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5G Service rollout in India: इन वजहों से भारत में इस सेवा के शुरू होने में हो रही है देरी

भारत में 5G सेवा को रोल आउट करने के लिए दूरसंचार मंत्रालय इंडस्ट्री के टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स TRAI COAI सभी भारत में मोबाइल इकोसिस्टम के विकास के लिए एक साथ मिलकर कर रहे हैं

By Harshit HarshEdited By: Published: Thu, 12 Sep 2019 08:10 PM (IST)Updated: Thu, 12 Sep 2019 08:14 PM (IST)
5G Service rollout in India: इन वजहों से भारत में इस सेवा के शुरू होने में हो रही है देरी
5G Service rollout in India: इन वजहों से भारत में इस सेवा के शुरू होने में हो रही है देरी

नई दिल्ली, हर्षित हर्ष। अगले कुछ सालों में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जो बड़ा होने वाले होने वाला है, उसमें 5G सेवा प्रमुख है। 5G को इस समय दुनियो के कुछ गिने-चुने देशों में ही रोल आउट किया गया है। भारत में 5G सेवा को रोल आउट करने के लिए दूरसंचार मंत्रालय, इंडस्ट्री के टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स, TRAI, COAI समेत सभी लगे हुए हैं। ये सभी भारत में मोबाइल इकोसिस्टम के विकास के लिए एक साथ मिलकर कर रहे हैं। हमने COAI के डायरेक्टर जनरल (DG) राजन एस मैथ्यूज (Mr. Rajan S Mathews) से 5G स्पेक्ट्रम से लेकर सर्विस के रोल आउट के बारे में बात की। 

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COAI के डायरेक्टर जनरल राजन एस मैथ्यूज के मुताबिक, देश में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी की प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में है। उदाहरण के लिए, 5G हाई लेवल कमिटी ने मंत्रालय को स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के बारे में जरूरी कदम उठाने का सलाह दी है। कमिटी ने ये भी कहा कि प्रभावी अलोकेशन न्यूनतम मौजूदा कीमत के आधार पर होनी चाहिए।

5G सर्विस को इंप्लिमेंट करने के लिए बड़ी मात्रा में इकोसिस्टम को बदलने की जरूरत होगी, जिसमें स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल, नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर और डिवाइसेज शामिल हैं, जिसकी वजह से टेलिकॉम कंपनियों पर भारी खर्च आ सकता है। 5G के लिए नए बैंड को लाया जाएगा, TRAI ने इसके लिए जो रिजर्व कीमत रखी है वो अभी भी काफी ज्यादा है। उदाहरण के तौर पर 5G के 3300-3600Mhz बैंड के लिए अनपेयर्ड स्पेक्ट्रम की कीमत Rs 4.92 बिलियन प्रति मेगहर्ट्ज (Mhz) प्रस्तावित की गई है, जबकि भारत में 5G के कुछ बैंड्स के लिए कीमत काफी कम रखी गई है, फिर भी इसकी कीमत अन्य देशों के सामान स्पेक्ट्रम बैंड के मुकाबले काफी ज्यादा है।

भारत जैसे देश में स्पेक्ट्रम का हार्मोनाइजेशन भी अपरिहार्य है, जिसकी वजह से भारत में 5G आधारित सेवा की उपलब्धता को बढ़ावा मिलेगा, यही नहीं टेलिकम्युनिकेशन इक्वीपमेंट की कीमत भी बड़े पैमाने पर कम होगी। सरकार का लक्ष्य 5G स्पेक्ट्रम के 700MHz बैंड में से 75MHz, 3.6-3.8GHz बैंड में से 200MHz और 26.5-27.5GHz बैंड में से 1GHz की बिक्री से $2.9 बिलियन जेनरेट करना है। ये टेलिकॉम कंपनियों को 5G ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल करने में चाहत पैदा करेगी जो कि फाइबर ऑप्टिक्स में मुश्किल है।

इस समय दुनिया के कई देशों में 5G सेवा को शुरू की जा चुकी है। भारत में 5G स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी 2019 के अंत में या फिर 2020 की शुरुआत में की जा सकती है। तब तक, इंडस्ट्री को 5G इक्विपमेंट की कीमत के बारे में और जानकारी मिल जाएगी और ये सर्विस प्रोवाइडर्स को सेवा के बदले में राजस्व निर्धारण करने में मदद करेगी।


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