Economic Survey 2023: 5G रोलआउट देश के विकास में निभा सकता है बड़ी भूमिका
Economic Survey 2023 5G की शुरुआत तो हो गयी लेकिन 5जी का विकास देश में विकास में भी एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। जानिए इस सर्वेक्षण में और क्या कुछ कहा गया है। इसके साथ ही अब देश में कितने मोबाइल यूजर्स हो गए हैं। (PC- Jagran file photo)
नई दिल्ली, टेक डेस्क। बजट 2023 से पहले आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया है। इस सर्वेक्षण में 5G नेटवर्क को लेकर भी कई बाते कही गई। सर्वेक्षण के अनुसार देश में 5G सेवाओं की शुरुआत से नए आर्थिक अवसर खुल सकते हैं। इसके साथ ही यह भारत को विकास के लिए पारंपरिक बाधाओं को दूर करने में भी मदद कर सकता है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में कहा गया है कि देश में डिजिटलीकरण की व्यापक लहर, स्मार्टफोन का बढ़ता बाज़ार और प्रौद्योगिकी अपनाने ने पारंपरिक और नए युग दोनों क्षेत्रों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।
इसमें कहा गया है 5जी सेवाओं की शुरुआत नए आर्थिक अवसरों को खोल सकती है और देश को विकास के लिए पारंपरिक बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकती है।
इसके साथ ही 5जी सेवा से स्टार्टअप्स और व्यावसायिक उद्यमों द्वारा नवाचारों (innovations)को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है। इन सबके साथ यह 'डिजिटल इंडिया' के दृष्टिकोण को भी आगे बढ़ाने का काम कर सकता है। हालांकि यह भी कहा गया है कि फिलहाल यह यात्रा पूर्ण से बहुत दूर है और हमारी वास्तविक क्षमता का एहसास करने के लिए अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है।'
रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट ग्राहकों में साल-दर-साल बदलाव, शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण में अधिक है। यह कहा गया है कि 5जी नेटवर्क यूजर्स को अपनी सुपर फास्ट स्पीड और कम विलंबता (low latency)के माध्यम से प्रभावित कर सकता है।
5G यूजर्स को सीधे उच्च डेटा ट्रांसफर गति और कम विलंबता के माध्यम से प्रभावित कर सकता है। यह नया नेटवर्क शिक्षा, स्वास्थ्य, श्रमिक सुरक्षा, स्मार्ट कृषि जैसे क्षेत्रों में विकास कर सकता है।
इस सर्वेक्षण में यह साफ़तौर से कहा गया है कि सरकार द्वारा दूरसंचार सुधारों और स्पष्ट नीति-निर्देश के कारण ही 2022 की स्पेक्ट्रम नीलामी में अब तक की सबसे अधिक बोलियां देखने को मिली है।
जब टेलीफोन घर में लगा होना होता था बड़ी बात
इस सर्वेक्षण में 5जी के अलावा टेलीफोन पर भी उल्लेख किया गया है। रिपोर्ट के जरिये यह याद दिलाया गया था कि एक समय था जब घर में टेलीफोन कनेक्शन जा होना एक लक्जरी के रूप में देखा जाता था। हालांकि आज देश में अधिकांश लोगों के पास मोबाइल फोन है।
सर्वेक्षण ने इसके लिए टेलीकॉम कंपनियों के प्रयासों को सरहाया जिन्होंने अपने नेटवर्क बैंडविड्थ को देश में बढ़ाने का काम किया।
अब कितने हो गए हैं देश में यूजर्स
रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2022 तक भारत में कुल टेलीफोन ग्राहकों की संख्या 117 करोड़ हो चुकी थी। इसमें 97 प्रतिशत से अधिक वायरलेस ग्राहक नेटवर्क यानि मोबाइल से जुड़े हुए हैं। बता दें कि नवंबर 2022 के अंत तक देश में मोबाइल ग्राहकों की संख्या कुल 114.3 करोड़ थी। जून 2022 तक देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या कुल 83.7 करोड़ थी।
टेली डेंसिटी भी व्यापक स्तर पर बढ़ी
इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि देश के राज्यों में व्यापक अंतर के साथ, भारत में कुल टेली-डेंसिटी 84.8 प्रतिशत बड़ी। आठ लाइसेंस सेवा क्षेत्रों, अर्थात् दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब, तमिलनाडु और कर्नाटक में टेली-डेंसिटी100 प्रतिशत से अधिक रही।
ग्रामीण क्षेत्रों में टेली-डेंसिटी शहरी क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम स्तर पर बना हुआ है। हालांकि साल-दर-साल परिवर्तन के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ अच्छी रही है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट ग्राहकों की संख्या अधिक है।'
कोरोना काल में हुआ बदलाव
कोरोना काल के दौरान दूरसंचार सेवाओं ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नयी उड़ान दी। दूरसंचार क्षेत्र ने महामारी के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान दूरस्थ रूप से महत्वपूर्ण गतिविधियों और सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करना जारी रखा।
रिपोर्ट में यह साफ़तौर पर कहा गया है कि 2014 से पहले, डिजिटल सेवाओं की पहुंच को शहरी परिवारों के विशेषाधिकार के रूप में माना जाता था। लेकिन 'हमने पिछले 3 वर्षों (2019-21) में ग्रामीण क्षेत्रों में अपने शहरी समकक्षों की तुलना में अधिक इंटरनेट ग्राहक जोड़े हैं।' सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अभियान को कामयाबी मिली।
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