Chandrayaan 2: ISRO Moon Mission के ये हैं सात महारथी
ISRO Moon Mission चेयरमैन के.सिवन समेत इन सात महारथियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है...
नई दिल्ली, टेक डेस्क। ISRO Moon Mission Chandrayaan 2 शुरू होने से लेकर विक्रम लैंडर से संपर्क टूट जाने तक हर कोई खबरों पर नजर टिकाए हुए हैं। ISRO के Chandrayaan 2 मिशन को लेकर हर भारतीय को गर्व है। भले ही इस मिशन का कुछ भाग अभी अधूरा रह गया हो लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही ISRO सफलता हासिल करेगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस मिशन के पीछे ISRO के चेयरमैन के.सिवन समेत कुल सात महारथी शामिल हैं। आइउ जानते हैं इन महारथियों के बारे में।
के.सिवन: ISRO के चेयरमैन
2018 में ISRO के चेयरमैन के रूप में पदभार संभालने के बाद, 62 साल के सिवन ने विक्रम लैंडर के साथ तकनीकी समस्याओं सहित कई रूकावटों के बावजूद चंद्रयान-2 मिशन को साकार करने के लिए प्रेरित किया है। इसरो के दिग्गज ने 36 साल संगठन में बिताए हैं और अतीत में Vikram Sarabhai Space Centre और Liquid Propulsion Systems Centre के निदेशक के रूप में सेवा की है।
ये भी पढ़ें: ISRO का बड़ा बयान, चेयरमैन K Sivan के नाम से कई फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट हैं एक्टिव
एस सोमनाथ: डायरेक्टर, Vikram Sarabhai Space Centre
सोमनाथ इसरो के सबसे भारी रॉकेट, जीएसएलवी एमके III के विकास के पीछे प्रमुख रॉकेट वैज्ञानिकों में से एक है, जिन्होंने चंद्रयान-2 को लॉन्च किया। साथ ही वह 2022 के आसपास, पहले भारतीय मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान मिशन के प्रक्षेपण के लिए काम कर रहे हैं। सोमनाथ इसरो के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए थ्रॉटल-सक्षम इंजनों के विकास में भी शामिल रहे हैं, जो इसे नए रॉकेट विकसित करने की अनुमति देता है। चन्द्रयान-2 विक्रम लैंडर पर थ्रोटल-सक्षम इंजन तकनीक मौजूद थी। यह चंद्रमा पर उतरने से पहले लैंडर के वेग को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होती है।
वी नारायणन: डायरेक्टर, Liquid Propulsion Systems Centre
Liquid Propulsion Systems Centre के डायरेक्टर वी नारायणन cryogenic propulsion technologies के सबसे महत्वपूर्ण विशेषज्ञों में से एक हैं। चंद्रयान-2 में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ. नारायणन इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग (FINAE) के फेलो हैं और अन्तरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ (IAF) के अंतरिक्ष प्रणोदन समिति के सदस्य और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक निकायों में सदस्य हैं।
ये भी पढ़ें: Chandrayaan 2: भारत के हाथों से रेत की तरह निकल रहा समय, पढ़ें पल-पल की डिटेल्स
एम वनीथा: प्रोजेक्ट डायरेक्टर Chandrayaan-2
मुथय्या वनीथा सैटेलाइट कम्युनिकेशन की एक्सपर्ट हैं। चंद्रयान-2 मिशन से पहले यह भारत के पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट प्रोजेक्ट Cartosat 1 और Oceansat-2 प्रोजेक्ट की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। वनिथा पिछले 32 साल से इसरो के लिए काम कर रही हैं और मंगलयान मिशन से भी जुड़ी रही हैं। चंद्रयान 2 मिशन में वो पहली महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं। इलेक्ट्रानिक सिस्टम इंजीनियर मुथाया ने इससे पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स के जरिये डेटा ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण काम किया है।
रितु करिधल: मिशन डायरेक्टर Chandrayaan-2
चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर रितु करिधल मंगलयान मिशन की डिप्टी ऑपरेशंस डायरेक्टर भी रह चुकी हैं। 1997 से इसरो के साथ काम कर रही रितु करिधल को 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से इसरो का प्रतिष्ठित यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है। लखनऊ की रहने वाली करिधल ने आईआईएससी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स डिग्री हासिल की है।
पी कुन्हिकृष्णन: डायरेक्टर, U R Rao Satellite Centre
इसरो के एक दिग्गज, कुन्हिकृष्णन इसके पीएसएलवी रॉकेट कार्यक्रम के पूर्व निदेशक हैं और इन्होंने 2010 और 2015 के बीच लगातार 13 flawless PSLV missions को अंजाम दिया है, जिसमें 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन भी शामिल था। चंद्रयान-2 में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वी वी श्रीनिवासन: डायरेक्टर, ISTRAC
श्रीनिवासन ने इसरो के उपग्रह केंद्र में कई वर्षों तक संचार इंजीनियर के रूप में काम किया है। चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के बाद से, अंतरिक्ष यान के स्वास्थ्य, परफॉर्मेंस और ट्रेजेक्ट्री की निगरानी और नियंत्रण बेंगलुरु में ISTRAC के एक मिशन संचालन केंद्र से किया गया था। श्रीनिवासन साल 2017 से ISTRAC से जुड़े हुए हैं।