Chandrayaan 2: जानें चांद की सतह पर रोवर कैसे करता काम
Chandrayaan 2 चांद की सतह पर लैंड करने से पहले ही विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का ISRO के साथ संपर्क टूट गया। ऐसे में प्रज्ञान रोवर कैसे काम करता आइए जानते हैं...
नई दिल्ली, टेक डेस्क। Chandrayaan 2 के लैंडर का लैंडिंग से कुछ क्षण पहले ही संपर्क टूट गया जिसकी वजह से इसके लैंडर से प्रज्ञान रोवर बाहर निकला या नहीं, इसके बारे में फिलहाल कोई जानकरी उपलब्ध नहीं है। ISRO के वैज्ञानिक लगातार इस पर नजर बनाए हुए है। विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का ISRO से लैंडिग से करीब 2 किलोमीटर पहले ही संपर्क टूट गया। हांलाकि, अभी भी वैइाानिकों को इसकी लैंडिंग की उम्मीद बरकरार है। लैंडर का संपर्क क्यों टूटा इसके बारे में भी सस्पेंस बरकरार है। प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर से ISRO संपर्क बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। आपको बता दें कि Chandrayaan 1 भी चांद की कक्षा में कहीं खो गया था, जिसे बाद में NASA ने ढूंढ़ा था।
ऐसे में 2 सितंबर को स्पेस शटल से अलग हुए विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर कैसे अलग होता, ये जानने के लिए देश की 130 करोड़ जनता के साथ-साथ पूरी दुनिया की नजर इस पर बनी हुई थी। विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंड करने के बाद इसमें मौजूद प्रज्ञान रोवर बाहर निकलता और वहां के वातावरण, मिट्टी आदि की जांच करता। प्रज्ञान रोवर एक सौर उर्जा पर चलने वाला उपकरण है जो सूरज की रोशनी पड़ने के साथ ही एक्टिव हो जाता है।
प्रज्ञान रोवर किस तरह करता काम
विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर लैंड करते ही प्रज्ञान रोवर तब तक बाहर नहीं निकलता, जब तक की उस पर सूरज की रोशनी न पड़े। इससे पहले विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद उस पर जैसे की सूरज की रोशनी पड़ती, लैंडर का दरवाजा खुल जाता। विक्रम लैंडर का दरवाजा खुलते ही, प्रज्ञान लैंडर के ऊपर लगे सोलर पैनल पर सूरज की सीधी रोशनी पड़ती। रोवर पर सूरज की रोशनी पड़ते ही वह एक्टिवेट हो जाता और चांद की सतह पर मूव करते हुए वहां के वातावरण आदि का परीक्षण करता।
ISRO के लोगो के साथ तिरंगा
प्रज्ञान रोवर में 6 पहिए लगे हैं और ऊपर देश का तिरंगा झंडा और ISRO का लोगो लगा है। रोवर पर सूरज की रोशनी पड़ते ही पैनल अनफोल्ड हो जाता और रोवर मूव करने के लिए तैयार हो जाता। प्रज्ञान रोवर चांद पर एक सेमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलता। प्रज्ञान रोवर में नेविगेशन कैमरा लगा है जो वहां के वातावरण का पता लगाता।
ISRO इस तरह करता है डाटा कलेक्ट
प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्रित किया गया स्कैन्ड डाटा विक्रम लैंडर तक पहुंचता। विक्रम लैंडर पर डाटा पहुंचने के बाद वह डाटा ISRO के मिशन कंट्रोल रूम तक पहुंचता। प्रज्ञान रोवर के पास धरती तक ऑटोनोमस सिग्नल भेजने के क्षमता नहीं है, जिसकी वजह से सिग्नल सीधे विक्रम लैंडर तक पहुंचती है। आगे बढ़ते हुए लैंडर परिस्तिथि के मुताबिक, विक्रम लैंडर तक डाटा पहुंचाता।
हर रूकावट को पार करने की क्षमता
प्रज्ञान रोवर के रास्ते में आने वाले पत्थर और रूकावट से बचने के लिए इसके सभी पहिए में रॉकर बॉगी लगी है जो कि स्प्रिंग के साथ फिट किया गया स्टब एक्सल होता है। इसकी मदद से प्रज्ञान रोवर इन रूकावटों से पार पाता हुआ चांद की सतह पर आगे बढ़ता रहता। प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर कुल 14 दिनों तक रहता। इस दौरान वह कुल 500 मीटर की दूरी तय करता। आपको बता दें कि धरती पर बीता हुआ 14 दिन चांद पर बिताए गए एक दिन के बराबर होता है। प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्रित किया गया डाटा ISRO दुनिया की अन्य स्पेस एजेंसी को भी उपलब्ध करवा सकती थी। आपको बता दें कि करीब 5 साल के बाद अमेरिका भी चांद की इसी दक्षिणी ध्रुव पर इंसान को भेजने वाला है।