जानकारी गूगल तक जाती रहती है। इस पर रियल टाइम में लाइव लोकेशन की जानकारी मिल जाती है। लेकिन गलत लोग अक्सर अपनी लोकेशन बंद रखते हैं।

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