जानें किस तरह भारत में डिजिटल पेमेंट का हो रहा विकास, UPI से लेकर ब्लॉकचैन का पढ़ें विवरण
नवंबर 2016 में हुए डिजिटल ट्रांजैक्शन 672 मिलियन रहा जो कि एक महीने में बढ़कर 958 मिलियन जा पहुंचा
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश में नोटबंदी को पूरे 9 महीने हो चुके हैं। नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है। जहां एक ओर लोगों को बैंक और एटीएम में बार-बार जाने से छुटकारा मिला| वहीं, डिजिटल पेमेंट में भी काफी इजाफा हुआ है। आपको बता दें कि नोटबंदी के बाद से डिजिटल पेमेंट में 4 गुना का इजाफा हुआ है। इस बात की जानकारी भारतीय रिजर्व के आंकड़ों से प्राप्त हुई है। अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पिछले साल की तुलना में इस साल ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है। यानी कि लोगों के बीच में डिजीटल भुगतान को काफी सराहा गया है।
2017-18 में 25 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन का है लक्ष्य :
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल अपने बजट भाषण में, देश के लिए वर्ष 2017-18 में 25 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन का लक्ष्य बनाया है। इसे पूरा करने के लिए कई पेमेंट बैंक के विकल्प मौजूद है। इसके साथ ही टेलिकॉम/ ई-कॉमर्स कंपनियां भी अब पेमेंट बैंक में परिवर्तित हो रहें हैं जो अपने कस्टमर और सबस्क्राइबर को डिजिटल पर्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रीपेड उपकरणों के माध्यम से बहुत कम मूल्य वाले लेन-देन की प्रक्रिया की सुविधा देते हैं, जिनमें से कई को औपचारिक वित्तीय सेवाओं का लाभ नहीं मिला।
ढाई साल में खुले 282.3 मिलियन बैंक अकाउंट:
अगस्त 2014 में, भारत के वित्तीय समावेशन एजेंडे को "प्रधानमंत्री जन धन योजना" की शुरूआत के साथ एक बड़ा बढ़ावा मिला। यह खासतौर पर लोगों को बुनियादी बैंकिंग सुविधाओं को देने के लिए तैयार किया गया है। इसी के तहत, सिर्फ ढाई साल में जन धन योजना में रिकॉर्ड ब्रेकिंग 282.3 मिलियन बैंक अकाउंट खोले गए। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि इसमें 640 अरब रूपये जमा भी हुए है। इसके अगले कदम में इन अकाउंट के जरिए डिजिटल पेमेंट करने और प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाना है। आधार, भारत का यूनिक आइडेंटिफिकेशन प्रोग्राम है। यह बेहतर प्लेटफॉर्म है क्योंकि इसे बैंक अकाउंट से लिंक किया जा सकता है। इससे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और आसान फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन को आधार पेमेंट सिस्टम के जरिए इनेबल किया जा सकता है।
डिजिटल पेमेंट में हुआ इजाफा :
नवंबर 2016 में हुए नोटबंदी में 500 और 1000 रूपये के नोट को बंद कर दिया गया था। जिसमें कई असंगठित व्यवसाय को न चाहते हुए भी डिजिटल ट्रांजेक्शन में भाग लेना पड़ा। जिसके तहत नवंबर 2016 में हुए डिजिटल ट्रांजैक्शन 672 मिलियन रहा जो कि एक महीने में बढ़कर 958 मिलियन जा पहुंचा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, यहां तक कि सिस्टम में नए नोट्स आने और डिजिटल ट्रांजैक्शन में काफी गिरावट आने के बाद भी,डिजिटल पेमेंट में इजाफा हुआ है। जो कि फरवरी 2017 में 763 मिलियन से बढ़कर जून 2017 में 844.7 मिलियन पहुंच चुकी है।
भले ही, भारत डिजिटल पेमेंट की ओर बढ़ रहा है। कुछ साल पहले की तुलना में भारतीय यूजर्स आर्थिक तौर पर ज्यादा सक्षम हो गए है। लेकिन अभी भी डिजिटल पेमेंट को और आगे ले जाने के लिए देश को एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है। 1 बिलियन लोग जो फीचर फोन का इस्तेमाल करते हैं उनको सरल वित्तीय लेनदेन के लिए अपनी डिवाइस का कैसे उपयोग करें कि जानकारी देना ये अलग चीज हैं और लोगों को आर्थिक रूप से जिम्मेदार बनाने, जागरूक कस्टमर को डिजिटल पेमेंट के लिए बढ़ावा देना यह अलग चीज है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सभी टेलिकॉम और ई-कॉमर्स कंपनियां अब पेमेंट बैंक में परिवर्तित हो रही है। इसके तहत, लगभग सभी डिजिटल पेमेंट सर्विसेस मुफ्त या आकर्षक इंसेटिव के साथ पेश किया जा रहे हैं। जैसे कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक किसी भी ऑनलाइन लेनदेन पर शुल्क नहीं लेता है, जबकि एयरटेल पेमेंट बैंक मुफ्त टॉकटाइम का ऑफर दे रहा है।