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Facebook iOS यूजर्स की करना चाहती थी जासूसी, Pegasus के लिए किया था NSO से संपर्क

Facebook के प्रतिनिधियों ने कॉन्ट्रोवर्शियल सर्विलेंस वेंडर NSO ग्रुप को यह स्पाईवेयर खरीदने के लिए संपर्क किया था। इस बात की जानकारी NSO ग्रुप ने खुद दी है। फोटो साभार Facebook

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 05 Apr 2020 11:49 AM (IST)Updated: Sun, 05 Apr 2020 12:16 PM (IST)
Facebook iOS यूजर्स की करना चाहती थी जासूसी, Pegasus के लिए किया था NSO से संपर्क
Facebook iOS यूजर्स की करना चाहती थी जासूसी, Pegasus के लिए किया था NSO से संपर्क

नई दिल्ली, टेक डेस्क। सोशल मीडिया वेबसाइट Facebook ने वर्ष 2017 में एक स्पाईवेयर Pegasus खरीदने की कोशिश की थी। यह स्पाईवेयर जिस ग्रुप ने बनाया था उस ग्रुप ने इस बात की जानकारी दी है। Pegasus के जरिए किसी भी डिवाइस को जेलब्रेक किया जा सकता है जिसके बाद उसमें मालवेयर को इंस्टॉल किया जाता है। हालांकि, अब सवाल यह उठता है कि Facebook ने यह स्पाईवेयर किस के लिए खरीदने की कोशिश की थी।

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Vice Motherboard की रिपोर्ट के मुताबिक, Facebook के प्रतिनिधियों ने कॉन्ट्रोवर्शियल सर्विलेंस वेंडर NSO ग्रुप को यह स्पाईवेयर खरीदने के लिए संपर्क किया था। इससे कंपनी अपने यूजर्स को बेहतर तरीके से मॉनिटर करना चाहती थी। वहीं, इस समय Facebook ने NSO पर इस बात को लेकर केस किया है कि इस हैकिंग फर्म ने WhatsApp की भेद्यता का इस्तेमाल कर सरकार को यूजर्स का डाटा उपलब्ध कराने में मदद की थी। आपको बता दें कि NSO ग्रुप एक Pegasus नाम का प्रोडक्ट बेचता है जो ऑपरेटर्स को रिमोटली यूजर  सेलफोन को एक्सेस करने का एक्सेस देता है ।

जानें Pegasus कैसे करता है काम: इस टूल का इस्तेमाल यूजर्स की डिवाइस को जेलब्रेक करने के लिए किया जाता है। इसमें यूजर्स के फोन में एक मैसेज के जरिए एक लिंक भेजा जाता है। इससे यूजर्स की डिवाइस को जेलब्रेक किया जाता है और डाटा चोरी किया जाता है। यह डाटा उस व्यक्ति या संगठन को एक्सपोर्ट किया जाता है जिसने लिंक भेजा है। ज्यादातर केसेज में यह डाटा संवेदनशील होता है।

NSO ने कहा था कि वो अपने प्रोडक्ट केवल संप्रभु सरकार (sovereign government) और न्यूज एजेंसियों को ही बेचता है। हालांकि, NSO के सीईओ शैले हुलियो ने कहा था कि वर्ष 2017, अक्टूबर में Facebook के दो प्रतिनिधियों ने Pegasus सॉफ्टवेयर को खरीदने के लिए NSO से संपर्क किया था। Facebook ने इस टूल को खरीदने में दिलचस्पी इसलिए दिखाई थी क्योंकि उनका खुद का सॉफ्टवेयर Apple फोन के डाटा को एकत्रित करने में कम प्रभावी था।

शैले हुलियो ने बताया है कि Facebook के प्रतिनिधियों ने कहा था कि कंपनी चिंतित थी कि Onavo Protect के जरिए यूजर्स का डाटा एकत्र करने का उसका तरीका एंड्रॉइड डिवाइसेज की तुलना में Apple डिवाइसेज पर कम प्रभावी था। साथ ही यह भी कहा था कि Apple डिवाइसेज पर यूजर्स की निगरानी करने के लिए कंपनी Pegasus की क्षमताओं का इस्तेमाल करना चाहती है।


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